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इस साल बाद होली पर बन रहा है विशेष योग, आइये जानते हैं क्या है खास ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री से

इस वर्ष होली 29 मार्च को मनाई जा रही है। रंगों से भरपूर इस त्यौहार की यूँ तो कई बातें हैं जो सिर्फ इस त्यौहार को ही नहीं बल्कि सभी के रिश्तों को खास बनाती है। लेकिन साथ ही इस वर्ष होली पर एक खास योग बन रहा है जिसे ध्रुव योग कहा जाता है। ध्रुव योग का अर्थ है कि इस दिन कन्या राशि में चंद्रमा का गोचर होगा। वहीं, मकर राशि में गुरु और शनि विराजमान रहेंगे। इसके अलावा शुक्र और सूर्य मीन राशि में रहेंगे। वृषभ राशि में मंगल और राहु, कुंभ राशि में बुध और वृश्चिक राशि में केतु होंगे। अतः इस योग के बनने से इस बार होली का महत्व बहुत ज्यादा हो जाता है।

शुभ मुहूर्त:

होलिका दहन मार्च 28, रविवार

होलिका दहन मुहूर्त-
शाम 6 बजकर 37 मिनट से रात 8 बजकर 56 मिनट तक
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ- मार्च 28, रविवार सुबह 03 बजकर 27 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्त- मार्च 29, सोमवार रात 12 बजकर 17 मिनट पर

ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री के अनुसार विशेष यह है कि दशकों बाद होली पर सूर्य, अर्यमा व ब्रह्मा की साक्षी रहेगी। यह दुर्लभ संयोग है। यह योग देश में शांति स्थापित करवाने में सफल माना जाता है तथा साथ ही व्यापार के लिए भी हितकारी होता है। यह भी मान्यता है कि इससे लोगों में टकराव समाप्त होगा। आम तौर पर हर वर्ष जब सूर्य, कुंभ राशि में और चंद्र, सिंह राशि में होता है, तब होली मनाई जाती है। ज्योतिष गणना के अनुसार इस वर्ष होली पर बन रहे इस विशेष योग का फ़ायदा भी विशेष है। इसके बारे में क्रमानुसार बता रहे हैं ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री।

(1) घर में कोई शारीरिक कष्टों से पीड़ित है ओर उसको रोग छोड़ नहीं रहे है तो 11 अभिमंत्रित गोमती चक्र बीमार ब्यक्ति के शरीर से 21 बार उसार कर होली की अग्नि में डाल दें, शारीरिक कष्टों से शीघ्र मुक्ति मिल जायेगी।

(2) दुर्भाग्य को दूर करने के लिए होली के दिन से प्रारंभ करके लगातार 41 दिन तक बजरंग बाण का पाठ करे।

(3) होली की राख को घर लाकर उसमें थोडी सी राई व नमक मिलाकर रख लें। इस प्रयोग से भूतप्रेत या नजर दोष से मुक्ति मिलती है।

(4) होली पर पूरे दिन अपनी जेब में काले कपड़े में बांधकर काले तिल रखें। रात को जलती होली में उन्हें डाल दें। यदि पहले से ही कोई टोटका होगा तो वह भी खत्म हो जाएगा।

(5) जो लोग राहु केतु के दोषों से पीड़ित है वे लोग होली में काले तिल अवश्य चढ़ाना चाहिए। इससे राहु केतु के दोषों में आराम मिलता है।

(6) अगर आपको कोई दुश्मन परेशान कर रहा है तो उसके नाम के अक्षरो के बराबर गोमती चक्र लेकर उस पर दुश्मन का नाम लिखकर होली की आग मे डाल दें, दुश्मन से छुटकारा मिल जाएगा।

(7) अगर व्यापार मे रुकावट आ रही है तो होलिका दहन की रात को होली की आग से व्यापार स्थान पर धूप दें, व्यापार सुचारू रूप से चलने लगेगा।

(8) होली की रात को चंद्रमा की पूजा करने से चंद्रमा के दोषों में आराम मिलता है।

(9) जो लोग क़र्ज़ से परेशान हैं, वे होली की रात को मंगल ऋण मोचन का पाठ करे जल्द ही क़र्ज़ मुक्ति का योग बनेगा।

(10) अगर आप कोई मंत्र सिद्ध करना और फिर उस मंत्र की सिद्धि प्राप्त करना चाहते है तो होली की रात को आप उसे सिद्ध करके सिद्धि प्राप्त कर सकते हैं।

(11) होलिका दहन में देशी घी में भिगोई हुई दो लौंग, एक बताशा और एक पान का पत्ता अवश्य चढ़ाना चाहिए । इससे सुख-समृद्धि बढ़ती है, कष्ट दूर होते हैं।

(12) होली वाले दिन भगवान नृसिंह ओर माता लक्ष्मी की विधिवत तरीके से पूजा एवं पंचामृत का अभिषेक अवश्य करें, इससे सोभाग्य में वृद्धि होती है।

(13) जो युवा विवाह योग्य हैं और सर्वगुण संपन्न हैं, फिर भी शादी नहीं हो पा रही है, उन्हें यह उपाय अवश्य करना चाहिए। होली के दिन किसी शिव मंदिर जाएं और अपने साथ 1 साबूत पान, 1 साबूत सुपारी एवं हल्दी की गांठ रख लें। पान के पत्ते पर सुपारी और हल्दी की गांठ रखकर शिवलिंग पर अर्पित करें। इसके बाद पीछे देखें बिना अपने घर लौट आएं। जल्दी ही विवाह के योग बन जाएंगे।

