गौ आश्रय स्थलों पर व्यवस्थाएं दुरुस्त न कराने पर 15 ग्राम प्रधानों को डीएम ने थमाई नोटिस
गोण्डा ! डीएम मार्कण्डेय शाही ने गो आश्रय स्थलों पर क्षमता के अनुरूप गौवंशों का संरक्षण न करने तथा वहां पर निर्देशानुसार व्यवस्थाएं दुरूस्त न कराने पर जिले के 15 ग्राम प्रधानों को नोटिस दी है। जिलाधिकारी ने विकासखण्ड बेलसर, तरबगंज व वजीरगंज के ग्राम प्रधानों को नोटिस थमाई है जिनमें बेलसर ब्लाक की ग्राम पंचायत आदमपुर की प्रधान, श्रीमती वंदना, बदलेपुर शिवकुमार, जफरापुर गनी मोहम्मद, ताराडीह भागीरथ, डिक्सिर श्रीमती विनय सिंह, गंगरौली चन्द्र गोपाल सिंह, सेमरी कलां श्रीमती साधना सिंह तथा विकासखण्ड वजीरगंज अनभुला श्रीमती मालती देवी, मझारा श्रीमती ननकुना, गेडसर खुशीराम, हजरतपुर श्रीमती सुमतताजी, तरबगंज चन्दीपुर श्रीमती सुन्दरपति, बनगांव मंजीत सिंह, विशुनपुर मदन मोहन दूबे तथा परास पट्टी मझवार के ग्राम प्रधान नेबकू शामिल हैं।
जिलाधिकारी श्री शाही ने बताया कि उत्तर प्रदेश के समस्त ग्रामीण व शहरी स्थानीय निकायों जैसे ग्राम पंचायत क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम में अस्थायी गोवंश आश्रय स्थल की स्थापना व संचालन नीति प्रख्यापित की गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में अस्थायी गोवंश आश्रय स्थलों की स्थापना, क्रियान्वयन, संचालन व प्रबंधन के अनुश्रवणार्थ प्रशासकीय व्यवस्था हेतु विकासखण्ड स्तरीय अनुश्रवण, मूल्यांकन एवं समीक्षा समिति का गठन किया गया है, जिसमें ग्राम प्रधान सदस्य नामित हैं।
शासन द्वारा गठित समिति के कर्तव्य एवं दायित्व निर्धारित किये गये हैं जिसके तहत विकासखण्ड के समस्त ग्राम सभाओं में जहां निराश्रित व बेसहारा गोवंश की समस्या है, में अस्थायी आश्रय स्थल हेतु उपलब्ध गोचर भूमि का प्रबंधन, ग्रामवासियों के सहयोग से गोवंश को आश्रय में लाये जाने की व्यवस्था करना, संरक्षित गोवंश हेतु चारा-दाना, पीने के पानी की व्यवस्था करना, संरक्षित गोवंश की समुचित चिकित्सा व्यवस्था, अन्य पशुपालन सम्बन्धित कार्यों को पूर्णतः निःशुल्क, चारा बीज प्रबन्धन, सिंचाई व्यवस्था आदि कराना, आश्रय स्थल की सुरक्षा, लाइट की व्यवस्था करना, समस्त संरक्षित गोवंश का लेखा-जोखा रखना एवं टैग लगवाना, मृत पशुओं का निःशुल्क शव विच्छेदन कर निस्तारण की कार्यवाही नियमानुसार किया जाना, यदि किसी कृषक या पशुपालक द्वारा किसी गोवंश को क्रय किया जाता है तो समिति द्वारा निर्धारित कीमत पर बिक्री करना तथा यह सुनिश्चित करना कि पशु उक्त क्रेता के पास ही रहे तथा उसका उपयोग दुग्ध उत्पादन व कृषि कार्य के लिए ही किया जा रहा है तथा गोवंश के विक्रय से होने वाली आय ग्राम निधि की आय होगी जो पशुओं के भरण-पोषण में ही प्रयोग की जा सकेगी।
उन्होंने कहा कि प्रायः देखने में आ रहा है कि ग्राम पंचायत क्षेत्र के आस-पास निराश्रित गोवंश इधर-उधर सड़कों, मार्गों, सार्वजनिक स्थानों व खेतों में विचरण करते हुए पाये जाते हैं। गोआश्रय स्थल में गोवंशों के रहने का प्रबन्धन ठीक नहीं है तथा ग्राम पंचायतों में गौ-आश्रय स्थल शत-प्रतिशत पूर्ण नहीं है तथा गौ-आश्रय स्थल में निराश्रित गोवंश की संख्या उसकी क्षमता से काफी कम है। वर्तमान समय में शीत ऋतु प्रारम्भ हो चुकी है। यदि ग्राम पंचायतों में गौ-आश्रय स्थल निर्मित व निर्माणाधीन, संचालित नहीं है, उसे तत्काल पूर्ण कराकर संचालित कराया जाय तथा गौ-आश्रय केन्द्र में निराश्रित गोवंश की क्षमता से कुछ अधिक संख्या में गोवंश रखा जाय एवं उनकी देखभाल भी सुचारू रूप से किया जाना नितांत आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि यह भी संज्ञान में आया है कि विकासखण्ड तरबगंज में एक भी गौ-आश्रय केन्द्र संचालित नहीं है, चूंकि ग्राम पंचायत के ग्राम निधि खाते का संचालन भी ग्राम प्रधान व सचिव द्वारा ही किया जाता है, इसलिए ग्राम पंचायत स्तर पर गौ-आश्रय स्थल का संचालन एवं रखरखाव की जिम्मेदारी ग्राम प्रधान के सहयोग से ही संभव है, जिसमें ग्राम प्रधानों द्वारा कोई रुचि नहीं ली जा रही है, जिससे गौ-आश्रय केन्द्र एवं उनमें निराश्रित गोवंशों की हालत अत्यंत ही दयनीय है। जिलाधिकारी ने सभी ग्राम प्रधानों को नोटिस जारी कर ग्राम पंचायत में संचालित गौ-आश्रय स्थल निर्मित, निर्मार्णाधीन व संचालित नही है, उसे तत्काल पूर्ण कराकर संचालित कराया जाय तथा गौ-आश्रय केन्द्र में निराश्रित गोवंश की क्षमता के अनुरूप संख्या में गोवंश रखकर उनकी देख-भाल सुचारू रूप से कराना सुनिश्चित करें, जिससे गोवंश इधर-उधर सड़कों, खेतों व सार्वजनिक स्थानों पर विचरण न करें, साथ ही गौ-आश्रय स्थल के संचालन में बरती गई लापरवाही के सम्बन्ध में अपना लिखित सुस्पष्ट व विस्तृत स्पष्टीकरण साक्ष्य सहित उनके समक्ष 15 दिवस के भीतर प्रस्तुत करें। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि निर्धारित समय सीमा के अन्तर्गत कोई लिखित सुस्पष्ट प्रत्युत्तर एवं स्पष्टीकरण सुसंगत साक्ष्यों के साथ नहीं प्राप्त होता है, तो उ0प्र0 पंचायती राज अधिनियम, 1947 में निहित प्राविधानों के अन्तर्गत विधि अनुरूप कार्यवाही करते हुए प्रधान पद से पदच्युत कर दिया जायेगा।