28जनवरी,2017को भाजपाके तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाहने उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव,2017के लिए चुनाव घोषणापत्र जारी किया था,जिसे लोक कल्याण संकल्पपत्र,2017 नाम दिया गया था।अमित शाहने वादा किया था कि भाजपा उत्तरप्रदेशमें सत्तामें आई,तो उसे बिमारू राज्य की श्रेणीसे बाहर निकाल लिया जाएगा।1981-90के दशकमें प्रसिद्ध आर्थिक सांख्यिकी विश्लेषक आशीष बोसने तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधीको अपने प्रतिवेदनमें कहा था कि बिमारू राज्योंके खराब प्रदर्शनके कारण राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है।बिमारू टर्मिनालॉजी उन्होंने BIhar,Madhya Pradesh, Rajasthan और Uttar Pradesh- के प्रारंभिक अक्षरों BIMARUको मिलाकर गढ़ा था।इस बातको हुए कोई साढ़े तीन दशक हो गए,इस दौरान सन् 2000ई में तत्कालीन बिहार,मध्य प्रदेश और उत्तरप्रदेश-का विभाजनकर झारखंड,छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड तीन नए प्रदेश अस्तित्वमें आ चुके हैं,कई प्रदेशोंने सकल घरेलू उत्पादके स्तर पर खासी प्रगति की है और अब यह प्रदेशोंका कोई वर्ग नहीं रहा।……और!जब वर्गीकरण ही नहीं रहा,तो उससे बाहर निकलने की जद्दोजहद कैसी?
सन् 2010में राष्ट्रीय प्रजनन दर 2.5के विरुद्ध बिहारका प्रजनन दर 3.9,उत्तरप्रदेशकाका 3.5, मध्यप्रदेशका 3.2 और राजस्थानका 3.1 रहा था।जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघके सरसंघचालक मोहन भागवत हिन्दूओंको ज्यादा बच्चे पैदा करनेकी सीख देते हों,तो उत्तरप्रदेशकी प्रजनन दर किस ऊंचाई तक पहुंची।
2011की जनगणनाके मुताबिक जब राष्ट्रीय साक्षरता दर 74.04% थी,तो उत्तरप्रदेशकी साक्षरता दर 71.7% थी।उत्तरप्रदेशको बिमारू राज्योंकी श्रेणीमें वर्गीकृत किए जानेकी वजह राष्ट्रीय जीवन प्रत्याशाकी तुलनामें उत्तरप्रदेशकी कम जीवन प्रत्याशा भी थी।
आइए!बीजेपीके घोषणा पत्र-लोककल्याण संकल्प पत्र- 2017के कुछ महत्वपूर्ण बिन्दुओंकी चर्चा की जाए।
1.उस संकल्प पत्रमें राममंदिर अहम मुद्दाथा।सरकार बनने पर सांवैधानिक तरीकेसे राममंदिर निर्माणका संकल्प व्यक्त किया गया था।
1984तक रामजन्मभूमि मुक्ति और श्रीराममंदिर निर्माण आरएसएस और भाजपाके एजेंडेमें कहीं था नहीं।रामजन्मभूमि मुक्ति आंदोलनको गोरखनाथपीठके महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवैद्यनाथने दशकों तक अपना तन-मन-धन,खून पसीना बहाया।श्रीराममंदिर निर्माणका प्रस्ताव 1983में 5बार कांग्रेसी विधायक रहे दाऊदयाल खन्नाने मुजफ्फरनगरमें आयोजित हिंदू सम्मेलनमें रखा था।यही नहीं,18जून,1984को जब दिगंबर अखाड़ा,अयोध्यामें रामजन्मभूमि मुक्ति अभियान समितिका गठन हुआ तो उसके संयोजक और कर्ताधर्ता महंत अवैद्यनाथ और यही कांग्रेसी विधायक दाऊदयाल खन्ना थे।1984में जब सीतामढ़ी से अयोध्या के लिए रथयात्रा निकली,तो उसके कर्ताधर्ता भी महंत अवैद्यनाथ और यही दाऊदयाल खन्ना थे।लेकिन,आरएसएस अपने चरित्रके अनुरूप हर उस प्रयोगको लपकनेकी कोशिश करती है,जिसमें उसे सत्ता हासिल होनेकी संभावना दिखती हो और ऐसा ही आरएसएसने तब भी किया था।आरएसएसकी इस महात्वाकांक्षाके संवाहक बने भाजपाके तत्कालीन अध्यक्ष आडवाणी।
