मुम्बई ! अखंड राजपूताना सेवासंघ के पहल पर देश भर के संगठनो ने इस वर्ष दिनांक 9 मई को महाराणा प्रताप कि 480 जयंती लाकडाउन को ध्यान में रखकर अपने अपने घरो में दीपोत्सव करके परिवार सहित हर्षोल्लास से मनाया ।
अखंड राजपूताना सेवासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने फोन से बताया कि इस वर्ष कोरोना महामारी से देश परेशान है और यह संभव नहीं था कि हम दर वर्ष के तरह बड़े कार्यक्रम आयोजित करके अपने आराध्य देव का जन्मदिन सार्वजनिक रूप में मनाये परंतु एक निर्णय के तहत हमने देश के प्रमुख संस्थाओं
रॉयल ग्रुप (राजस्थान) के रविन्द्र सिंह, राजस्थान राजपूत परिषद के रघुनाथ सिंह राठौड़, अखिल छत्रिय महासभा दिल्ली देवेंद्र सिंह सिसौदिया, अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा मुंबई ओमप्रकाश सिंह, करणी सेना उदय सिंह शेखावत, राजपूत समाज नाशिक सुदीन सिंह, परदेशी राजपूत समाज पुणे में डी परदेशी एवं समांतर अन्य संस्थाओं से संपर्क करके हम लोगों ने एक निर्णय लिया कि इस वर्ष महाराणा प्रताप जयंती हम अपने अपने घरों में दीपोत्सव करके बनाएंगे और हमें खुशी है कि इसका पालन बहुसंख्यक राजपूत समाज के परिवारों ने स्वीकार किया और हर्ष के साथ महाराणा प्रताप जयंती अपने-अपने परिवारों के साथ मनाया गया।
मुंबई में हरगोविंद सिंह तोमर, अशोक कुमार सिंह, रंजना सिंह, प्रभाकर सिंह, विजय सिंह, लखनऊ में उत्तर प्रदेश इकाई के लोग अनुराग सिंह राठौर, विनय सिंह, निशा सिंह, उपेंद्र चौहान, विनय शाही, अंजनी सिंह,
वाराणसी में योगेश सिंह, इलाहाबाद में दिनेश सिंह, अजय सिंह, भुपेंद्र सिंह, गोरखपुर में प्रशांत शाही, विपिन शाही, वाराणसी में योगेश सिंह मुन्ना सिंह, बस्ती में सुनील सिंह, अखिलेश सिंह, अखंड प्रताप सिंह,
बिहार प्रदेश इकाई में रविशंकर सिंह, शशि मोहन सिंह, रमेश सिंह, सुनील सिंह, संजीव सिंह, सुशांत सिंह, कृष्ण कुमार सिंह, प्रफुल्ल सिंह, मनोज सिंह, दिल्ली में अजय सिंह, सुनील सिंह पीके, राणा संतोष सिंह, राजन सिंह,
राजस्थान में मंगल सिंह राठौड़, हनवंत सिंह सोलंकी, जोहार सिंह देवल, शैलेंद्र सिंह परमार, गुजरात में हुकुम सिंह शेखावत, सहित तमाम अखंड राजपूताना सेवा संघ के राष्ट्रीय प्रदेश एवं जिला के पदाधिकारियों ने हर्षोल्लास के साथ सम्मिलित होकर दीप प्रज्वलित किया और अपने समाज के सुख और वैभव की कामना करने के साथ ही समाजिक सहयोग की भावना का पालन किया ।
हम उन लोगों को भी एक संदेश देने का प्रयत्न किए जो लोग सिर्फ धर्म और भावना को प्राथमिकता देते हैं और शासन प्रशासन के लिए चुनौती पेश करते हैं। राजपूत सदैव देश भक्त रहा है और उसके देश सर्वप्रथम रहेगा।
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