- कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए एएनएम उपकेंद्रों, आंगनवाड़ी केंद्रों एवं सामुदायिक भवनों पर वीएचएसएनडी सत्रों का हुआ आयोजन
- गर्भवती महिलाओं और बच्चों को लगाये गए जीवन रक्षक टीके
- बार-बार हाथ धोने, साफ-सफाई रखने, पौष्टिक आहार लेने और अनावश्यक कहीं न आने-जाने की दी गयी जानकारी
गोंडा। कोरोना वायरस संक्रमण काल में स्वास्थ्य सेवायें ऐसे प्रभावित हुईं कि बच्चों और गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण भी बिल्कुल बंद हो गया । ऐसे में इन बच्चों और महिलाओं को कई घातक बीमारियां व संक्रमण लगने का खतरा कभी भी बढ़ सकता था, जिसे देखते हुए शासन द्वारा रेड जोन को छोड़कर अन्य जगहों पर टीकाकरण का काम शुरु किये जाने का निर्णय लिया गया तथा लगभग डेढ़ से दो महीने के बाद कोविड प्रोटोकॉल के साथ टीकाकरण का काम शरु कर दिया गया । अब जिले में हर बुधवार और शनिवार को एएनएम उपकेंद्रों, आंगनवाड़ी केंद्रों एवं सामुदायिक भवनों पर टीकाकरण का काम तेजी से किया जाने लगा है ।
इसी के क्रम में शनिवार को जिले के विभिन्न उपकेंद्रों एवं आंगनवाड़ी केंद्रों पर कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए वीएचएसएनडी सत्र का आयोजन किया गया । इस दौरान आशा, आशा संगिनी व आंगनवाड़ी के सहयोग से एएनएम द्वारा गर्भवती महिलाओं को टीटी एवं बच्चों बीसीजी, डीपीटी, पेंटा फर्स्ट/सेकंड/थर्ड डोज व अन्य जरूरी टीके लगाये गए ।
सीएचसी मनकापुर के अधीक्षक डॉ. मनोज कुमार ने बताया कि बच्चों में प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के लिए टीकाकरण अभियान तेज कर दिया गया है। हर सप्ताह के बुधवार और शनिवार को वीएचएसएनडी सत्र का आयोजन कर ग्राम स्तर पर टीकाकरण किया जा रहा है ।
उन्होंने बताया कि शनिवार को ब्लॉक भर में 30 वीएचएसएनडी सत्र आयोजित कर 141 गर्भवती महिलाओं एवं 318 बच्चों का टीकाकरण किया गया ।
उन्होंने बताया कि उपकेंद्र दिनकरपुर पर एएनएम अंजली शुक्ला द्वारा पांच गर्भवती महिलाओं और दो बच्चों को टीका लगाया गया। वहीं हरनाटायर में एएनएम शकुंतला सिंह व मीना गौतम द्वारा चार गर्भवती महिलाओं एवं बीस बच्चों का टीकाकरण किया गया ।
दिनकरपुर में टीकाकरण सत्र के पर्यवेक्षण के दौरान अधीक्षक डॉ मनोज ने वहां उपस्थित महिलाओं और उनके घरवालों को टीकाकरण के कई फायदे गिनाये । उन्होंने बताया कि टीकाकरण से बच्चों में रोग प्रतिरक्षण प्रणाली विकसित होती है और उनमें रोगों से लड़ने की क्षमता का विकास होता है। टीकाकरण से बच्चों में पोलियो, टीबी, गलघोंटू, निमोनिया, खसरा, डायरिया व अन्य कई संक्रामक बीमारियों की वक्त रहते रोकथाम हो जाती है । उन्होंने कहा कि गर्भवती महिला को भी लगाए जाने वाले टिटनस के टीके जच्चा-बच्चा को टिटनस व अन्य गंभीर बीमारियों से बचाया जा सकता है । साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि बच्चों को जुकाम या बुखार होने पर उन्हें टीका नहीं लगाया जाता है लेकिन यदि जुकाम व बुखार दो दिन में न जाए, तो डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
You must be logged in to post a comment.