अपनी स्थापना कालसे ही आरएसएस हिन्दू हितका ढकोसला-राग गाता रहा है,लेकिन इसे लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और महामना पं.मदनमोहन मालवीय जैसे हिन्दुत्वके संवाहक मनीषियोंका व्यक्तित्व और कृतित्व कभी अच्छा नहीं लगा।इसके उलट इसे हिटलर और मुसोलिनीकी नस्लीय नीति अच्छी लगी। आरएसएस सावरकरकी पुस्तक’हिन्दुत्व’को खासा महत्व देता है,लेकिन किसी भी स्वयंसेवकको सावरकर के नेतृत्ववाले राजनैतिक संगठन हिन्दू महासभामें जाने के लिए अभिप्रेरित नहीं किया।
5अगस्त,2020को मोदीजी द्वारा अयोध्यामें श्रीराममंदिर का शिलान्यास रामजन्म भूमिमुक्ति अभियान और श्रीराममंदिर निर्माणके आंदोलनमें 1949से ही गोरखपुर के महंतों दिग्विजयनाथ और अवैद्यनाथके अप्रतिम योगदानको नकारना है।
सुप्रीम कोर्टके निर्देश पर भारत सरकारने जो मंदिर निर्माण ट्रस्टका गठन किया,उस पर भूमि-क्रयके क्रममें घोटालोंके जो गंभीर आरोप लगे और उस पर दिल्ली की मोदी सरकार और यूपीकी योगी सरकारने जिस प्रकार चुप्पी साध रखी है,उसने भाजपाके चाल चरित्र और चेहरासे हर नकाब उतार फेंका है।
2-सभी लघु एवं सीमांत किसानोंका फसली ऋण माफ किया जाएगा।किसानोंको ब्याज मुक्त फसली ऋण दिया जाएगा।भविष्यमें गन्ना किसानोंको फसल बेचनेके 14दिनोंके भीतर पूरा भुगतान सुनिश्चित किया जाएगा।सरकार बननेके बाद 120दिनोंके भीतर बैंकों और चीनी मिलोंके समन्वयसे गन्ना किसानोंकी बकाया राशिका पूर्ण भुगतान कराया जाएगा।2022तक
उत्तरप्रदेशके किसानोंकी कृषि आमदनीको दोगुना करने के लिए एक विस्तृत रोडमैप तैयार किया जाएगा।
पिछले साढ़े चार सालमें यह संकल्प आधा-अधूरा ही रहा।प्रदेश अभूतपूर्व किसान आन्दोलनसे दो-चार हो रहा है।
3.एक महत्वपूर्ण संकल्प था कि गरीब छात्रोंकी उच्च शिक्षाके लिए 500करोड़ रुपयेके बाबासाहेब आंबेदकर छात्रवृत्ति कोषकी स्थापना की जाएगी।
यह संकल्प पूरा नहीं हुआ।
4.प्रदेशकी सभी लड़कियोंको अहिल्याबाई कन्या निशुल्क शिक्षाके अंतर्गत स्नातक स्तर तककी शिक्षा नि:शुल्क प्रदान की जाएगी।कॉलेजमें दाखिला लेने पर प्रदेशके सभी युवाओंको जाति और धर्मके भेदभावके बिना मुफ्त लैपटॉप दिया जाएगा।इसमें एक सालके लिए एक जीबी डाटा भी मुहैया कराई जाएगी।
भाजपाका यह संकल्प भी आधा-अधूरा ही है।
5.प्रदेशके कॉलेजों और विश्वविद्यालयोंमें ‘शोध एवं विकास’पर विशेष जोर दिया जाएगा।प्रदेशमें अंतर्राष्ट्रीय स्तरके 10नए विश्वविद्यालयोंकी स्थापना की जाएगी।
योगी सरकारने इस संकल्प पर अपेक्षित ध्यान नहीं दिया।
6.प्रदेशके सभी शिक्षामित्रोंकी रोजगार समस्याको 3 महीनेमें न्यायोचित तरीकोंसे सुलझाया जाएगा। शिक्षामित्रोंकी समस्या तो नहीं ही सुलझी,उल्टे कोरोना कालमें पंचायत चुनावके दौरान डेढ़ हजार शिक्षक मर गए।
7.प्रदेशमें एक नए महामना पं मदन मोहन मालवीय संस्कृत विश्वविद्यालयकी स्थापनाकी जाएगी।
यह संकल्प अभी तक अधूरा है।
