सुरक्षित मातृत्व पर सुमा (एसयूएमएए) अभियान बना गर्भवती महिलाअेां का मददगार
जयपुर (राजस्थान)। कोरोना महामारी के दौरान गर्भवती महिलाअेां कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा है। समय पर परामर्श नही मिल पाना इस दौरान सबसे बड़ी चुनौति उभरकर सामने आई। इसमें इन महिलाअेंा का साथ मिला कोविड -19 के दौरान सुरक्षित मातृत्व पर 10 जिलों में 21 जून से 7 जुलाई 2020 तक चले अभियान का। व्हाइट रिबन एलायंस इंडिया (डब्ल्यूआरएआई) व चेतना अहमदाबाद द्वारा दस जिलों में चलाए जा रहे इस अभियान में 15 हजार से अधिक गर्भवती महिलाअेां को गर्भावस्था, स्तनपान, प्रसव पूर्व देखभाल, सुरक्षित प्रसव, प्रसवोत्तर देखभाल, अनादर और कलंक तथा सकारात्मक बच्चे के जन्म के अनुभव जैसे विषयों पर आधारित सात लघु फिल्मों की श्रृंखला को साझा कर उन्हे परामर्श दिया गया। यह अभियान गर्भवती महिलाअेंा के लिए बेहद लाभप्रद रहा।
चेतना की निदेशक व राज्य समन्वयक, सुमा और परियोजना निदेशक, वी. स्मिता बाजपेयी ने बताया कि कोविड -19 के दौरान गर्भवती महिलाअेंा को कई तरह की पेरशानियेां का सामना करना पड़ रहा था। जिसके चलते इस अभियान का आगाज 10 जिलों में 21 जून 2020 से शुरु किया गया था। जिसमें राजस्थान के दस जिलों- बाड़मेर, चित्तौड़गढ़, दौसा, झुंझुनू, जोधपुर, जयपुर, करौली, राजसमंद, टोंक और उदयपुर को शामिल किया गया। इन जिलों में क्षेत्र आधारित भागीदार संगठनों के माध्यम से इस अभियान को आगे बढ़ाया गया।
उन्होने बताया कि कोविड -19 के दौरान यह सुनिश्चिित करने कि गर्भावस्था / प्रसव पर सबसे अद्यतित और साक्ष्य-आधारित जानकारी अग्रिम पंक्ति फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं, जमीनी स्तर की एजेंसियों, महिलाओं और समुदायों के लिए उपलब्ध हो सके।
सात लघु फिल्मों की श्रृंखला की तैयार
उन्होने बताया कि अस्पताल में डिलीवरी एंव सुरक्षित मातृत्व और कोरोना महामारी, डिलीवरी के बाद सावधानियां एंव सुरक्षित मातृत्व और कोरोना महामारी, दुर्व्यवहार और भेदभाव एंव सुरक्षित मातृत्व और कोरोना महामारी, प्रसव का सकारात्मक अनुभव एंव सुरक्षित मातृत्व और कोरोना महामारी, अस्पताल में डिलीवरी एंव सुरक्षित मातृत्व और कोरोना महामारी, महामारी में प्रसवपूर्व देखभाल एंव सुरक्षित मातृत्व और कोरोना महामारी और महामारी में गर्भावस्था द्यद्य सुरक्षित मातृत्व और कोरोना महामारी के अनुभव पर आधरित विडियो शामिल है।
इन फिल्मों को सोशल मीडिया के माध्यम से लागों और महिलाओं के साथ साझा किया गया। इन फिल्मों को लोग व्यक्तिगत रूप से और समूह में देखने के लिए स्मार्ट फोन और लैप टॉप का उपयोग करते हैं।
15 हजार महिलाअेां को दिखाई फिल्म
इस अवधि के दौरान गर्भवती, स्तनपान और प्रजनन आयु वर्ग की 15000 से अधिक महिलाओं को इन फिल्मों को दिखाया गया। फिल्मों को 3500 से अधिक अग्रिम पंक्ति /फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं (आशा, एएनएम, आंगनवाड़ी वर्कर्स) के साथ भी साझा किया गया है। जो इन फिल्मों का उपयोग अपने काम काज के दौरान महिलाओं के साथ चर्चा करने के दौरान कर रहे हैं। फिल्मों को ब्लॉक और जिला स्तर के स्वास्थ्य अधिकारियों और प्रशासकों के साथ भी साझा किया गया है।
वे बताती है कि इस अभियान के बारे में बहुत सारी प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है, क्योंकि इसने महामारी की स्थिति में महिलाओं और उनके परिवारों के डर को दूर करने और अद्यतन जानकारी देने में मदद की है। इसने अग्रिम पंक्ति फ्रंटलाइन वर्कर्स को महिलाओं और परिवारों की गर्भावस्था से संबंधित देखभाल करने में परामर्श देने में भी मदद की है।
“हमारे परिवार में एक साधारण मोबाइल फोन है। यह फोन अधिकतर समय मेरे पति के पास ही रहता है। मुझे हमारे घर आए स्ंवयसेवी संस्था के कार्यकर्ताओं के फोन पर फिल्में / वीडियो देखने को मिलीं। यह वीडियो एक गर्भवती महिला पर बनाया गया था जो गर्भावस्था के दौरान अपने चेकअप को लेकर चिंतित थी। मैं भी इसी तरह की परेशानी और समस्या से गुजर सकती थी, क्योंकि लॉक डाउन के दौरान मैं भी इस तरह के चेकअप केंद्र में जाने से डरती थी। मुझे अपने और अपने बच्चे के स्वास्थ्य के बारे में भी चिंता थी और डर सताता था। जैसा कि फिल्म में दिखाया गया था मैंने नर्स दीदी से संपर्क किया और उन्होंने मुझे मेरे और मेरे बच्चे के स्वास्थ्य के बारे में आश्वस्त किया। (उदयपुर जिले से सुमन (काल्पनिक नाम)गर्भवती महिला का संदेश )
“ ये वीडियो देखने में मजेदार थे। कहानियां दिलचस्प थीं और संदेश हमें राहत देने के लिए बहुत उपयोगी थे क्योंकि हम में से अधिकतर चेकअप के लिए केन्द्र जाने से डर रहे थे।
झुंझुनू की संतोष (काल्पनिक नाम) इन फिल्मों का राज्यभर में दिखाए सरकार राज्य समन्वयक, सुमा और परियोजना निदेशक, चेतना के निदेशक वी. स्मिता बाजपेयी ने बताया “ये फिल्में छोटी और देखने में रोचक हैं तथा संबंधित मामले में अद्यतन जानकारी प्रदान करती हैं। इन्हें व्हाइट रिबन एलायंस इंडिया द्वारा विकसित किया गया है और मैं चाहता हूं कि राजस्थान सरकार के चिकित्सा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग इन फिल्मों को अपनाए और यह सुनिश्चित करे कि ये संदेश राज्य की सभी महिलाओं और समुदायों तक पहुंचे।
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