कार्तिक माह में दीप उत्सव अर्थात दीपावली लगातार 5 दिनों तक मनाया जाता है, लेकिन इस वर्ष यह त्यौहार 5 दिनों का न होकर सिर्फ 4 दिनों का है क्योंकि इस वर्ष छोटी दीपावली अर्थात नरक चतुर्दशी एवं बड़ी दीपावली अर्थात लक्ष्मी पूजन एक ही दिन मनाई जाएगी। हालांकि इस तरह पहले भी होते आए हैं लेकिन इस वर्ष दीपावली पर जो योग बन रहे हैं वह शुभ संयोग 499 वर्ष बाद आया हैं।
दीपावली का त्योहार इस साल शनिवार, 14 नवंबर को मनाया जाएगा। दीपावली पर धन और ज्ञान का कारक बृहस्पति ग्रह अपनी स्वराशि धनु और शनि अपनी स्वराशि मकर में रहेगा. जबकि शुक्र ग्रह कन्या राशि में रहेगा. ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री का कहना है कि दीपावली पर ऐसा संयोग 499 साल बाद बन रहा है। इससे पहले ग्रहों की ऐसी स्थिति 1521 में देखी गई थी।
इस सन्दर्भ में ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री कहते हैं, ”बृहस्पति ज्ञान और शनि धन-संपत्ति के कारक माने जाते हैं। दीपावली पर गुरु-शनि के स्वराशि में रहने से कई लोगों का भाग्य चमक सकता है। अत: यह दीपावली आपके लिए कई शुभ संकेत लेकर आएगी। विशेष रूप से वृषभ, कर्क, तुला और कुंभ राशि के जातकों के लिए समय काफी शुभ रहने वाला है। जबकि मिथुन, सिंह और कन्या राशि के जातकों को थोड़ा संभलकर रहना होगा।”
ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री का यह भी कहना है कि 11 नवंबर से 14 नवंबर तक सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। दीपावली, धनतेरस और सर्वार्थ सिद्धि योग के बीच खरीदारी करना बड़ा शुभ होता है। खासतौर से कोई वाहन खरीदने या व्यापार के शुभारंभ के लिए यह समय बहुत ही ख़ास है।
इन अद्भुत संयोगों के साथ आइए ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री से जानें दीपावली के 5 दिनों का शुभ मुहूर्त एवं उसकी जानकारी:
दीपावली का पहला दिन: गोवत्स द्वादशी
दीपावली का त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को पड़ने वाली गोवत्स द्वादशी से प्रारंभ होता है। गोवत्स द्वादशी दीपावली का पहला दिन होता है। इस बार गोवत्स द्वादशी 12 नवंबर दिन गुरुवार को है। कार्तिक कृष्ण द्वादशी तिथि का प्रारंभ 11 नवंबर को देर रात 12 बजकर 40 मिनट से हो रहा है, जो 12 नवंबर को रात 09 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। गोवत्स द्वादशी के दिन पूजा का मुहूर्त शाम को 05 बजकर 29 मिनट से रात 08 बजकर 07 मिनट तक है। इस दिन गोवंश की पूजा होती है।
दीपावली का दूसरा दिन: धनतेरस
दीपावली का दूसरा दिन धनतेरस होता है, इसे धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। हिन्दी पंचांग के अनुसार, धनतेरस कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को होती है। इस साल धनतेरस 13 नवंबर दिन शुक्रवार को है। त्रयोदशी तिथि का प्रारम्भ 12 नवंबर को रात 09 बजकर 30 मिनट से हो रहा है, जो 13 नवंबर को शाम 05 बजकर 59 मिनट तक है। धनतेरस पूजा का मुहूर्त शाम को 05 बजकर 28 मिनट से शाम 05 बजकर 59 मिनट तक है। इस दिन यम दीपम भी होता है। यमराज के लिए घर के बाहर एक दीपक जलाया जाता है।
दीपावली का तीसरा दिन: नरक चतुर्दशी तथा लक्ष्मी पूजा
दीपावली का तीसरा दिन कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी तिथि को पड़ने वाली नरक चतुर्दशी होती है, लेकिन इस वर्ष एक बड़ा संयोग ये भी बन रहा है कि दीपावली और नरक चतुदर्शी एक ही दिन अर्थात 14 नवंबर को होगी। नरक चतुर्दशी को छोटी दीपावली भी कहते हैं और इस दिन सुबह स्नान करके यम तर्पण और शाम के वक्त आंगन में दीप जलाने और दान करने का बड़ा महत्व है। साथ ही दीपावली कार्तिक अमावस्या को मनाई जाती है, इस दिन लक्ष्मी पूजा होती है।
कार्तिक मास की चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ 13 नवंबर को शाम 05 बजकर 59 मिनट से हो रहा है, जो 14 नवंबर को दोपहर 02 बजकर 17 मिनट तक है। ऐसे में कार्तिक मास की अमावस्या तिथि का प्रारंभ 14 नवंबर को दोपहर 02 बजकर 17 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन 15 नवंबर को सुबह 10 बजकर 36 मिनट पर होगा। ऐसे में दीपावली की लक्ष्मी पूजा 14 नवंबर को होगी।
दीपावली का चौथा दिन: गोवर्धन पूजा या अन्नकूट
दीपावली का चौथा दिन गोवर्धन पूजा या अन्नकूट होता है। यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को होता है। इस वर्ष कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा का प्रारंभ 15 नवंबर को सुबह 10:36 बजे हो रहा है, जो 16 नवंबर को सुबह 07:06 बजे तक है। गोवर्धन पूजा 15 नवंबर को है। गोवर्धन पूजा का मुहूर्त दोपहर में 03:19 से शाम को 05:27 बजे तक है।
दीपावली का पाँचवा दिन: भैया दूज
भैया दूज दीपावली का पाँचवा दिन होता है, जो कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को होता है, इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है। इस वर्ष कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि का प्रारंभ 16 नवंबर को सुबह 07:06 बजे से हो रहा है, जो 17 नवंबर को तड़के 03:56 बजे तक है। ऐसे में इस साल भैया दूज 16 नवंबर को है। भैया दूज का मुहूर्त दोपहर 01:10 बजे से दोपहर 03:18 बजे तक है।