8.1000 करोड़ रुपयेके स्टार्ट-अप वेंचर कैपिटल फंड की स्थापना की जाएगी।
9.प्रदेशकी प्रत्येक तहसीलमें आधुनिक कौशल विकास केंद्र की स्थापना की जाएगी।
यह संकल्प पूरा नहीं हुआ।
10.90दिनोंके भीतर राज्य सरकारके सभी रिक्त पदों के लिए भर्तीकी पारदर्शी प्रक्रिया शुरूकी जाएगी।
सरकार एक झूठा दावा करती है कि 4.5लाख लोगों को सरकारी नौकरी मिली।लेकिन,इतनी रिक्तियोंके लिए विज्ञापन ही नहीं निकले।
11.अगले 5वर्षोंमें 70लाख रोजगार एवं स्व-रोजगारके अवसर उत्पन्न किए जाएंगे।
इस संदर्भमें योगी सरकार विश्वसनीय तथ्य प्रस्तुत नहीं करती।
12.सभी लोगोंको समयबद्ध,तेज व सुलभ न्यायका अधिकार दिया जाएगा।
योगी सरकार-ठोक दो-की नीति का निरंतर ऐलान करती रही है कि 150 तथाकथित अपराधियोंका एनकाउंटर किया गया,अपराधियोंके घर-मकानको बुलडोजर से ढाहा गया,1866करोड़की धन-सम्पति कब्जा की गई।ये एलान ही साबित करते हैं कि योगी सरकार कार्यपालिकाकी सीमामें नहीं रही,उसने न्यायपालिकाके अधिकार क्षेत्रका अतिक्रमण किया।और इस संकल्प पर योगी सरकार का परफॉर्मेंस निहायत खराब है।
13.प्रदेशके हर ब्लॉक पर गोदाम और कोल्डस्टोरेजकी व्यवस्था होगी।3सालमें हर किसानके पास सॉइलकार्ड होगा।आवारा पशुओंसे फसलको नुकसान नहीं हो,इसके लिए जरूरी इंतजाम किया जाएगा।
यह संकल्प पूरा नहीं हुआ।
14.सरकार आने पर हर खेतको पानी देनेके लिए 20000करोड़से ‘मुख्यमंत्री कृषि सिंचाई फंड’ बनेगा।
यह संकल्प पूरा नहीं हुआ।
15.मत्स्यपालनको बढ़ावा देने और उससे जुड़े लोगोंके कल्याणके लिए 100करोड़का कोष और एक मत्स्य पालक कल्याण फंड बनेगा।जैविक खेतीको बढ़ावा देने के लिए जैविक प्रमाणीकरण संस्था गठितकी जाएगी।
यह संकल्प पूरा नहीं हुआ।
16.उत्तरप्रदेशको ‘फूडपार्क राज्य’के रूपमें विकसित किया जाएगा।फूडप्रोसेसिंग पर आधारित लघु उद्योगोंको ब्याज मुक्त ऋण दिया जाएगा।गन्नेसे सीधे इथेनॉल बनाएका प्रयोगात्मक प्रयत्न किया जाएगा,ताकि किसानों को सही मूल्य मिले।
यह संकल्प पूरा नहीं हुआ।
17.हर जिलेमें ‘एंटी भू-माफिया टास्कफोर्स’ स्थापित किया जाएगा।जिसके जरिए भू-माफियाओंकी ओरसे जब्तकी गई जमीनों को मुक्त कराया जाएगा।
यह संकल्प पूरा नहीं हुआ।
18.100हेल्पलाइन योजनामें व्यापक सुधार और विस्तार करते हुए तय किया जाएगा कि सूबेमें कहीं से भी कॉल करने पर 15मिनटमें पुलिस सहायता पहुंचाई जाए।
यह संकल्प पूरा नहीं हुआ।
19.सभी नागरिकोंकी सुरक्षा बगैर किसी जाति-धर्म भेदभावके होगी।FIR कराना आसान होगा।बेहतर निगरानीके लिए सभी पुलिस रेकॉर्ड डिजिटाइज किए जाएंगे।
उन्नौज कांड,हाथरस कांड,सोनभद्र कांड,लखीमपुर-खीरी कांड आदि साबित करते हैं कि यह संकल्प पूरा नहीं हुआ।
20.सांप्रदायिक तनावके चलते पलायन रोकनेको पुलिस का एक विशेष विभाग बनाया जाएगा।
योगी एलान करते हैं कि मैं ईद नहीं मनाता और मुसलमानोंके विरुद्ध विषवमन करते हैं,वह यह स्थापित करता है कि इस संकल्पके विरुद्ध उनकी उपलब्धि उल्लेखनीय कदापि नहीं है।
21.पांच सालके अंदर 24घंटे बिजली सुनिश्चित की जाएगी।
यह संकल्प अधूरा है।