दृष्टिकोण

कैसा होना चाहिये नियोक्ता और कर्मचारी का संबंध, बता रहे जीवन मित्तल

करोड़ों लोग किसी न किसी ऑफिस में, ट्रांसपोर्ट में, दुकान में, फैक्ट्री में, स्कूल में, संस्था में किसी न किसी तरीके से नौकरी करते हैं। सेवक ग्रेड 1 से ग्रेड 4 तक के हैं। करोड़ों जगह मैनेजमेंट वाले 8 10 घंटों से ज्यादा कार्य करते हैं। करोड़ों जगह कार्य समय फ्लेक्सिबल होता है।

करोड़ों जगह कर्मचारी, स्टाफ कभी भी छुट्टी कर लेता है या देरी से आता है और नियोक्ता बड़ा दिल, सहृदयता दिखाते हुए उस शार्ट एब्सेंस को इग्नोर कर कर्मचारी को पूरा वेतन देता है। महीने में 1 2 बार छोटी बड़ी छुट्टी पर वेतन काटने वाले नियोक्ता को कर्मचारी दुष्ट मानता है। काम की जरुरत के हिसाब से अगर नियोक्ता किसी कर्मचारी से अतिरिक्त कार्य चाहता है तो अव्वल तो कर्मचारी विभिन्न बहाने बना अतिरिक्त समय देने से झट मना कर देता है। दूसरे, कर्मचारी उस समय का वेतन चाहता है, तीसरे कर्मचारी उस समय का वेतन दोगुना चाहता है। कर्मचारी किसी भी कारण से कभी आधी या पूरी छुट्टी करता है तो जरुरत होने पर उसे उतना समय नियोक्ता को उसी वेतन में देना चाहिए।

राष्ट्रपति पद के लिये दावेदारी प्रस्तुत करने के साथ ही आम जनता की समस्याओं को लेकर राष्ट्रपति को 5000 से भी अधिक पत्र भेजने वाले सामाजिक कार्यकर्ता जीवन कुमार मित्तल नियोक्ता और कर्मचारियों के बीच खड़े हो रहे इस समस्या का समाधान बताते हुए कहते हैं कि कार्य समय के अतिरिक्त किये किसी काम को कर्मचारी की पिछली या अगली शार्ट एब्सेंस में एडजस्ट किया जाना चाहिए ताकि किसी पक्ष को कोई हानि न हो। नियोक्ता से हमेशा लेना और दोगुने की चाहत अनुचित है। नियोक्ता हेतु वेतन देना और दोगुना देना सहज नहीं होता। ओवरटाइम पर कोई नीति नियोक्ता विरोधी नहीं होनी चाहिए

श्री मित्तल द्वारा राष्ट्रपति को भेजे गए पत्रो के अवलोकन हेतु www.lettertopresident.com पर विजिट कर सकते हैं

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राजेंद्र सिंह

राजेंद्र सिंह (सम्पादक)

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