रिश्वत न मिलने पर अधिवक्ता के विरुद्ध की थी नियम के विपरीत कार्यवाही
गोण्डा ! भ्रष्टाचार व तानाशाह रवैए सें जनता का उत्पीड़न जैसे कारनामों सें सुर्खियों में बने रहने वाले निरीक्षक पर पुलिस अधिनियम के प्रावधानों के तहत जांच एवं कार्यवाही क्यों नही ?
मामला गोंडा जनपद का है जिसमें पूर्व उपजिलाधिकारी नितिन गौड़ के आदेश सें एक ही दिन दो फर्जी मुकदमा अधिवक्ता पंकज दीक्षित के विरुध्द कराया गया था जिसमें मुकदमा अपराध संख्या 473 /2019 की विवेचना निरीक्षक इंद्रजीत यादव को सौपी गयी थी जिसमें विवेचक इंद्रजीत यादव ने कथित अभियुक्त को दिनांक 02-09-2019 को जरिए 41 A की नोटिस के माध्यम सें सूचना दिया और शाम तक 20 हजार रूपए की व्यवस्था फाइनल रिपोर्ट लगाने के बावत मांग की गयी जिसकी अदायगी सें मना करने पर भ्रष्ट विवेचक ने बिना कोई अवसर प्रदान किय उसी दिन अर्थात जिस दिन नोटिस के माध्यम सें सूचना दी गयी उसी दिन चार्जशीट भेज कर अपने अनियमितता एवं तानाशाही का परिचय दे डाला ।
मामले की शिकायत डी. जी. पी तक हुई लेकिन रसूख और उच्चाधिकारियों के संरक्षण के वजह सें आज तक कोई कार्यवाही नही की गई, सूत्रों कि यदि माने तो इंद्रजीत यादव कप्तान का नजदीकी बताया जा रहा है लेकिन निरीक्षक खुद को डी. जी. पी का खास व मुलायम सिंह का रिश्तेदार बता रहा है, अब इससे यह प्रतीत होता है कि भ्रष्ट निरीक्षक जब घूस न पाने सें अधिवक्ता को बिना कोई अवसर दिय बगैर जिस दिन नोटिस दिया उसी दिन चार्जशीट भेज दिया तो अंदाजा लगाया जा सकता है आम जनता पर क्या कहर बरपाता होगा !
इस निरीक्षक का जिसको वर्तमान में कप्तान के द्वारा तरबगंज थाने का कमान सौप कर प्रभारी निरीक्षक के पद पर तैनात किया है, ऐसे ही भ्रष्ट पुलिस वालों सें आम जनता न्याय के लिए दर दर भटकने को मजबूर हो जाता है