पीड़िता ने सी ओ पर लगाये भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप
गोंडा । वैसे भी गोंडा पुलिस का करनामाँ किसी सें भी छिपा नही हैं इस मामले में मोतीगंज थाना क्षेत्र की रहने वाली पीड़िता व उसके परिजन ने पुलिस उपाधीक्षक मनका पुर राम भवन यादव पर गंभीर सवाल लगाकर उनको कटघरे में खड़ा कर दिया हैं लेकिन उच्च पद पर आशीन होने के नाते राम भवन पर कोई कार्यवाही नही की जाएगीं ? ये सवाल अपनी जगह पर यथावत है !
मामला जनपद के थाना मोतीगंज का है जहां पीड़िता का मुकदमा अपराध संख्या 07/2019 दर्ज होकर पुलिस उपाधीक्षक मनकापुर को स्थान्तरित हुई थीं जिसमें आरोपी अभियुक्त ग्राम प्रधान व ग्राम पंचायत सचिव होने के नाते उन्होने अपने प्रभाव एवं दबाव में विवेचक को खरीद कर मामले को दफन करते हुए फाइनल रिपोर्ट भेज दिया गया
मामला काफी गंभीर प्रकृति का हैं और जिलाधिकारी गोंडा की जांच में आरोपों की पुष्टि हुई और विभागीय कार्यवाही में अभियुक्त निलंबित भी हो चुके हैं लेकिन उपाधीक्षक मनकापुर की कृपा सें अभियुक्त को निर्दोष बताते हुए बार बार फाइनल रिपोर्ट भेज दिया जा रहा, पीड़िता के आपत्ति एवं पर्यवेक्षण अधिकारी के जांच उपरांत वापस उसी विवेचक को भेज कर औपचारिकता की जा रही हैं जिसमें पीड़िता का आरोप हैं कि आज तक कोई विवेचना के लिए कोई आया ही नही और मैं कई बार साक्ष्य लेकर गयी और जिलाधिकारी की जांच रिपोर्ट भी उपलब्ध करायी लेकिन उपाधीक्षक के सहयोगी जो विवेचना को शुरू सें देख रहे हैं बिना साक्ष्य को सम्मिलित करते हुए यह कहकर फाइनल रिपोर्ट भेज दे रहे हैं कि एक बार दंड मिल चुका हैं अभियुक्त निलंबित हुए थे इसलिए बार बार दंड नही मिल सकता जबकि यह कथन उनका कानून के बिल्कुल ही विपरीत हैं जो व्यक्ति जिलाधिकारी की जांच में आरोपी सिद्ध हो चुका हैं वह पुलिस उपाधीक्षक मनकापुर की कलम सें निर्दोष कैसे साबित हो सकता हैं ?
पीड़िता निष्पक्ष विवेचना के लिए कप्तान और पुलिस उपमहानिरीक्षक के दर तक माथा पटक कर न्याय की गुहार लगा चुकी हैं लेकिन राजनैतिक रसूख और दबाव प्रभाव में विवेचना स्थान्तरित नही की गयी, पुनः विवेचना हेतु पत्रावली पुलिस उपाधीक्षक मनकापुर कार्यालय में कई धूल फांक रही हैं जिसकी विवेचना राम भवन यादव द्वारा की जा रही हैं जिन्होने जनवरी 2019 की प्रथम सूचना रिपोर्ट में आज तक विवेचना पूरी नही हो सकी, ऐसे लचर व्यवस्था के आगे पीड़िता इंसाफ के लिए दो वर्षो सें भटक रही हैं लेकिन मामले को गंभीरता सें न तो विवेचक लेता हैं न ही जिला प्रशासन, मामला पुलिस महानिदेशक और शासन के संज्ञान में लाया गया हैं !
अब देखना हैं कि पीड़िता को इंसाफ मिलता हैं कि नही, वैसे तो पीड़िता ने अब न्याय की उम्मीद छोड़ दी हैं और इस लचर व्यवस्था के आगे न्याय की उम्मीद नही की जा सकती।