सीएचसी वजीरगंज में वृहद मानसिक स्वास्थ्य शिविर हुई आयोजित ।
मधुमेह, ब्लड-प्रेशर व खून जाँच के साथ दवा वितरण और स्वास्थ्य संबंधी परामर्श की दी गयी सेवायें ।
50 मरीजों के जाँच में मिले 12 मानसिक रोगी
गोंडा ! राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत सोमवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र वजीरगंज में वृहद मानसिक स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें क्षेत्र के विभिन्न गाँवों से आये हुए 50 मरीजों का मधुमेह, ब्लड-प्रेशर व खून जांच कर उनके मानसिक स्वास्थ्य की स्क्रीनिंग की गयी तथा दवा का वितरण कर मानसिक रोगों से बचने और स्वस्थ रहने सम्बंधी परामर्श प्रदान किये गए ।
अधीक्षक डॉ आशुतोष शुक्ला ने फीता काटकर कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए कहा कि वर्तमान दौर में लोगों की बदलती जीवन-शैली और भाग-दौड़ भरी जिंदगी में किसी के पास किसी के लिए भी वक्त नहीं है। यहां तक कि कभी-कभी तो खुद के लिए भी समय नहीं होता जिसका परिणाम यह निकलता है कि व्यक्ति मानसिक बीमारी या अवसाद का शिकार हो जाता है। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में कतई किसी झाड़-फूंक अथवा नशे के चक्कर में न पड़कर हिम्मत से काम लेने के साथ ही जल्द से जल्द मनोचिकित्सक से संपर्क कर इस बीमारी को दूर भगाया जा सकता है । समाज में तेजी से फ़ैल रही इस बीमारी के प्रति जनजागरूकता पैदा करने के लिए ही सरकार द्वारा राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है ।
मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ अशोक सिंह ने कहा कि मानसिक बीमारी के चक्कर में कई बार लोग नशे के शिकार हो जाते हैं। उन्हें लगता है कि नशा करने से उनकी परेशानियां खत्म हो जाएंगी या फिर वह उन्हें आसानी से मात दे सकेंगे, जबकि ऐसा हरगिज नहीं है। नशा केवल शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से तबाह करता है बजाय किसी समस्या का हल निकालने के। ऐसी स्थिति में कतई किसी झाड़-फूंक के चक्कर में न पड़ें, क्योंकि अधिकतर यह देखा गया है कि मानसिक बीमारी के मामलों में लोग अस्पताल के बजाय झाड़-फूंक के चक्कर में पड़ जाते हैं । मानसिक बीमारी को नजरअंदाज किए बिना तुरंत ही मनोचिकित्सक से संपर्क करें और बेहतर जिन्दगी जियें ।
मानसिक बीमारी के लक्षण :
क्लीनिकल सायकोलॉजिस्ट डॉ रंजना गुप्ता ने मानसिक रोगों के लक्षणों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि उदास या सुस्त रहना, बेवजह शक करना, चिंता, घबराहट, उलझन, बेचैनी, अकारण भय लगना या मन में बार-बार बुरा होने का विचार आना, झुंझलाहट, किसी काम में मन न लगना, नींद न आना, याददाश्त में कमी, आत्महत्या का प्रयास करना, बेहोशी/मिर्गी के दौरे पड़ना, सीने में दर्द, नशे की लत होना, सिर दर्द या सिर में भारीपन बना रहना, भूत-प्रेत की बातें करना, ऐसी आवाजें सुनना जो किसी और को न सुनाई देती हों मानसिक रोग के लक्षण हैं । उन्होंने कहा कि इनमें से किसी भी लक्षण के होने पर तुंरत ही बिना किसी संकोच के मनोचिकित्सक से संपर्क करें, ताकि समय रहते ही उचित इलाज से मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाया जा सके।
मेले में मनोचिकित्सक डाॅ अशोक सिंह द्वारा डिप्रेशन, तनाव, घबराहट, नशा-मद्यपान, शुगर, ब्लड-प्रेशर आदि रोगों से ग्रसित मरीजों का उपचार किया गया तथा स्क्रीनिंग के दौरान मानसिक रोगों से ग्रसित पाये गये 12 मरीजों को जिला चिकित्सालय गोण्डा के कमरा नंम्बर 33 में संदर्भित किया गया ।
डॉ रंजना गुप्ता,साइकोलॉजिस्ट ने मरीजों को उचित परामर्श प्रदान किया। मनोरोग सामाजिक कार्यकर्ता उमेश भारद्वाज द्वारा ज़िला चिकित्सालय गोण्डा में संचालित मानसिक रोग विभाग की ओपीडी एवं मन-कक्ष के बारे में लोगों को जानकारी दी गयी । इसके अलावा उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत अप्रैल 2019 से मार्च 2020 तक जिले में कुल आठ वृहद मानसिक स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किये जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, जिसमें से यह 7वां शिविर है । 8वां शिविर आगामी 23 मार्च को कटरा बाजार सीएचसी पर आयोजित किया जाना है ।
इस मौके पर सहायक शोध अधिकारी, अरुण कुमार श्रीवास्तव ,फार्मसिस्ट रामधनी गुप्ता , एलटी अरुण नायर, नेत्र परीक्षण अधिकारी जय हिंद मौर्य, एक्स-रे टेक्नीशियन शशि सिंह तथा स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी एसबी वर्मा द्वारा शिविर के आयोजन में बेहतर सहयोग प्रदान किया गया ।
You must be logged in to post a comment.