दृष्टिकोण

एपीजे अब्दुल कलाम की 90वीं जयंती: याद-एक स्वप्नदर्शी मोटिवेटर की

Written by Vaarta Desk

‘मैं यह बहुत गर्वोक्तिपूर्वक तो नहीं कह सकता कि मेरा जीवन किसीके लिये आदर्श हो सकता है,लेकिन जिस तरह मेरी नियतिने आकार ग्रहण किया,उससे किसी ऐसे गरीब बच्चेको सांत्वना अवश्य मिलेगी,जो किसी छोटी जगह पर सुविधाहीन सामजिक दशाओं में रह रहा हो।शायद,ऐसे बच्चोंको उनके पिछड़ेपन और निराशाकी भावनाओंसे विमुक्त होनेमें यह अवश्य सहायता करेगा।’-ये शब्द हैं,मिसाइलमैन एपीजे अब्दुल कलाम (15अक्टूबर,1931-27 जुलाई,2015) के,जो 25जुलाई, 2002-25जुलाई, 2007तक राष्ट्रपति रहे, लेकिन उनकी पहचान आम- अवाम के राष्ट्रपतिके रूप में ही रही।

इनका जन्म ग्राम-धनुषकोडी(रामेश्वरम,तमिलनाडु)में एक मध्यमवर्गीय परिवारमें हुआ था।इनके पिता जैनुल आब्दीन न तो ज़्यादा पढ़े-लिखे थे,न ही पैसे वाले थे।इसलिए,अब्दुल कलामको आरंभिक जीवनमें अख़बार वितरण का कार्य भी करना पड़ा था।पिताकी लगन और उनके संस्कार अब्दुल कलामको जीवनमें बहुत काम आए।उनके शिक्षक इयादुराई सोलोमनने कहा था कि जीवन में सफलता तथा अनुकूल परिणाम प्राप्त करनेके लिए तीव्र इच्छाशक्ति,आस्था,अपेक्षित प्रयास का होना आवश्यक है।

पांचवी कक्षाके दौरान उनके शिक्षक पक्षीके उड़नेके तरीकेकी जानकारी देनेके लिए उनको समुद्र तट ले गए और उड़ते हुए पक्षियोंको दिखाकर समझाया।कदाचित,विमानन विज्ञानमें उनके योगदानके पीछे इस घटनाकी महत्वपूर्ण भूमिका रही।

कलामने 1950में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलजीसे अंतरिक्ष विज्ञानमें स्नातककी उपाधि प्राप्त की।इसके बाद,उन्होंने भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थानमें प्रवेश लिया।इस दौरान,उन्होंने तीन महान शिक्षकों-विक्रम साराभाई,प्रो सतीश धवन और ब्रह्मप्रकाशसे टीम नेतृत्व सीखा।इन्होंने एक वैज्ञानिक रूपमें चार दशकों तक रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) संभाला।बैलेस्टिक मिसाइल और प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकीके क्षेत्रमें अप्रतिम योगदानके लिए इनकी पहचान ‘मिसाइल मैन’के रूपमें बनी।1962में,भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठनमें अपने योगदानके बाद कई उपग्रह प्रक्षेपण परियोजनाओंमें उन्होंने सफल भूमिका निभाई।

भारतको अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लबका सदस्य बनानेमें इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही।इन्होंने अग्नि एवं पृथ्वी जैसे प्रक्षेपास्त्रोंको स्वदेशी तकनीकसे बनाया।जुलाई,1992से दिसम्बर,1999 तक रक्षामंत्रीके विज्ञान सलाहकार रहे।उन्होंने रणनीतिक प्रक्षेपास्त्र प्रणालीका उपयोग आग्नेयास्त्रोंके रूपमें किया।उनकी देखरेखमें, भारतने 1998में पोखरणमें अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया और परमाणुशक्ति संपन्न राष्ट्रों की सूचीमें शामिल हुआ।वह भारतको अंतरिक्ष विज्ञान और परमाणु हथियारोंके क्षेत्रमें सुपर पॉवर बनानेकी बात सोचते रहे थे।राजनीतिक स्तर पर,उनकी चाहत थी कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतकी भूमिका का विस्तार हो और भारत महाशक्तिके तौर पर महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाये।

