संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में भारतीय मूल के अमरीकी नागरिकों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। वहां के मतदाताओं का 1%से ज्यादा भारतीय मूल के लोगों का है। अमरीका के भूतपूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को यह भ्रम था कि भारतीय मूल के इन मतदाताओं पर मोदी महत्वपूर्ण प्रभाव रखते हैं। सो, सितंबर 2019 में मोदी की अमरीका यात्रा के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने ह्युस्टन शहर में ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम का आयोजन किया। वहां मोदी ने ‘अबकी बार, ट्रंप सरकार’ के नारे लगाए। यही नहीं, फरवरी, 2020 में डोनाल्ड ट्रंप भारत पधारे तबतक भारत में कोरोना पैर पसारने लगा था लेकिन, कोरोना के ख़तरों को अनदेखी करते हुए भी मोदी ने अहमदाबाद शहर में ‘नमस्ते ट्रंप’ कार्यक्रम का आयोजन किया। ‘हाउडी मोदी’ से लेकर ‘नमस्ते ट्रंप’ तक कोई भी तरकीब ट्रंप का नसीब नहीं बदल सकी और वह राष्ट्रपति का चुनाव हार गए।
अमरीका के बाद आइए बात की जाए ब्रिटेन की। वहां मोदी की बेहतरीन मित्र हुआ करती हैं-कंजर्वेटिव पार्टी की सांसद थेरेसा विलियर्स। ब्रिटेन में भारतीय मूल के नागरिकों के बीच मोदी-थेरेसा विलियर्स की मित्रता की मिसाल पेश की जाती हैं 2020 में थेरेसा विलियर्स की कुर्सी तो गई ही वह चुनाव भी हार बैठीं। मोदी-थेरेसा की मित्रता थेरेसा की खुशनसीबी की वजह नहीं बन पाई।
बात-फ्रांस की।फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांकोइस होलांदे मोदी के प्रारंभिक अंतरराष्ट्रीय मित्रों में से रहे हैं। 2015 में मोदी ने फ्रांस की यात्रा की और तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रांकोइस होलांदे से दोस्ती की कसमें खाईं । होलांदे के लिए मोदी की मित्रता बहुत मंहगी पड़ी, खुशियों और खुशनसीबी की सौगात लेकर नहीं आई। चुनाव पूर्व हर सर्वेक्षण में होलांदे की लोकप्रियता का ग्राफ निरंतर गिरता ही गया। वह 2017में चुनाव लड़ने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाए।

मोदी के एक अन्य अंतरराष्ट्रीय मित्र हैं-जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे। शिंजो आबे से मोदी की मित्रता की कल्पना इस तथ्य से कीजिए कि शिंजो आबे की भारत यात्रा के दौरान मोदी उनको लेकर अपने संसदीय क्षेत्र बनारस भी गए थे और दश्वाशमेध घाट पर उनको गंगा आरती भी दिखाई थी। शिंजो आबे को मोदी-मित्रता बदनसीबी का सैलाब लेकर आई। वह लीवर कोलाइटिस के शिकार हो गए और बीच में ही स्वास्थ्य कारणों से पद छोड़ने को बाध्य हुए।

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग मोदी के ऐसे मित्र हैं, जिनसे मोदी ने 18 मुलाकातें की हैं, 5 बार प्रधानमंत्री की हैसियत से चीन यात्रा की है। (गुजरात के मुख्यमंत्री की हैसियत से भी उन्होंने 4 बार चीन यात्रा की थी। शी जिनपिंग की भारत यात्रा के दौरान मोदी उनको लेकर धी सबरमती आश्रम भी गए थे और उनको झूला पर भी झुलाया था। मोदी-जिनपिंग के आपसी रिश्ते चाहे जितने अच्छे हों, लेकिन भारत -चीन रिश्तों में खुशनसीबी लेकर नहीं आई और रिश्ते तनावपूर्ण ही बने हुए हैं।
मोदी के एक और अंतरराष्ट्रीय मित्र आस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री टॉनी अल्बर्ट हैं। मोदी की मित्रता के बाद प्रधानमंत्री पद तो क्या वह अपनी सीट तक गंवा बैठे।
इस फेहरिस्त में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भी हैं। नवाज शरीफ मोदी के ऐसे मित्रों में हैं,जिनको ‘ईद मुबारक’ कहने के लिए मोदी ने अचानक विदेश यात्रा के दौरान अपना हवाई जहाज पाकिस्तान में उतरवाया था। नवाज शरीफ की मां के लिए वह साड़ी- शॉल वगैरह भी लेते गए थे। नवाज शरीफ
की बदनसीबी देखिए-वह आज निर्वासन की जिंदगी जी रहे हैं।
….ये तथ्य इन संदर्भों में प्रस्तुत करना पड़ रहा है कि मोदी अपनी पीठ खुद थपथपा कर खुद को राष्ट्र की खुशनसीबी से जोड़ते हैं।
You must be logged in to post a comment.