सत्ता प्राप्ति का संसाधन बन कर रह गए हैं देश के अन्नदाता
दिल्ली : विधानसभा चुनाव के बाद तीन राज्यों के सत्ता में आयी कांग्रेस सरकार ने तीनों राज्य के किसानो का कर्ज माफ कर दिया है | कर्ज माफ की घोषणा कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में पहले ही की थी | जिसको अभी धरातल पर लाना शेष है | उम्मीद की जा रही थी की घोषणा के मुताबिक जल्द हि कर्ज माफ हो जायेगा | इसे ऐसे हम भी कह सकते है कि कांग्रेस का कर्ज माफ करना मजबूरी भी है 2019 में लोकसभा चुनाव होने वाले है | जिसमें किसानो को खुश करना लाजमी है | मध्यप्रदेश ,राजस्थान , छत्तीसगढ़ के किसानों का कर्ज माफ़ हो जायेगा | अन्य राज्यों के किसान उतने भाग्यशाली नहीं हैं और उन्हें साल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव का इंतज़ार करना पड़ेगा |
उम्मीद की जाती है कि कर्ज माफी व्यवस्था से वास्तव में दुखियारे किसानों को अधिकतर फ़ायदा पहुंचेगा | सवाल करना जरुरी है कि ‘सरकार से’ कि क्या कर्ज माफी से किसान की सारी समस्या खत्म हो जायेगी | ये सवाल हमें किसानों से भी पूछना चाहिये जिनका कर्ज माफ हो रहा है | जवाब हमे सरकार से पहले किसान देंगे वो भी “नहीं” में ही देंगे | ये किसान मॉनसून के भरोसे होते हैं और उनकी फसल को सरकार के न्यूनतम समर्थन मूल्य का फायदा नहीं मिलता है |
ज्यादातर राज्यों में गेहूं, अनाज और गन्ना किसानों को उचित मूल्य का भरोसा दिया जाता है| हालांकि गन्ना किसानों को भुगतान के लिए लंबा इंतज़ार करना पड़ता है | जबकि अन्य फसलों की कीमत “बाजारों के तागतों” के अधीन होती हैं | लिहाजा बहुत से किसान ऐसे है जिन्हें अपने राज्य की कर्ज माफी लिस्ट में किन तरह के फसलों के लिय कर्ज माफ है वो भी नहीं मालूम ऐसे में कर्ज माफ नहीं हो पायेगा |
जिन्हें चूंकि किसी राज्य में फसल के अनुसार कर्ज माफी का आंकड़ा जारी नहीं किया गया है | कई तरह की फसल उगाने वाले किसानों को मिलने वाली कर्ज माफी के बारे में भी जानकारी उपलब्ध नहीं है| बैंक और सरकारें फसलों के आधार पर कर्ज का ब्योरा जारी नहीं करती हैं | ऐसे में हम ये नहीं जानते कि हाल के सालों में कर्ज माफ़ी का अधिकतम फ़ायदा किसे मिला है |अगर राज्य विस्तृत आंकड़े जारी करें तो शोधकर्ताओं के लिए विश्लेषण करना और किसानों की समस्याओं का हल खोजने में कर्ज़ माफ़ी के प्रभाव के बारे में उपयुक्त सबक सीखना संभव हो सकता है | भारतीय कृषि की समस्या सिर्फ कर्ज़ माफ़ी से ही दूर नहीं होने वाली फसलों के उपयुक्त विभिन्न जलवायु के मुताबिक समाधान अलग हो सकते हैं | कृषि कर्ज़ माफ़ी की अंधाधुंध घोषणा के बजाय राजनीतिक दल ये वादा करें कि वो भारत के अधिकांश हिस्सों पर असर डालने वाले पानी की कमी की समस्या का हल करेंगे, तो ये ज़्यादा फायदेमंद होगा | अगर किसानों को अच्छी आमदनी हो, तो कर्ज माफी की ज़रूरत नहीं पड़ेगी |