लखनऊ ! सावरकर विचार मंच के अध्यक्ष तथा संस्थापक ट्रस्टी डॉ अजय दत्त शर्मा के नेतृत्व में स्वतंत्र वीर सावरकर की जन्म जयंती पर ऑनलाइन परिचर्चा गूगल मीट से आयोजित की गई जिसमें देश भर के विभिन्न राज्यों से जागरूक, सुधिजनों ,प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया .
कार्यक्रम का संचालन रीना त्रिपाठी तथा अशोक पांडे ने करते हुए सभी को गूगल मीटिंग के नियम बताते हुए कार्यक्रम शुरू किया आग्रह अनुसार सर्वप्रथम
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि डॉक्टर एम एल भट्ट कुलपति केजीएमयू के द्वारा सावरकर विचार मंच के माध्यम से सावरकर जी के आदर्श तथ्यों को बताया गया आपने बताया कि कैसे इतिहास के पन्नों में सभी जानकारियां का उल्लेख नहीं किया गया और कई भ्रामक तथ्यों को इतना उजागर किया गया कि हिंदू को परिभाषित करने वाला महान क्रांतिकारी अपराधी के भाषण जीवन जीने को विवश रहा .
तदुपरांत सावरकर विचार मंच के माध्यम से प्रख्यात विद्वान विशिष्ट अतिथि डॉक्टर रमाकांत विभागाध्यक्ष केजीएमयू लखनऊ ने सभी को सावरकर जी की विचारधारा से सबको अवगत कराया और कहा कि वर्तमान समय में सावरकर जी की प्रासंगिकता सबसे अधिक है और हम सभी को उनके विचारों से सीख लेनी चाहिए.
सावरकर विचार मंच द्वारा महान क्रांतिकारी वीर सावरकर के संघर्षों की कहानी सभी प्रतिभागियों ने मुख्य वक्ता सुशील पंडित के वक्तव्य से सुनी. गूगल मीट के माध्यम से आयोजित हुई इस संगोष्ठी में प्रतिभाग करने वाले सैकड़ों साथियों ने सावरकर विचार मंच के माध्यम से सुशील पंडित ने इतिहास के पन्नों में धुंधले हो रहे वीर सावरकर जी के ऐसे तथ्यों को ज्ञान रूपी माला में पिरो कर सभी को बहुत ही सरल भाषा में अवगत कराया .विनायक दामोदर सावरकर को बचपन से ही हिन्दू शब्द से बेहद लगाव था। वीर सावरकर ने जीवन भर हिन्दू, हिन्दी और हिन्दुस्तान के लिए ही काम किया . सुशील पंडित ने बताया सावरकर जी को दो बार ज्आजीवन कारावास केवल पुस्तक लिखने के कारण अपने विचारों में नई दिशा और क्रांति रखने के कारण मिली !
भारतीय नागरिक परिषद की महामंत्री रीना त्रिपाठी ने कहा कि हिन्दू राष्ट्र की राजनीतिक विचारधारा को विकसित करने का बहुत बड़ा श्रेय सावरकर को जाता है। उनकी इस विचारधारा के कारण आजादी के बाद की सरकारों ने उन्हें वह महत्त्व नहीं दिया जिसके वे वास्तविक हकदार थे। उनकी विचारधारा से अलग विचार रखने वाले सावरकर-बंधुओं के व्यक्तित्व के कई पहलुओं से प्रभावित होने वालों और उन्हें ‘वीर’ कहने और मानने वालों में गांधी भी थे. वीर सावरकर विचार मंच के अध्यक्ष डॉक्टर अजय दत्त शर्मा ने उपस्थित सभी विद जनों को इस विचार गोष्ठी में शामिल होने के लिए धन्यवाद दिया तथा ज्योतिरादित्य चौधरी दस वर्षीय बालक इस संगोष्ठी में शामिल हुआ था उसके आग्रह पर सावरकर विचार मंच से यह सरकार से आग्रह करने का आश्वासन दिया कि पाठ्य पुस्तकों में सावरकर जी के बारे में सही जानकारी प्रस्तुत की जाए ताकि आगे आने वाली पीढ़ियों को इतिहास के पन्नों में उन्हें खोजना ना पड़े.
भारतीय नागरिक परिषद की मंत्री निशा सिंह ने अपने विचार रखते हुए सबको बताया कि वीर सावरकर की वजह से ही आज हम हिंदू को परिभाषित कर सकते हैं हिंदू को परिभाषित करते हुए वीर सावरकर ने लिखा है।”(आ सिंधु सिंधु पर्यंनता यशभारत भूमिका, पित् भू़: पुण्य भूश्रैव स वै हिन्दू रितीसमृत:)!अर्थात-समुद्र से हिमालय तक भारत भूमि जिसकी पितृ भू हैं जिसके पूर्वज यहीं पैदा हुए हैं, व पुण्य भू हैं, जिसके तीर्थ भारत भूमि मैं ही है वही हिंदू है।
साहित्य भूषण देवकीनंदन शांत ने वीर सावरकर के जीवन पर कविता सुना कर भावभीनी पुष्पांजलि अर्पित की.
कार्यक्रम में नेहा सिंह, कालिंदी सिंह, शोभित रस्तोगी, डॉ सुषमा मिश्रा, रमेश गुप्ता , अशोक पांडे, कश्मीर आंदोलन से जुड़े रवि का कचालू, उर्वशी कचालू, तरुण तिवारी, सुरेंद्र , सुनील गुप्ता, सुधीर कुमार, एसएस पांडे, श्रद्धा चौधरी ,रोशन कुमार, रमेश गुप्ता ,रामा राजपूत ,रामा दुबे ,राम व्यास, रमेश सिंह, राजेश्वर द्विवेदी, राजकुमार प्रियदर्शी ,आनंद पाल सिंह, पार्थ मिश्रा ,ओंकार तिवारी, नीरज टंडन, लक्ष्मी अग्रवाल, लालजी पांडे, केके दीक्षित ,कमलेश अग्रवाल ,ज्योतिरादित्य चौधरी, गोपाल सिंह, डॉक्टर महेंद्र मिश्रा, डॉ प्रवीण मिश्रा , चंदन सिंह अविरल आनंद, अश्वनी दीक्षित, अश्वनी उपाध्याय, अंजू राय, अनिल शुक्ला ,आनंद टंडन, एके शर्मा ,आनंद शर्मा, मोहक कृष्ण, शिव शंकर पांडे सहित कई प्रबुद्ध प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया. अध्यक्ष अजय दत्त शर्मा ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया !
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