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आज भी खेतों मे मजदूरी करते हैं मोदी सरकार के इस मंत्री के माता पिता

बेटे की कामयाबी पर गर्व लेकिन खुद कमा कर खाना चाहते हैं मां बाप

तमिलनाडू। मोदी सरकार ने हाल ही मेें अपने मत्रीमण्डल विस्तार में किस तरह जमीन से जुडे लोगों को प्राथमिकता दी है इसका जितना बडा उदाहरण अपने बचपन में पश्चिम बंगाल के चाय बागानों में मजदूरी करने वालें जान बार्ला हैें उतना ही बडा उदाहरण तमिलनाडू के प्रदेश अध्यक्ष और अब राज्य मंत्री के रूप् मे ंकार्य भार संभालने वाले एल मुरूगन हैंे जिनके माता पिता आज भी अपनें गांव के खेतों मे ंमजदूरी करते है।

अपने बचपन में चाय बागानों मे मजदूरी करते करते उनके हितों के लिए लडकर आज केन्द्रीय मत्रीमण्डल मे जगह बनाने वाले जान बार्ला के बारे मे तो समाचार वार्ता आपकेां पूर्व मे ही बता चुका हैं आज हम बात करने वाले हैं एल मुरूगन की। तलिमनाडू के नामक्कल जिले के गंांव कोन्नूर के निवासी एल मुरूगन को मोदी सरकार में मतस्य पालन, पशुपालन तथा सूचना एवं प्रौद्यौगिकी विभाग के राज्यमंत्री का पदभार दिया गया है। भाजपा के एक छोटे से कार्यकर्ता के तौर पर राजनीति मे आये एल मुरूगन ने सफर तय करते करते प्रदेश अध्यक्ष से आज केन्दीय मंत्रीमंण्डल मे जगह बना ली है। परन्तु आपको आश्चर्य होगा कि मोदी सरकार मे मत्री पद पर आसीन इस व्यक्ति के मंा और पिता दोनेां खेतो में आज भी मजदूरी कर अपना जीवन यापन करते है। ऐसा भी नही है कि मुरूगन ने उन्हें छोड दिया हो या फिर उनका ख्याल न रखते हों। आज भी मुरूगन अपने माता पिता के उतने ही करीब हैं जितने वह मंत्री या फिर प्रदेश अध्यक्ष बनने के पहले थे।

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अपनी खुददारी और स्वयं कमा कर खाने की चाहत मुरूगन के माता पिता को मेहनत करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। स्थानीय मीडिया की मानें तो जब मुरूगन के मंत्री बनने के बाद उनके माता पिता से बात करने के लिए मीडिया की एक टीम उनके गावं पहुची तो उस समय भी उनकी माता एक खेत से खर पतवार निकालन का काम कर रही थी तो उकने पिता पास ही में जमीन को सममतल करने का काम कर रहे थे।

इतना ही नही उन लोगों से बात करने के लिए मीडिया को खेत के मालिक से अनुमति भी लेनी पडी। खास बात तो यह है कि उकने माता पिता की सादगी ऐसी है कि उन्हें यह तक नही पता कि मंत्री पद बडा है या फिर प्रदेश अध्यक्ष पद। मुरूगन के मंत्री बनने के बाद उनके पिता ने उनसे फोन कर पूछा था कि इन मे से कौन सा पद बडा है। जब उनके पिता से बात की गयी तो उन्होेनें बताया कि उनका बेटा पढाई मे बहुत ही होनहार था। उसकी पढाई की शुरूआत सरकारी स्कूल से ही हुयी थी, बाद मे उसने चेन्नई के अम्बेडकर लां कालेज से कानून की पढाई की थी। पिता ने याद करते हुए बताया कि उसकी पढाई के लिए पैसे अपने दोस्तो ंसे उधार लेना पडा था।

मुरूगन की 58 वर्षीय मां एल वरूदम्मल ने बताया कि मंत्री बनने के बाद मुरूगन ने उन्हे दिल्ली रहने के लिए बुलाया था हम लोग गये थे लेकिन उसकी व्यस्त्ता के चलते हम कुूछ ही दिनों मंे वापस आ गये। मां एल वरूदम्मल तथा पिता लोगनाथन ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि उनका बेटा इतने बडे पद पर पहुचं गया है ये हमारे लिए बडे सौभाग्य की बात है।

इस सवाल पर कि अब तो आपका बेटा इतने बडे पद पर पहुच गया है फिर भी आप लोग मजदूरी क्यों कर रहे हो पर उनका जवाब था कि हमे अपने बेटे से अलग जिन्दगी पसंद है, पसीना बहाकर कमाये गये पैसे की रोटी खाना हमे अच्छा लगता है।

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राजेंद्र सिंह

राजेंद्र सिंह (सम्पादक)

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