दृष्टिकोण

विद्यालय परिसर हरे भरे पेड़, चहकते पंछी और पृथ्वी दिवस

Written by Reena Tripathi

आज पृथ्वी दिवस है इस पृथ्वी में रहने वाले प्रत्येक जीव के लिए एक खास दिन। निश्चित रूप से पूरे वर्ष में हम एक विशेष दिन इसलिए मनाते हैं ताकि कुछ गंभीरताओं के प्रति ध्यान आकर्षित किया जा सके। प्रत्येक शिक्षक का यह कर्तव्य है कि पृथ्वी से जुड़े खतरों के प्रति बच्चों को जागरूक किया जाए। वह पृथ्वी जो हमें जल, वायु, भोजन जैसी मूलभूत जरूरत को शुद्धता के साथ प्रदान करती है जिनके उपभोग के कारण हम जीवित रह सकते हैं।पूरे यूनिवर्स में एकमात्र ग्रह के रूप में जहां जीवन की प्रगति विज्ञान के चरम के रूप में हम देखते हैंवह हमारी प्यारी पृथ्वी है । इसी पृथ्वी में रहकर मनुष्य ने न केवल पृथ्वी के विभिन्न तत्वों को समझा , अपने मस्तिष्क और विश्लेषण क्षमता के आधार पर अंतरिक्ष के विभिन्न ग्रहों उपग्रह पर भी अपना परचम लहराया है।

आज हमारी पृथ्वी इसमें निवास करने वाले सबसे बुद्धिमान प्राणी मनुष्य के विज्ञान की प्रगति के नकारात्मक पहलुओं के तहत, वायुमंडलीय प्रदूषण के कारण हम ग्रीन हाउस गैस के इफेक्ट, ओजोन परत डिप्लीशन, ग्लोबल वार्मिंग के तहत समुद्र के जल स्तर का लगातार बढ़ाना को देख रहे हैं ।प्रगति के नाम पर लगातार पेड़ों की कटौती और नए पेड़ों का परिपक्व ना होना जहां वायु प्रदूषण ,जल और मृदा प्रदूषण को बढ़ावा दे रहे हैं वही विज्ञान की प्रगति ने रॉकेट और मोटर गाड़ियां तो दे दी पर उसी के साथ सांस लेने की हवा में भी प्रदूषण फैला दिया। विभिन्न माध्यमों से फैलाए गए गंदे धुएं और जहरीली गैसें ने वायु प्रदूषण के रूप में हरी भरी पृथ्वी को मटमैला किया है।

आज स्थिति गंभीरता की तरफ जा रही है ना तो शुद्ध पीने का पानी उपलब्ध है और ना ही पेड़ों में उगने वाले फल– फूल और सब्जी ही विभिन्न प्रकार के प्रदूषण से बच पा रही हैं ,खेतों में उगाया जाने वाला अनाज पेस्टिसाइड से प्रदूषित हो चुका है तो वहीं विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों से होते हुए हवा भी जहरीली हो चुकी है।

जिस पृथ्वी ने हमें प्रकृति के साथ सामंजस्य करने के लिए बुद्धि की एकाग्रता और तीक्षणता प्रदान की आज हम मनुष्य अपनी प्रगति के माध्यम से ,स्वार्थ के माध्यम से और ज्यादा से ज्यादा वस्तुओं के दोहन की इच्छा से पृथ्वी द्वारा प्रदत्त संसाधनों का दोहन, शोषण , दुरुपयोग कर रहा हैं जिससे यह संभावना बनी है कि आने वाली पीढियां के लिए पांच तत्वों की शुद्धता से उपलब्धता दुर्लभ हो जाएगी।
पृथ्वी के गर्भ में पाए जाने वाले खनिज लवण और बेस कीमती तत्वों को हम खुद केलिए निकाल रहे हैं तो वहीं पेट्रोल डीजल और कोयले के रूप में लगातार खनन के माध्यम से दोहन का व्यापार जोरों से कर रहे हैं। आने वाली पीढियां के लिए इस बेस कीमती संपदा से कुछ बचेगा इसकी किसी को चिंता नहीं है।सस्टेनेबल डेवलपमेंट ( पृथ्वी द्वारा प्रधानता तत्वों का ऐसा प्रयोग जिससे आने वाली पीढ़ियां के लिए भी स्वच्छ उपलब्ध हो सके )की अवधारणा किताबों में तो है पर दोहन की सीमितता के स्तर पर लागू नहीं है। इन सब से भी ज्यादा खतरनाक मनुष्य ,वैज्ञानिक युग में खतरनाक इन्वेंशन लाया “प्लास्टिक” के रूप में,जो आज हर प्रकार के तत्व में मिलकर प्रदूषण फैल रही है।

