पंजाब से सिद्धार्थनगर को निकला 20 मजदूरों का जत्था पहुंचा गोण्डा
गोंडा। बाहर के राज्यों से वापस अपने गृह जनपद पैदल या सायकिल से चलकर लौटने वालों का रेला अभी थमा नही है।
लोग प्रशाशनिक उपेक्षओँ के चलते वापस अपने घरों को इस लाक डाउन मे आने को मजबूर है।लोग अन्य राज्यों मे किस तरह अपने परिवार के साथ भूखे परेशान रह कर दिन काट रहे थे,यह वहाँ से वापस लौट कर आने वाले लोग खुद बताते हैं।
1मई शुक्रवार को जब प्रशाशन जिले मे नये मिले कोरोना मरीज को कोविड 19 लेबल 1पंडरी कृपाल मे जब भर्ती करा रहा था,उसी वक़्त जिले मे 20 लोग पंजाब से चलकर अपने गृह जनपद सिद्धार्थ नगर जाने के लिये सायकिल से गोंडा बलरामपुर मार्ग पर धीरे धीरे अपने गंतव्य के लिये बढ रहे थे। उनके बुझे हुए चेहरे साईकिलों पर बन्धे स्टोव व जरूरत की खाने पीने के सामानो की बोरियां उनके दूर के मुसाफिर होने की कहानी खुद कह रहे थे।
राजू, दशरथ, अनुज, पिन्तू, गया प्रसाद, राजेश, मंगल,चैतू, श्रीराम, दिनेश, सुनील, विकाश, भगेलू, बद्री प्रसाद, हरि प्रसाद, सुभास, नितिन, पंकज, प्रभात मन्ना, विनय मिश्रा जो की पंजाब से चलकर सायकिल से गोंडा 7 दिनो मे पहुंचे थे ने बताया की वहाँ उन्हे रहने खाने के साथ साथ शोँच की भी बहुत परेशानी उठनी पडी। कई दिनो तक उन्हे भूखे पेट रहना पड़ा सरकारी मदद मिलती तो थी लेकिन न के बराबर एक टाईम लोगों को लाईन लगा कर दिन मे बने हुए भोजन का वितरण के दिग जाता था जिसे पुरा दिन 24 घन्टे के लिये प्रयोग मे नही लाया जा सकता था, यदि किसी दिन भरपेट भोजन मिल भी जाता था तो उस दिन दिन मे शोँच लगने पर हम लोग तडप उठते थे क्युंकि रात मे तो किसी तरह इधर उधर पार्को के खली पडी जमीनो पर हम लोग चले जाते थे,लेकिन दिन मे सब दिखाई पड़ने की वजह से हम लोग प्लास्टिक थैलियों मे किसी तरह शोँच कर उसे रात मे चुपचाप निपटा देते थे।
एक माह का दिन नरक से भी ज्यादा भयवाह था। इसलिये हम लोग किसी तरह लोगों से मदद लेकर कुछ राशन पानी का जुगाड़ कर सायकिल से ही अपने वतन को भागने को मजबूर हुए।काम सब बन्द था,घर वाले भी परेशान थे,हम लोग खुद भी बहुत मजबूर थे,क्या करते वहाँ से वापस अगर ना आते ।
उन लोगों ने अपने बारें मे बताया की जिन जनपदो से भी वो गुजरे हर बार बॉर्डर पर उन्हे रोका गया उनसे पुँछतान्छ की गयी,उनका तापमान भी लिया गया।सभी बाधाओ को पार कर वह 7दिनो मे गोंडा पहुंचे हैं।इन लोगों को सिद्धार्थ नगर जिला जाना है,जहाँ अभी पहुंचने मे एक दिन और लगेगा।
अप्रत्याशित रूप से हुए इस लाक डाउन का एक पहलू यह भी है, की लोग अपनी जरुरी जिन्दगी भी ठीक से व्यतीत नही कर पा रहे हैं।लाक डाउन का पालन अनिवार्य है।लोगो की आवश्यक जरूरते भी अनिवार्य हैं।सरकार को चाहिए की दोनो का तारम्या बना रहे।