– बच्चों को ना दें डिब्बाबंद दूध एवं कृत्रिम आहार: डॉ राम लखन
गोंडा। बच्चों में कुपोषण की दर को कम करने तथा बाल मृत्यु दर को रोकने के दृष्टिगत जनपद के सभी 2830 आंगनवाड़ी केंद्रों पर गर्भवती एवं धात्री महिलाओं तथा 2 वर्ष से कम आयु वाले बच्चों को मुफ्त में मिलने वाले डिब्बाबंद दूध और कृत्रिम शिशु ऊपरी आहार देने पर रोक लगा दी गयी है । यह जानकारी जिला कार्यक्रम अधिकारी आईसीडीएस मनोज कुमार ने दी ।
उन्होंने बताया कि इस संबंध में बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के निदेशक शत्रुघन सिंह द्वारा सूबे के सभी जिला अधिकारी, जिला कार्यक्रम अधिकारी व बाल विकास परियोजना अधिकारियों को पत्र जारी कर निर्देश दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान गर्भवती महिलाओं, धात्री माताओं, नवजात शिशुओं तथा बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण पर विशेष ध्यान दिया जाना है । प्रदेश सरकार बाल मृत्यु दर एवं कुपोषण को रोकने हेतु प्रतिबद्ध है ।
नवजात शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ रामलखन का कहना है कि छः माह तक सिर्फ स्तनपान, छः माह उपरांत माँ के दूध के साथ ऊपरी आहार तथा 2 साल तक आहार के साथ स्तनपान ही शिशु का सर्वोत्तम आहार है ।
उन्होंने कहा कि माँ का दूध शिशु के सर्वांगीण मानसिक और शारीरिक विकास हेतु अत्यंत आवश्यक है तथा छोटे बच्चों में डायरिया, निमोनिया एवं कुपोषण से बचाव में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, स्तनपान मोटापा एवं प्रसव के बाद होने वाले उच्च रक्तचाप व दिल संबंधी रोगों को भी अपेक्षाकृत कम करता है। इसके अलावा छः माह से पहले शिशुओं को डिब्बाबंद दूध तथा छः माह के बाद डिब्बाबंद आहार देने से बच्चों में मृत्यु दर का खतरा बढ़ सकता है । इसलिए कम से कम एक साल तक बच्चे को कृत्रिम आहार देने से बचना चाहिए ।
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा यह भी सलाह दी गयी है कि कोविड संक्रमण के दौरान मां स्तनपान कराने में सक्षम नहीं तो अपना दूध कटोरी में निकालकर चम्मच से पिला सकती हैं । यदि मां इतनी ज्यादा बीमार है कि दूध निकाल कर भी नहीं दे सकती है, तो स्तनपान कराने के लिए दूसरी महिला का सहयोग ले सकती है । प्रत्येक दशा में मुंह पर मास्क लगाना है और हाथों को साफ रखना है।