लाहौल स्पीति (हिमाचल प्रदेश)। प्रदेश का एक ऐसा जिला जहां छात्रवृति के नाम पर बच्चो ंके साथ भददा मजाक करते हुए उन्हें मात्र आठ रूप्ये दिये जा रहे है। हैरानी की बात तो यह है कि जहंा वर्ष 156 मे छात्रवृति योजना के तहत बच्चों के 2 रूप्ये की धनराशि दी जाती थी वही वर्ष 1994 में इसमें मात्र छह रूप्ये की ही बढोत्ती की गयी जबकि विद्यालय के अध्यापकों को पचास हजार रूप्ये तक का वेतन दिया जा रहा है।
मामला प्रदेश के लाहौल स्पिीति का है जहां कक्षा प्रथम से लेकर पांचवी तक के छात्रो को एक विषेश पैटर्न लाहौल स्पीति पैर्टन के तहत छात्रवृति प्रदान की जाती है। हैरानी की बात तो यह है िकइस पैर्टन के तहत मिलने वाली छात्रवृति मात्र आठ रूप्ये होती है और वह भी वर्ष के मात्र दस माह में ही दिया जाता है। खास बात तो यह है कि मिल रही जानकारी के अनुसार यह छात्रवृति वर्ष 1956 में निर्धारित की गयी थी उस समय इसकी धनराषि मात्र दो रूप्ये थी जबकि वर्ष 1994 तक इसमें शर्मनाक बढोत्तरी करते हुए इसे आठ रूप्ये कर दिया गया और तबसे बच्चों को आठ रूप्ये ही छात्रवृति मिल रही है।
शर्म करने वाली बात तो यह है कि लाहौल स्पीति के लगभग 1200 छात्रो को मिलने वाली इस छात्रवृति की धनराशि में वृद्वि की बात की जाये तो वर्ष 1956 से लेकर वर्ष 1994 अर्थात 65 वर्षो में इसे मात्र छह रूप्ये बढाया गया। जबकि इन विद्यालयो ंमे ंपढाने वालें अध्यापको को 50000 रूप्ये तक का वेतन दिया जा रहा है। जबकि वर्ष 1956 में इन अध्यापको को वेतन मात्र 14 रूप्ये होता था। बताया जा रहा है कि लाहौल की 112 विद्यालयों के 672 तथा स्पीति के 69 विद्यालयों के 495 कुल 1167 बच्चो केा यह छात्रवृति प्रदान की जाती है। लाहौल स्पीति के दर्जनों जन प्रतिनिधियो सहित आम जनता ने छात्रवृति के नाम पर किये जा रहे इस भददे मजाक को या तो बन्द किये जाने या फिर इसे सम्मानजनक बनाये जाने की मांग की है।
व्ही इस मामले पर लाहोैल के उप शिक्षनिदेशक सुंरजीत राव ने बताया कि इस विषय पर उपायुक्त लाहौल स्पीति का जैसा भी आदेश होगा उसका अनुपालन