आज महती आवश्यकता है कि हम आने वाली पीढियां को पृथ्वी दिवस के अवसर पर जागरूक करें ।पॉलिथीन के निर्माण और उसके इस्तेमाल पर रोक लगे तथा ज्यादा से ज्यादा कपड़े के थैलों का इस्तेमाल किया जाए । पॉलिथीन की उपयोगिता खत्म हो जाए और हम वापस नॉन डिग्रेडेबल प्लास्टिक को छोड़कर कपड़े के थैलों की तरफ लौट आए ।यदि कागज और बेकार की वस्तुओं का उपयोग करना सीख जाए तो वह दिन दूर नहीं जब हम प्रदूषण को काफी कम कर सकेंगे। यह काम भारत की भावी पीढ़ी ही कर सकती है अतः हमें विभिन्न माध्यमों से बच्चों को जागरूक करना होगा। एक शुभ पल के तहत अन्य जनप्रतिनिधियों को भी सरोजनी नगर के विधायक डॉ राजेश्वर सिंह जी से सीख लेते हुए ज्यादा से ज्यादा कपड़े के थैलो को गांव, समाज, विद्यालय विभिन्न सोसाइटियों और बच्चों तक वितरित करना होगा। सरोजिनी नगर विधानसभा के सौ से ऊपर स्कूलों में हजारों झूले वितरित किए गए और बच्चों को पॉलिथीन से दूर रहने की शिक्षा दी गई।

बच्चे यदि ठान लें कि प्रदूषण को रोकना है ,जल को अनायास बर्बाद होने से रोकता है, ज्यादा से ज्यादा पेड़ों को लगाना है, फलदार पेड़ों के रोपण और उनकी रक्षा करनी है जब तक उनमें फल न लग जाए तो वह दिन दूर नहीं जब हमारी पृथ्वी हरी भरी और चारों तरफ प्राकृतिक दृश्य से खिलखिलाती हुई नजर आएगी।

पृथ्वी दिवस के अवसर पर प्राथमिक विद्यालय अलीनगर खुर्द के कक्षा तीन, चार, पांच के बच्चों ने खेल, नाटक और कविताओं के माध्यम से इस दिवस को मनाया और प्रासंगिकता को समझा। बच्चों ने विद्यालय के परिसर को प्रत्येक शनिवार एक छोटे पौधे के रोपण के साथ सजाने कासंकल्प लिया। शिक्षिका रीना त्रिपाठी ने बताया कि परिसर में एक समय में एक भी पेड़ नहीं हुआ करता था जो था उसे ग्राम प्रधान ने कटवा लिया था फिर बच्चों ने और विद्यालय के स्टाफ ने मिलकर विद्यालय परिसर हरा भरा करने का संकल्प लिया और अभियान के तहत आम ,जामुन अमरूद, पकरी, शीशम, अर्जुन, आंवले ,नीम के पौधे लगाए जो आज बड़े पेड़ बन गए है। फूलों की क्यारियां बनाने में बच्चों ने भी सहयोग किया बच्चों को पेड़ों के पीछे छुप कर अमरूद के पेड़ों और जामुन के पेड़ों के फलों को खाकर बहुत आनंद आता है और वह सब इस प्राकृतिक वातावरण में अपने बचपन के खुशनुमा पल बिताते हैं। पृथ्वी दिवस के इस आयोजन के अवसर पर विद्यालय स्टाफ रीना त्रिपाठी ,नसीम सेहर ,सतीश कुमार उपस्थित रहे।

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Reena Tripathi

(Reporter)

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