सर्वसम्मति से वह 25जुलाई,2002को राष्ट्रपति बने और 25जुलाई,2007तक इस पद पर रहे।राष्ट्रपति पद छोड़नेके बाद वह शिक्षा,लेखन और सार्वजनिक सेवाके जीवनमें लौट आए।

राष्ट्रपति पदसे हटनेके बाद कलाम कई संस्थानोंके मानद फैलो व विजिटिंग प्रोफेसर रहे।भारतीय अन्तरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान,तिरुवनंतपुरमके कुलाधिपति,अन्ना विश्वविद्यालयमें एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर और भारत भर में कई अन्य शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों में सहायक बन गए।उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय,अन्ना विश्वविद्यालय और अंतरराष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान,हैदराबादमें सूचना प्रौद्योगिकी पढ़ाया।

27जुलाई,2015 की शाम अब्दुल कलाम भारतीय प्रबंधन संस्थान,शिलोंगमें ‘रहने योग्य ग्रह’ पर एक व्याख्यान दे रहे थे,तभी दिल का दौरा पड़ा और वह बेहोश होकर गिर पड़े।दो घंटे बाद इन्हें मृत घोषित किया गया।

भारत सरकार द्वारा उन्हें 1981में पद्मभूषण और 1990में पद्मविभूषण का सम्मान प्रदान किया गया, जो उनके द्वारा इसरो और डीआरडीओमें उनकी वैज्ञानिक उपलब्धियोंके लिये तथा भारत सरकारके वैज्ञानिक सलाहकारके रूपमें कार्य हेतु प्रदान किया गया था।1997में कलाम साहबको भारतका सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारतरत्न प्रदान किया गया,जो उनके वैज्ञानिक अनुसंधानों और भारतमें तकनीकीके विकास में अभूतपूर्व योगदान हेतु दिया गया था।

एक महान राजनेता,प्रशंसित वैज्ञानिक और दक्षिण एशियाके युवा पीढ़ीके लिए प्रेरणास्रोत थे।एक परमाणु वैज्ञानिक होते हुए उन्होंने आम लोगोंके कल्याणमें स्वयंको समर्पित किया।कलाम दृढ़ विश्वास और अदम्य इच्छाशक्तिके आदमी थे।अपनी सार्वजनिक सेवा, विनम्रता और समर्पणसे दुनिया भरके लाखों भारतीयों और प्रशंसकोंको एक प्रेरणा प्रदान की।

बेहद अनुशासनप्रिय अब्दुल कलाम शाकाहारी थे।वे क़ुरान और भगवद् गीता दोनों का अध्ययन करते थे।कलामने कई स्थानों पर उल्लेख किया है कि वे तिरुक्कुरलका भी अनुसरण करते हैं,प्रायःउनके भाषणों में कुरलका उल्लेख आ जाता था।

वह वैज्ञानिक,एयरोस्पेस इंजीनियर,प्रोफेसर,लेखक आदि बहुत कुछ रहे।लेकिन,एक स्वप्नदर्शी मोटिवेटरके रूप में बच्चों और युवाओंके बीच वह खासे लोकप्रिय रहे। बच्चोंके बीच उनकी लोकप्रियताका आलम यह था कि 2011में आई हिंदी फिल्म’आई एम कलाम’ में, एक गरीब लेकिन उज्ज्वल बच्चे पर कलामके सकारात्मक प्रभावको चित्रित किया गया।उनके सम्मानमें एक राजस्थानी बच्चा छोटू खुद का नाम कलाम रख लेता है।इन्होंने तमिलमें कविताऐं भी लिखी।उन्होंने कई प्रेरणास्पद पुस्तकोंकी रचना भी की और तकनीकको जनसुलभ करना चाहते थे।अपनी आत्मकथा विंग्स ऑफ़ फायर(अग्निकी उड़ान) उन्होंने भारतीय युवाओंको मार्गदर्शक और अभिप्रेरक अंदाजमें लिखी है।यूं तो,वह राजनीतिक क्षेत्रके व्यक्ति नहीं थे,लेकिन,उनकी पुस्तक’इण्डिया 2020:ए विज़न फ़ॉर द न्यू मिलेनियम’में भारतकी कल्याण संबंधी नीतियों पर उनका दृष्टिकोण स्पष्ट करती है।

