अध्यक्ष पर लगा नियमों के उल्लंघन का आरोप
लिए गए निर्णयों पर रोक, सभी अधिकार भंग
गोण्डा/नई दिल्ली। अपने निर्वाचन के साथ ही विवादों में आये भारतीय कुश्ती संघ पर आखिरकार मोदी सरकार का हंटर चल ही गया, पहलवानों का विरोध और अध्यक्ष द्वारा नियमों के पालन में असफल रहने को लेकर नवनिर्वाचित पूरी कार्यकारिणी को भंग करते हुए खेल मंत्रालय द्वारा उसके सभी अधिकारों पर रोक लगा दी गई है।
अब सरकार की उस कार्यवाही के कारण को पहलवानों का विरोध मना जाये या फिर अध्यक्ष द्वारा नियमों का उल्लंघन या फिर पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह का बड़बोलापन फिलहाल जो भी हो सरकार के इस बड़े निर्णय से जहाँ एक तरफ देश के खिलाड़ी ख़ासकर कुश्ती के खिलाडियों में ख़ुशी की लहर है वही देश का एक बड़ा वर्ग भी निर्णय के साथ खड़ा नज़र आ रहा है, हैरानी इस बात को लेकर है की खेल मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार कार्यवाही अध्यक्ष द्वारा नियमों की अवहेलना को लेकर है जबकि माना ये जा रहा है की बजरंग पुनिया द्वारा अपने अवार्ड को वापस करने, साक्षी मालिक द्वारा अपने जूतों को मेज पर रख कुश्ती से सन्यास लेने की बात को सरकार ने गंभीरता से लेते हुए कार्यवाही की है।
अगर ऐसा है तो सरकार इस बात को छुपा कर अध्यक्ष द्वारा नियमों की अवहेलना की बात को सामने क्यों रख रही है ¿ हालांकि सरकार की इस कार्यवाही से एक बात जरूर सामने आई की सरकार बिना किसी के दबाव में आये कार्यवाही करने के अपने वादे पर अभी भी पूरी तरह कायम है। खेल मंत्रालय ने जहाँ फ़ेडरेशन को भंग किया वही उसके लिए गए अबतक के सभी निर्णयों पर भी अगले आदेश तक रोक लगा दी है।
नवनिर्वाचित अध्यक्ष संजय सिंह ने गोण्डा में अंडर 15 और अंडर 20 के कुश्ती खिलाडियों की प्रतियोगिता आयोजित की थी जिसपर भी रोक लगा दी है।
इस पूरे प्रकरण में सबसे महत्वपूर्ण बात ये है की खिलाड़ियों और फ़ेडरेशन के सतत चल रहे विवाद में जहाँ खिलाड़ियों का प्रदर्शन प्रभावित हो रहा है, प्रतियोगितायें प्रभावित हो रही हैं, भारतीय कुश्ती संघ की छवि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर धूमिल हो रही हैं जिसका प्रमाण पिछले दिनों फ़ेडरेशन कु मान्यता रद्द होने के रूप में सामने भी आ चुकी है इतना ही नहीं इन सभी के चलते मोदी सरकार की प्रतिष्ठा पर भी अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आघात लग रहा है।
सरकार को बहुत पहले ही इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए पूरे विवाद का पटाक्षेप कर देना चाहिए लेकिन न जाने किन विवशताओं के चलते मोदी सरकार ने विवाद को बढ़ने ही दिया, हस्तक्षेप किया भी तो महज औपचारिकता निभाते हुए। अभी भी समय है सरकार को विवाद के सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए जल्द से जल्द समस्या का स्थाई समाधान खोजते हुए खिलाड़ियों की पूर्ण संतुष्ट करना चाहिए क्योंकि यही खिलाड़ी अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के नाम को गौरव दिलाते हैं। किसी एक व्यक्ति के अहम् और महत्वकांक्षा के लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत और कुश्ती खिलाड़ियों के सम्मान से समझौता करना कहीं से भी उचित नहीं लगता।