राष्ट्रीय व्यवसाय

बैंक ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए वित् मंत्री को बजट के लिए कुछ सुझाव

Written by Vaarta Desk

24 दिसम्बर को देश जब राष्ट्रिय उपभोक्ता दिवस मना रहा है, वॉयस ऑफ़ बैंकिंग ने वित् मंत्री को आगामी बजट में बैंक के ग्राहकों से सम्बंधित निम्नलिखित सुझाव दिए हैं।

बैंक डिपोजिटर्स के 5 लाख से ज्यादा जमा राशि के लिये भी डिपाजिट बीमा के लिए विशेष बीमा पालिसी की आवयश्कता

वित् मंत्री द्वारा पिछले बजट में बैंक ग्राहकों के लिए जमा राशि के लिए डिपाजिट बीमा की सुविधा को 1 लाख से बढ़कर 5 लाख कर दिया था । इससे बैंकों के ग्राहकों को बड़ी राहत मिली है और वह अपने को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। जिन ग्राहकों की जमा राशि 5 लाख से अधिक है और उनको लगता है कि उनकी बैंकों में जमा राशि सुरक्षित नहीं है उनके लिए एक विशेष डिपाजिट बीमा की शुरुआत करनी चाहिए जिसके द्वारा ग्राहक 5 लाख से अधिक की अपनी जमा राशि को कुछ प्रीमियम देकर सुरक्षित रख सकते हैं। हम लोग अपने स्वास्थ्य, मकान, गाड़ी, एयर ट्रेवल और ट्रेन ट्रेवल के लिए भी बीमा पालिसी लेते हैं । ऐसे में यदि सरकार बैंक डिपोजिट के लिए भी विशेष बीमा पालिसी की शुरुआत करती है तो कुछ प्रीमियम देकर लोग बैंकों में अपने डिपोजिट को भी सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं। सरकार के इस कदम से ग्राहकों को राहत महसूस होगी वहीँ बैंकों से ग्राहक अपनी जमापूंजी दूसरी जगह जेसे चिटफंड, क्रिप्टो करेंसी, शेयर मार्किट या ऐसे अन्य जगह पर इन्वेस्ट नहीं करेंगे ।

बैंकों के ग्राहकों द्वारा ज्यादा इनकम के लालच में गलत जगह इन्वेस्ट करने से रोकने के लिए बैंकों में डिपोजिट पर ब्याज दरों को कम न किया जाय* : रिजर्व बैंक लोन लेने वालों को राहत देने के नाम पर डिपोजिट पर भी ब्याज दरों को कम करता जा रहा है इससे उन ग्राहकों के लिए बहुत मुश्किल होती जा रही है जो डिपोजिट पर ब्याज के द्वारा ही अपना जीवन यापन कर रहे हैं। अगर इसी तरह ब्याज दरें कम होती रहीं तो लोग अपनी जमापूंजी को बैंकों से निकाल कर चिटफंड, क्रिप्टो करेंसी, शेयर मार्किट या ऐसे अन्य जगह पर इन्वेस्ट करने को मजबूर होंगे, जिससे बैंकों से जमाराशि तो निकलेगी ही साथ ही गलत जगह इन्वेस्ट करने से लोगों को भी भारी नुक्सान हो सकता है। इसलिए सरकार इस तरफ भी ध्यान दे।

बैंकों के ग्राहकों के लिए शिकायत दर्ज करने के लिए एकीकृत शिकायत पोर्टल की आवश्यकता

रिजर्व बैंक को ग्राहकों की सुविधा के लिये एकीकृत शिकायत पोर्टल को सभी बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के ग्राहकों की सभी तरह की शिकायतों के लिये भी शुरू करना चाहिये । अभी किसी भी तरह की शिकायत के लिए ग्राहक सम्बंधित बैंक में अपनी शिकायत करता है, ज्यादातर ग्राहक अपनी शिकायत को बैंक की शाखा, ग्राहक शिकायत केन्द्र, क्षेत्रिय कार्यलय, अंचल कार्यलय, प्रधान कार्यलय और बैंकों के चेयरमैन तक को अलग अलग कर देते हैं, जिससे एक ही शिकायत पर सभी जगहों पर अलग अलग कार्यवाही शुरू हो जाती है और एक ही शिकायत के लिए बैंकों की मैनपावर का नुक्सान होता है । यदि बैंकों के लिए भी एकीकृत शिकायत पोर्टल की शुरुआत होती है तो ग्राहक किसी भी बैंक की शिकायत एक पोर्टल पर करेगा और उस पोर्टल से शिकायत को सम्बंधित बैंक को भेज दिया जायेगा और ग्राहकों को शिकायत के लिय अलग अलग अधिकारीयों और कार्यालयों को भेजना नहीं पड़ेगा । इससे बैंकों की कार्यक्षमता में भी लाभ होगा। इस एकीकृत शिकायत पोर्टल में शिकायत दर्ज होने के बाद यदि एक निश्चित समय में शिकायत का समाधान नहीं होता तो ऐसी शिकायत अपने आप भारतीय रिजर्व बैंक की एकीकृत लोकपाल योजना के पोर्टल पर चली जाएगी जिससे ग्राहक को 30 दिनों में शिकायत का समाधान न होने की स्थिति में अलग से शिकायत नहीं करनी पड़ेगी।

बैंकों में एक दिन में सेंकडो शिकायतें आती हैं और अलग अलग जगहों बैंक की शाखा, ग्राहक शिकायत केन्द्र, क्षेत्रिय कार्यलय, अंचल कार्यलय, प्रधान कार्यलय और बैंकों के चेयरमैन को भेजने से सेंकडों शिकायतें हजारों में तबदील हो जाती हैं। एकीकृत शिकायत पोर्टल से जहाँ कम कर्मचारियों के साथ बैंक शिकायतों का समाधान कर सकेंगे वहीँ ग्राहक पोर्टल के द्वारा अपनी शिकायत की स्थिति की जानकारी भी ले सकेंगे।

अभी जो शिकायतें बैंकों में आती हैं उनमे से अधिकतर एटीएम और पास बुक प्रिंटिंग सम्बंधित होती हैं, यदि बैंक इन दोनों की अच्छी मशीनें और उनकी देखभाल के लिय अच्छी कंपनी के साथ AMC करते हैं तो 50% से ज्यादा शिकायतें आयेंगी ही नहीं।

आशा है बजट में वित् मंत्री हमारे उपरोक्त सुझावों पर ध्यान देंगी और बैंकों और बैंकों के ग्राहकों के हितों को ध्यान में रखते हुए कुछ निर्णय लेंगे ।

अशवनी राणा

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