सिताबदियारा की यात्रा तीर्थयात्रा से कम तो नहीं….
लोकनायक जयप्रकाश नारायणका महाप्रयाण 8अक्तूबर,1979को हुआ था यानि कि उनके महाप्रयाणके 42 वर्ष हो गए। ध्यान आता है-राष्ट्रीयकवि रामधारी सिंह दिनकर उनको 42क्रांति का अग्रदूत कहते थे।42क्रांति से उनका आशय 1942क्रांति यानि कि गांधीजीके ‘अंग्रेजों!भारत छोड़ो!’आन्दोलनसे था।
मैंने 1973में मैट्रिक पास किया था।1974-77के दौर में चला संपूर्ण क्रांति आंदोलनका केन्द्रीय स्थल पटना ही था और इस दौरमें मैं पटना में ही कॉलेज छात्र रहा।संपूर्ण क्रांति आंदोलनका मेरे व्यक्तित्व और कृतित्व पर गहरा असर रहा है,इसलिए लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जन्मस्थली सिताबदियाराका महत्व मेरे जीवनमें वही महत्व है,जो हिन्दी साहित्यकारों के लिए प्रेमचंद की जन्मस्थली लमही या बांग्ला साहित्यकारोंके लिए गुरूदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुरकी जन्मस्थली जोराशांको का है।लेकिन,यह मेरा दुर्भाग्य रहा कि मेरे जैसा घुमक्कड़ 2010 तक सिताबदियारा तक नहीं पहुंच पाया।
मैं यह जानता था कि हरिवंश भैया(वर्तमान उपसभापति,राज्यसभा और पूर्व प्रधान संपादक,प्रभात खबर) तकरीबन हर जेपी जयन्तीको अपने पैतृक गांव सिताबदियारामें रहते हैं। हरिवंश भैया और लोकनायक जयप्रकाश नारायण दोनों एक ही गांव सिताबदियारा के मूलनिवासी हैं।अक्तूबर,2011के पहले सप्ताहमें पता चला कि लालकृष्ण आडवाणी 38दिनों की अपनी जनचेतना रैलीकी शुरुआत सिताबदियारा से शुरू करनेवाले हैं।हरिवंश भैयाको फोन लगाता हूं-
जयप्रकाश जयन्तीके दिन भैया कहां रहब?
-गांव प-हरिवंश भैया का ज़बाब था।
-त,एह बार राउर दर्शन ओहिजे करब।
डाल्टनगंज से मैं 8अक्तूबर को ही निकल लेता हूं। मैं अपने साथ छोटे भाई अनिल को भी घसीटता हूं।9अक्तूबर को हमलोग भित्तिहरवा(प.चंपारण)में होते हैं,10अक्तूबर को डॉ राजेन्द्र प्रसाद की जन्मस्थली जीरादेई में।10अक्तूबर का रात्रिविश्राम छपरा में करता हूं और हरिवंश भैयाको सूचित करता हूं-हम छपरा तक पहुंच गइल बानी।काल्ह सुबह राउर दर्शन होखी।
11अक्तूबर,2011को सुबह उठकर सामान्य टेम्पोसे मांझी पहुंचता हूं।मांझीसे सिताबदियारा तक रिजर्व टेम्पो।रास्ते भर हरिवंश भैयाका फोन आता रहा, कहां तक पहुंचलs?
सिताबदियारा पहुंचकर जनचेतना यात्राके निमित्त बनाए गए मंचके नजदीक पहुंचकर हरिवंश भैयाको फोन करता हूं-अब बताईं,राउर दर्शन कहां होखी?
-मंच के पास ही क्रांति मैदान बा।ओहीजे आ जा!
