हरतालिका तीज का व्रत हिन्दू धर्म में सबसे बड़ा व्रत माना जाता हैं। यह तीज का त्यौहार भाद्रपद मास शुक्ल की तृतीया तिथि को मनाया जाता हैं.
यह आमतौर पर अगस्त – सितम्बर के महीने में आता है। इसे गौरी तृतीया व्रत भी कहते है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं. ये व्रत निराहार और निर्जला किया जाता है. हरतालिका तीज हरियाली और कजरी तीज के बाद मनाई जाती है. हरतालिका तीज व्रत हिन्दू धर्म में सुहागिन महिलाओं द्वारा रखा जाने वाला अत्यंत कठिन और अति शुभ फलदायी व्रत माना गया है.
ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री का कहना है, ”इस अद्भुत और सुख समृद्धि से भरपूर हरतालिका तीज पर इस वर्ष रवियोग का संयोग बन रहा है, जो 14 वर्ष बाद चित्रा नक्षत्र के कारण बन रहा है. यह समय काल 9 सितंबर दोपहर 2 बजकर 30 मिनट से अगले दिन 10 सितंबर 12 बजकर 57 मिनट तक रहेगा. हरतालिका तीज अति शुभ समय शाम 5 बजकर 16 मिनट से शाम को 6 बजकर 45 मिनट तक. वहीं शुभ समय 6 बजकर 45 मिनट से 8 बजकर 12 मिनट तक है. अत: हरतालिका व्रत की पूजा के समय रवियोग रहेगा. ”
हरतालिका तीज का शुभ मुहूर्त:
प्रातःकाल हरितालिका व्रत पूजा मुहूर्त- सुबह 6 बजकर 3 मिनट से सुबह 8 बजकर 33 मिनट तक
प्रदोषकाल हरितालिका व्रत पूजा मुहूर्त- शाम 6 बजकर 33 से रात 8 बजकर 51 मिनट तक
तृतीया तिथि प्रारंभ- 9 सितंबर 2021, रात 2 बजकर 33 मिनट से
तृतीया तिथि समाप्त- 10 सितंबर 2021 रात 12 बजकर 18 तक
ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री का यह भी कहना है कि हरतालिका तीज पर पूजन के दौरान महिलाएं काले, नीले और बैंगनी रंग के वस्त्र न पहनें. लाल, महरूम, गुलाबी, पीले और हरे रंग के वस्त्रों को पहनकर पूजा करें. महिलाएं विधि पूर्वक पूर्व अथवा उत्तर दिशा की और मुख करके मां पार्वती और भगवान शिव का पूजन करें. वहीं इस बार हरतालिका तीज गुरुवार के दिन पड़ने के कारण भगवान विष्णु की भी कृपा प्राप्त होगी.
खासतौर पर महिलाओं द्वारा यह त्यौहार मनाया जाता हैं परन्तु अविवाहित लड़कियों के लिए भी हरतालिका का यह व्रत श्रेष्ठ समझा गया हैं। विधि-विधान से हरितालिका तीज का व्रत करने से जहाँ कुंवारी कन्याओं को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है, वहीं विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य मिलता है.
हरतालिका तीज में भगवान शिव, माता गौरी एवम गणेश जी की पूजा का महत्व हैं. यह व्रत निराहार एवं निर्जला किया जाता हैं. शिव जैसा पति पाने के लिए कुँवारी कन्या इस व्रत को विधि विधान से करती हैं.
हरितालिका तीज का व्रत महिला प्रधान है. इस दिन महिलायें बिना कुछ खायें -पिये व्रत रखती है. यह व्रत संकल्प शक्ती का एक अनुपम उदाहरण है. संकल्प अर्थात किसी कर्म के लिए मन मे निश्चित करना कर्म का मूल संकल्प है. इस प्रकार संकल्प हमारी आंतरिक शक्तियों का सामूहिक निश्चय है. इसका अर्थ है-व्रत संकल्प से ही उत्पन्न होता है. व्रत का संदेश यह है कि हम जीवन मे लक्ष्य प्राप्ति का संकल्प लें. संकल्प शक्ति के आगे असंम्भव दिखाई देता लक्ष्य भी संम्भव हो जाता है. अपने इसी संकल्प शक्ति के माध्यम से माता पार्वती ने जगत को दिखाया की संकल्प शक्ति के सामने ईश्वर भी झुक जाता है.
इस व्रत में मुख्य रूप से माता पार्वती और शिवजी की पूजा की जाती है. ज्योतिष सेवा केंद्र मुम्बई के संस्थापक ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री के अनुसार इस दिन यदि कुछ खास उपाय किए जाएं तो कुंवारी लड़कियों को उनका मनचाहा पति मिल सकता है. विवाहित महिलाएं ये उपाय करेंगी तो उनके घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहेगी.
ये उपाय इस प्रकार हैं…
1. हरितालिका तीज की शाम को शिव-पार्वती के मंदिर में जाकर पूजा करें और शुद्ध घी के 11 दीपक लगाएं। इस उपाय से कुंवारी लड़कियों को मनचाहा जीवनसाथी मिल सकता है.
2. कुंवारी ब्राह्मण कन्या को उसके पसंद के कपड़े दिलवाएं और साथ में कुछ उपहार भी दें.
3. माता पार्वती को हल्दी की 11 गाँठ चढ़ाने से लड़की के विवाह के योग बन सकते हैं.
4. भगवान शिव-पार्वती का अभिषेक दूध में केसर मिलाकर करें. इससे भी पति-पत्नी में प्रेम बना रहता है.
5. इस दिन पति-पत्नी सुबह उठकर स्नान आदि करने के बाद किसी शिव-पार्वती मंदिर में जाएं और लाल फूल अर्पित करें.
6. हरितालिका तीज पर पूजा करने के बाद देवी पार्वती को खीर का भोग लगाएं.