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जैन समुदाय ने घरों में पूजापाठ कर उल्लास से मनाई महावीर जयंती

लॉक डाउन का किया पालन

छतरपुर (मध्यप्रदेश) । जैन धर्मावलंबियों के 24 वें तीर्थंकर एवं जियो और जीने दो तथा अहिंसा परमो धरमाः का शाश्वत संदेश देने वाले भगवान महावीर स्वामी का 2619 वां जन्म कल्याणक (जन्म जयंती) लोक डाउन के चलते अपने अपने घरों में पूजा पाठ, रंगोली एवं रात्रि में दीप प्रज्जवलन तथा भजनों के साथ उल्लासपूर्वक मनाई। संयोगवश महावीर जयंती के पावन अवसर पर वैज्ञानिक संत आचार्य निर्भय सागर महाराज अपने सात मुनियों के संघ सहित अतिशय क्षेत्र डेरापहाडी पर विराजमान हैं।

आचार्यश्री ने श्रद्धालुओं से जानलेवा कोरोना वायरस से बचाव के लिए सरकार के निर्देशों एवं लोक डाउन का सख्ती से पालन करते हुए अपने अपने घरों में पूरे मनोयोग से पूजापाठ एवं आत्मदर्शन कर महावीर जयंती मानने का आव्हान किया था, जिसका पालन करते हुए जैन धर्मावलंबियों ने वैसा ही किया।

जैन समाज के डा सुमति प्रकाश जैन के मुताबिक आज सोमवार 6 अप्रैल 20 को भगवान महावीर स्वामी की जयंती पर लोक डाउन के चलते श्रद्धालुओं ने अपने अपने घरों में टीवी पर जैन धार्मिक चैनलों में भगवान महावीर स्वामी की पूजा – अभिषेक एवं अन्य धार्मिक अनुष्ठान देखते हुए खुद भी सभी धार्मिक अनुष्ठान पूरी धार्मिक प्रभावना के साथ निष्पादित किए। इस अवसर पर खास बात ये रही कि श्रद्धालुओं ने घरों में भी ऐसे समय

सामाजिक दूरी का पालन करते हुए एक दूसरे से दूरी बनाए रखी।
महावीर जयंती के पावन प्रसंग पर जैन समाज के युवाओं विक्की , प्रियंक, मयंक,पीयूष, शशांक,कविश,नितिन आदि ने लोक डाउन के ऐसे कठिन समय में दिन रात नागरिकों की सुरक्षा ड्यूटी में संलग्न पुलिस कर्मियों का आभार ज्ञापित करते हुए उन्हें स्वादिष्ट लंच पैकेट एवं जरूरतमंदों को फल प्रदान किए।

जैन समाज के अध्यक्ष जय कुमार जैन एवं महामंत्री स्वदेश जैन ने महावीर जयंती पर जैन समाज के सभी बन्धुओं एवं नगरवासियों को महावीर जयंती की बधाई देते हुए अतिशीघ्र कोरोना वायरस से मुक्ति की कामना की।


ज्ञातव्य है कि भगवान महावीर का जन्म करीब 26 सौ साल पहले (ईसा से 599 वर्ष पूर्व), वैशाली के गणतंत्र राज्य क्षत्रिय कुण्डलपुर में हुआ था। तीस वर्ष की आयु में महावीर ने संसार से विरक्त होकर राज वैभव त्याग दिया और संन्यास धारण कर आत्मकल्याण के पथ पर निकल गये। १२ वर्षो की कठिन तपस्या के बाद उन्हें केवलज्ञान प्राप्त हुआ।

भगवान महावीर ने अपने प्रवचनों में धर्म, सत्य, अहिंसा, ब्रह्मचर्य अपरिग्रह एवं क्षमा पर सबसे अधिक जोर दिया। त्याग ,संयम, प्रेम, करुणा, शील और सदाचार ही उनके प्रवचनों का सार था।
उन्होंने दुनिया को जैन धर्म के पंचशील सिद्धांत अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अचौर्य (अस्तेय) और ब्रह्मचर्य बताए हैं।

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राजेंद्र सिंह

राजेंद्र सिंह (सम्पादक)

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