आतंकवाद रोधी अभियानों का संचालन करने वाली एजेंसियों ने किया खुलासा
पाकिस्तान कश्मीर घाटी में सक्रिय आतंकियों को चीनी ग्रेनेड और परिष्कृत हथियार मुहैया करवा रहा है। जिससे कि उसपर भारत में विध्वंसक गतिविधियों में शामिल होने का आरोप न लग सके। यह जानकारी आतंकवाद रोधी अभियानों का संचालन करने वाली एजेंसियों ने दी है।
रिपोर्ट के अनुसार आतंरिक दस्तावेजों में लिखा है कि पिछले साल एक जनवरी से सुरक्षाबलों ने 70 चीनी ग्रेनेड को जब्त किया है। इसमें 64 2018 में और छह 2019 में जब्त हुए। दस्तावेज में कहा गया है कि सुरक्षाबलों ने आतंकियों से पिस्टल, कवचभेदी गोला-बारूद (एपीआई) और ट्रेसर राउंड बरामद किए हैं जोकि चीनी मूल के हैं।
दस्तावेज में लिखा है, ‘एपीआई माइल्ड स्टील और हार्ड स्टील से बने हैं जो भारतीय सुरक्षाबलों की बुलेटप्रूफ जैकेट में छेद कर सकते हैं। इसके इस्तेमाल ने सुरक्षाबलों के लिए एक नए तरह का खतरा पैदा कर दिया है।’
बीते 15 दिनों में एक दर्जन ऐसे मामले हुए हैं जिसमें प्रशिक्षित आतंकियों या आतंकी संगठनों के ओवर ग्राउंड वर्कर्स ने गश्त कर रहे दल, बंकर्स, वाहनों, सीआरपीएफ, अर्धसैनिक बल, जम्मू-कश्मीर पुलिस और भारतीय सेना के कैंप पर ग्रेनेड फेंके हैं।
कश्मीर घाटी में हालिया ग्रेनेड हमला मंगलवार को हुआ था। जब एक आतंकवादी ने त्राल क्षेत्र में नेशनल कांफ्रेस की चुनाव बैठक में ग्रेनेड फेंका था। सात मार्च को जम्मू अंतर-राज्यीय बस स्टैंड पर फेंके गए ग्रेनेड में दो लोगों की मौत हो गई थी और 32 लोग घायल हुए थे।
भारतीय पुलिस सेवा के एक अधिकारी जो आतंकवाद रोधी अभियानों में शामिल हैं, उन्होंने कहा, ‘इन हमलों में चीन और पाकिस्तान के ग्रेनेड का मिश्रित उपयोग किया गया लेकिन चीनी ग्रेनेड के इस्तेमाल में अचानक उछाल आया है।’
इस ट्रेंड की व्याख्या करते हुए अधिकारी ने कहा, ‘इससे पहले पाकिस्तानी ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में बने ग्रेनेड सभी आतंकी संगठनों को आसानी से उपलब्ध हो जाते थे। लेकिन अतंरराष्ट्रीय समुदाय में पाकिस्तान आतंकवाद फैलाने के मामले में बेनकाब हो चुका है। अब उसकी एजेंसियां और आतंकी संगठन चीनी मूल के हथियारों की तस्करी कर रहे हैं जिसपर चीनी ऑर्डिनेंस के कोई निशान नहीं होते हैं।’
अधिकारी ने आगे कहा, ‘चीनी ग्रेनेड कम तीव्रता वाले होते हैं लेकिन यह एक बुलेट के मुकाबले ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं। चीनी ग्रेनेड के इस्तेमाल करने का मुख्य उद्देश्य यह है कि पाकिस्तान नहीं चाहता कि जम्मू-कश्मीर में कोई भी ऐसा हथियार इस्तेमाल हो जिससे कि उस पर उंगली उठ सके। पाकिस्तान के लिए सुरक्षाबलों पर ग्रेनेड हमला करना आसान होता है क्योंकि इसके लिए किसी विशेष प्रशिक्षण की जरूरत नहीं होती।’