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द इंस्टीट्यूट ऑफ़ कम्प्यूटर स्टडीज की अवैध धन उगाही, दबाव बनाकर परीक्षार्थियों को तीस तीस रूपए में बेचे गए ग्लब्स

कोरोना के बहाने विद्यार्थियों से हुई अवैध धन उगाही 

गोंडा । शहर के मध्य आईटीआई चैराहे के पास स्थित आईसीएस (द इंस्टीट्यूट आॅफ कम्प्यूटर स्टडीज) द्वारा बिना मेहनत किये ओ लेवल, सीसीसी आदि अनेक डिगिं्रयों का सौदा खुलेआम किये जाने का मामला प्रकाश में आया है। यहां तक कि पैसे के भूख से अंधे हो चुके इस इंस्टीट्यूट के प्रबंध निदेशक विवेक श्रीवास्तव ने गत शुक्रवार को हुई सीसीसी की परीक्षा के दौरान दस रूपये वाला ग्लबस तीस-तीस रूपए में दबाव बनाकर परीक्षार्थियों को बेचवा डाला।

परीक्षार्थियों को बिना ग्लबस अन्दर नही जाने दिया इसके अतिरिक्त परीक्षार्थियों के आईसीएस पहंुचते ही उनसे पैसे की डिमाण्ड की गयी और जिस जिस परीक्षार्थी से पैसा लिया गया उनकी मदद के लिए तीन-चार लोग लगे रहे वहीं जिन परीक्षार्थियों ने पैसा नही दिया था उनका ज्ञान ही उनका सहारा था। परीक्षा के बाद आईसीएस के लोग परीक्षार्थियों को अपना मोबाइल नम्बर इस गारण्टी के साथ देते नजर आए कि यदि पास न होना तो हमसे सम्पर्क कर लेना और जो भी परिचित का हो और सीसीसी की डिग्री चाहते हों उन्हे भी ले आना, हम फार्म भरवाकर कम से कम चार्ज में पास करवा देंगे।

ये सब इतना खुलेआम इसलिए हो रहा है क्योंकि इस संस्था के एमडी विवेक श्रीवास्तव काफी पहुंच वाले व्यक्ति हैं। सन् 2018 में उन्होंने अपने इंस्टीट्यूट में एक कार्यक्रम के दौरान जगदम्बिका पाल जैसे भरतीय जनता पार्टी के कददावर नेता को बुलाया था जिसकी धौंस के चलते जहां तेज-तर्रार पूर्व डीएम डा0 आशुतोष निरंजन असहाय नजर आये ! यहाँ यह भी बताना जरुरी है की ये वही जिलाधिकारी आशुतोष निरंजन है जिन्होंने कार्यवाही के भय से बी बाजार, वी मार्ट जैसे मशहूर संस्थानों में जाम से निजात हेतु पार्किंग बनवा डाला था परन्तु सगरा तालाब पर स्थित मेंन रोड पर चल रहे कामर्स क्लासेस व आईसीएस में पर्याप्त पार्किंग न बनवा सके जिससे रोड पर बच्चों की गाड़ी, साइकिल खड़ी होने से कई बार लोगों को जाम का सामना करना पड़ता है।

‘सइयां भए कोतवाल अब डर काहे का’ की तर्ज पर विवेक श्रीवास्तव उर्फ विवेक सर कम्प्यूटर शिक्षा के नाम पर अवैध उगाही कर प्रापर्टी बनाते जा रहे हैं ये बात दबे जुबान से ज्यादातर जनपदवासियों में चर्चाए आम है। अब तो उनकी संस्था के लोगों द्वारा इन डिग्रियों की गारण्टी लिये जाने से ये बात साक्ष्य सहित सिद्व हो गयी है। इस सम्बन्ध में जब विवेक से बात करने की कोशिश की गयी तो उनसे सम्पर्क नही हो सका। जबकि आईसीएस के डायरेक्टर सुमित श्रीवास्तव से दूरभाष पर बात करने पर उन्होने कहा कि ‘हमारी संस्था के तरफ से कोई ग्लबस नही बेचा जा रहा था। सामने तिवारी जी की दुकान पर बेचा जा रहा था। हां मास्क, ग्लबस और सेनेटाइजर परीक्षार्थियों के लिए अनिवार्य था इसके बिना संस्थान के अन्दर प्रवेश नही दिया जा रहा था।’

मामले पर जब जिला वि़ालय निरीक्षक राकेश कुमार से बात की गयी तो उन्होंने कहा कि यह हमारे क्षेत्राधिकार में नही है यह परीक्षा करवाने वाली संस्था नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ इलेक्टाªनिक्स एण्ड इनफारमेशन टेक्नोलाॅजी से बात करिए, फिर भी हम अपने स्तर से दिखवायेंगे जबकि नगर मजिस्ट्रेट वन्दना त्रिवेदी ने सीधे कह दिया कि मुझे जानकारी नही है मेरी तबियत खराब है और फोन काट दिया। जबकि जिलाधिकारी से दूरभाष पर सम्पर्क नही हो सका और छप्म्स्प्ज् नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ इलेक्टाªनिक्स एण्ड इनफारमेशन टेक्नोलाॅजी के डिप्टी डायरेक्टर ए जी राव के मोबाइल नम्बर 8317093870 पर आठ-दस बार काल किया गया परन्तु उन्होने  फोन उठाना मुनासिब नही समझा।

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राजेंद्र सिंह

राजेंद्र सिंह (सम्पादक)

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