इन उपायो के अलावा इस होली पर राशि अनुसार भी जातको के लिए कुछ विशेष फ़लदायी उपाय बता रहे हैं ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री।

मेष- हनुमान जी को 11 गुलाब फूल चढ़ायें एंव उसमें से फूल लेकर लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी में रख दें। ऐसा करने से पूरे वर्ष माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी।भतीजे एंव भतीजियों को लाल गुलाल लगाकर होली खेलें।

वृष- होली के दिन शिव जी पर लाल गुलाब का लेपन करने से आने वाली समस्याओं का शमन होगा और मनोकामना पूर्ण होगी।ससुराल पक्ष के लोगों के साथ चमकीले गुलाल से होली खेलें जिससे सम्बन्धों में मधुरता आयेगी।

मिथुन- मित्रगणों के साथ हरा रंग या गुलाल लगाकर मस्ती करें। गणेश जी पर हरा गुलाल चढ़ाये एंव गणेश स्त्रोत का पाठ करें। बुध ग्रह भी शुभ फल देगा।

कर्क- होली के दिन शिव-पार्वती का गुलाल चढ़ायें एंव मिश्री का भोग लगाकर विधिवत पूजन करें।आज के दिन अपनी माँ को गुलाल लगाकर अशीर्वाद लेने से आप हर बाॅधा को पार कर आगे बढ़ेगें।

सिंह- होली के दिन प्रातःकाल जल में गुलाल एंव गुलाब फूल चढ़ाकर सूर्य देव को अर्पित करें।अपने पिता को गुलाल का टीका लगाकर उनसे अशीर्वाद लें।

कन्या- शनि देव की स्तुति करें एंव उन्हे नीला गुलाल व काले तिल चढ़ायें। अपनी बहन एंव बुआ को नीला गुलाल अवश्य लगायें। जिन लोगों पर साढ़े साती चल रही है वह इस उपाय को जरूर करें।

तुला- होली के दिन अपनी पत्नी को ब्राइट कलर का गुलाल लगायें, जिससे आपसी प्रेम बना रहे। माँ
लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करायें, शुक्र ग्रह बलवान होगा।

वृश्चिक- आज के दिन अपने भाईयों को लाल गुलाल अवश्य लगायें, जिससे आपसी सौहाद्र में वृद्धि हो। हनुमान जी के दाहिने बाजू पर लाल गुलाल लगायें।

धनु- अपनी सन्तान के साथ पीले रंग के गुलाल के साथ होली खेलने से गिले-शिकवे दूर होकर एक-दूसरे के प्रति गहरा प्रेम उमड़ेगा। केले पर कच्चा दूध चढ़ाने से धन-धान्य में वृद्धि होगी।

मकर- इस राशि वाले लोग अपनें कर्मचारियों, नौकरों व सेवकों के साथ नीले गुलाल से होली खेलें। ऐसा करने से इन लोगों के साथ आपके सम्बन्ध मधुर होंगे। शनि देव की स्तुति करें।

कुम्भ- आप लोग वृद्ध व्यक्तियों के साथ नीले व गुलाबी रंग के साथ होली खेलें जिससे शनि देव की कृपा आप पर हमेशा बनी रहे। काल भैरव का पूजन करने से आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी।

मीन- होलिका दहन के समय गोबर के कण्डे अग्नि में डालने से बाधायें दूर होगी। मीन राशि के जातक अपने गुरू को पीले रंग गुलाल जरूर लगायें। ऐसा करने से गुरू की कृपा से आप दिन-रात उन्नति करेंगे।

होली पर राशि अनुसार इन उपायों के बाद आइए जानते हैं होलाष्टक का ज्योतिषीय महत्व:

होली पर्व का एक सबसे अहम हिस्सा है होलाष्टक। ज्योतिषीय पक्ष और चंद्रमा की स्थिति के आधार पर, यह आठ दिनों तक चलता है। यह अवधि फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी 21.3.2021 को शुरू होकर इसका समापन होलिका दहन पूजा के साथ होता है। इस वर्ष होलाष्टक 28 मार्च, सोमवार को होलिका दहन के शुभ मुहूर्त के साथ समाप्त हो जाएगा और होली का उत्सव 29 मार्च, मंगलवार को मनाई जाएगी।

ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री के अनुसार, हिंदू धर्म में, इन आठ दिनों को अत्यंत अशुभ माना जाता है क्योंकि यह दिन भक्त प्रह्लाद के उत्पीड़न को दर्शाते हैं। होलाष्टक एक प्रतिकूल अवधि होने के कारण, पौराणिक कथाओं में इस अवधि में यज्ञ, हवन, विवाह, और हिंदू जनेऊ समारोह, आदि जैसे सभी भाग्यशाली कार्यों का निषेध करने का सुझाव दिया गया है। इन दिनों में शुभ समारोह निषिद्ध हैं क्योंकि इस अवधि में सूर्य और चंद्र सहित सभी ग्रह हानिकारक स्थिति में होते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इन आठ दिनों में ग्रहों की स्थिति एक तरह से स्थायी नकारात्मक प्रभाव आकर्षित कर सकती है। इस अवधि के दौरान, नकारात्मक ऊर्जा अत्यधिक हानिकारक होती हैं। इसलिए, यह एक ऐसा समय भी है जब कुछ लोग तांत्रिक क्रियाओं और टोटके करते हैं। इसके अतिरिक्त, तांत्रिक विद्या की साधना भी इस अवधि में अत्यधिक सफल होती है।

 

 

 

 

 

ज्योतिष सेवा केन्द्र
संस्थापक
पंडित अतुल शास्त्री

About the author

राजेंद्र सिंह

राजेंद्र सिंह (सम्पादक)

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