नोट बंदी के 6 वर्ष के बाद एक बार फिर देश में नकदी रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गई है। आरबीआई के मुताबिक नवंबर 2016 में जहाँ ये आंकड़ा 17.7 लाख करोड़ रूपये था। 21 अक्टूबर 2022 तक जनता के बीच मौजूद नकदी 30.88 लाख करोड़ रूपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। हालाँकि नकदी के बदने के पीछे जीडीपी में बढ़ोतरी और राजकोषीय घाटा भी कारण हैं, लेकिन यूपीआई पेमेंट में रिकॉर्ड वृद्धि के बाद नकदी में लगभग 72 से बढ़ोतरी चिंता का विषय है।
नोटबंदी के बाद डिजिटल लेनदेन यानी मोबाइल वॉलेट, यूपीआई जैसे ऑनलाइन माध्यमों का जो चलन बढ़ा, उससे चेक, ड्रॉफ्ट, डिपॉजिट विदड्रॉल फॉर्म से जमा-निकासी बेहद कम हो गई है। अक्टूबर 2022 में 7 अरब से ज्यादा लेनदेन हुए हैं. इसके जरिये 12 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का ट्रांजैक्शन हुआ है।
देश में बढ़ती नकदी के पीछे करोना के दोरान लोगों द्वारा घर में नकदी को रखने का चलन भी एक कारण हो सकता है। लेकिन आये दिन सरकारी एजेंसियों इनकम टेक्स, प्रवर्तन निदेशालय आदि द्वारा मारे गये छापों में करोड़ों की नकदी मिलना दर्शाता है कि अभी भी काले धन के कितने कुबेर इस देश में हैं। सरकार को नकदी में इस वृद्धि को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि फिर से नोट बंदी की आवश्यकता न पड़े ।