क्रांति मैदान पहुंचकर हरिवंश भैया का दर्शन करता हूं।हरिवंश भैया बलियाके सांसद विरेन्द्र सिंह मस्त (1991,98,2014 और 2019)से परिचय करवाते हैं।हरिवंश भैया बताते हैं-27टोलों में पसरा यह गांव सिताबदियारा दो राज्यों-बिहार और उत्तरप्रदेश-के तीन जिला-आरा(भोजपुर),बलिया और छपरा(सारण)की सीमाओं में आता है।
पता चलता है-सिताबदियारामें आज ही बिजली पहुंची है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिजली का उद्घाटन करते हैं।राजस्व वसूली का एक नये प्रयोगका भी शुभारंभ भी उस दिन हुआ-यानि कि बिजली बिल वसूली की जबाबदेही पंचायतोंको दी गई।
क्रांति मैदान पहुंचकर ध्यान आया-संभवत: 1977के बाद भी जेपी अंतिम बार सिताबदियारा की अपनी जन्मभूमि को नमन करने और स्थानीय लोगों से मिलने आए थे।इसी क्रान्ति मैदानमें एक बड़ी सभा हुई थी।उस कार्यक्रम का जबर्दस्त रिपोर्ताज कुमार प्रशांतजीने लिखी थी।
थोड़ी ही देरमें आकाश में हेलीकॉप्टर नमूदार होता है और सब हेलीपैडकी ओर दौड़ते हैं।हैलीपेड पर हैलीकॉप्टर उतरता है।उसमेंसे लालकृष्ण आडवाणी, अरूण जेटली और सुषमा स्वराज उतरते हैं।आज अरूण जेटली और सुषमा स्वराज को याद कर दिल भर आ रहा है।हरिवंश भैया,मैं और अनिलजी हेलीकॉप्टरसे मंच तक पैदल चलते हुए आडवाणीजी, अरूण जेटली और सुषमा स्वराजके साथ-साथ ही आते हैं।मंचकी बांई ओर बने विशिष्ट दीर्घामें मेरे बाईं और हरिवंश भैया बैठते हैं और दाईं ओर अनिलजी।मंच पर जिन लोगों को रहना है,उनके नामों की घोषणा मंच से होती है, उनमें हरिवंश भैया का नाम भी शामिल है।हरिवंश भैया मंच पर जाने में दिलचस्पी नहीं लेते।आखिरकार,मंचके कोने पर आकर सुशील मोदी हरिवंश भैया को व्यक्तिगत तौर पर पुकारते हैं,मंच से एक विशिष्ट आयोजक उतरकर हरिवंश भैया को लिवाने आते हैं, लेकिन हरिवंश भैया हाथ जोड़कर माफी मांग लेते हैं-नहीं, नहीं! यहीं रहने दीजिए,पंकज मेरे पास ही आए हैं न।
यह मेरे लिए अत्यंत गौरवपूर्ण क्षण है,सिताबदियारा की धरती,लालकृष्ण आडवाणी,अरूण जेटली,सुषमा स्वराज, नीतीश कुमार,सुशील कुमार मोदी जैसे विशिष्ट हस्तियों से भरा मंच को छोड़कर हरिवंश भैया जैसा असाधारण प्रतिभाकी शख्सियत मुझे बगल में बैठे होने को प्राथमिकता दें रहा है।
मंच पर विशिष्ट वक्ता आडवाणी,अरूण जेटली,सुषमा स्वराज के सम्मान में कसीदे पढ़ रहा है,आडवाणीजी की अन्यान्य यात्राओं और उनकी उपलब्धियोंका ब्योरा प्रस्तुत करता है।
अपने संक्षिप्त किन्तु सारगर्भित भाषणमें आडवाणी बताते हैं कि यूपीएके कार्यकालमें लोकतंत्रकी महिमा और गरिमा घटी है।पता नहीं, मोदीराज के 7सालों पर आडवाणीजी की क्या प्रतिक्रिया है।
आडवाणीजी की मंडली के प्रस्थान के बाद हम और अनिल जी लाला टोला स्थित लोकनायक जयप्रकाश नारायण के पुस्तैनी घर भी जाते हैं।
……सिताबदियारा से लौटते हुए एक तीर्थयात्रा कर लेने का एहसास मन में उत्फुल्लता प्रदान करता है।
पंकज कुमार श्रीवास्तव
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