इनकी कुछ अन्य पुस्तकें निम्न वत हैं-

1.’गाइडिंग सोल्स- डायलॉग्स ऑफ़ द पर्पज ऑफ़ लाइफ’आत्मिक विचारोंको उद्घाटित करती है।

2.’माई जर्नी’

3.इग्नाटिड माइंड्स-अनलीशिंग द पॉवर विदिन इंडिया’।

4.इंडिया-माय-ड्रीम एनविजनिंग अन एमपावर्ड नेशन: टेक्नालजी फार सोसायटल ट्रांसफारमेशन

5.साइंटिस्ट टू प्रेसिडेंट

एपीजे अब्दुल कलाम की प्रेरक सूक्तियां

1.इससे पहले कि सपने सच हों आपको सपने देखने होंगे।

2.शिक्षण एक बहुत ही महान पेशा है,जो किसी व्यक्तिके चरित्र,क्षमता और भविष्यको आकार देता है। अगर लोग मुझे एक अच्छे शिक्षकके रूपमें याद रखते हैं,तो मेरे लिए ये सबसे बड़ा सम्मान होगा।

3.अगर तुम सूरज की तरह चमकना चाहते हो तो पहले सूरज की तरह जलो।

4.विज्ञान मानवता के लिए एक खूबसूरत तोहफा है, हमें इसे बिगाड़ना नहीं चाहिए।

5.सपने वो नहीं-जो आप नींदमें देखते हैं,सपने वो है जो आपको सोने नहीं देते।

6.महान लोगोंके सपने महान होते हैं,जिसे वे हर हाल में पूरे करते हैं।

7.हमें हार नहीं माननी चाहिए और समस्याओंको हमें  खुद पर हावी नहीं होने देना चाहिए।

8.इस बातके लिए हमेशा तैयार रहें कि हम कुछ चीजें नहीं बदल पाएंगे।

9.आइये हम अपने आजका बलिदान करें,ताकि हमारे बच्चों का कल बेहतर हो सके।

10.अपने मिशन में कामयाब होने के लिए, आपको अपने लक्ष्य के प्रति एकचित्त निष्ठावान होना पड़ेगा।

11.सफलताका आनंद उठानेके लिए हमें कठिनाइयों की आवश्यकता होती है,

12.छोटा लक्ष्य अपराध हैं; महान लक्ष्य होना चाहिए।

13.माउंट एवरेस्टका शिखर हो या हमारे पेशे का।शिखर तक पहुँचनेके लिए ताकतकी जरूरत होती है,

14.आत्म सम्मान, आत्मनिर्भरता के साथ आता है?

15.अंततः,वास्तविक अर्थोंमें शिक्षा सत्यकी खोज है। यह ज्ञान और आत्मज्ञानसे होकर गुजरनेवाली एक अंतहीन यात्रा है।

16.तब तक लड़ना मत छोड़ो जब तक अपनी तय की हुई जगह पर ना पहुँच जाओ।

17.ज़िन्दगीमें एक लक्ष्य रखो,लगातार ज्ञानप्राप्त करो, कड़ी मेहनत करो,और महान जीवन को प्राप्त करने के लिए दृढ रहो।

18.किसी भी मिशनकी सफलताके लिए,रचनात्मक नेतृत्व आवश्यक हैं।

19.जो अपने दिलसे काम नहीं करते वे हासिल करते हैं-बस खोखली चीजें।अधूरे मनसे मिली सफलता अपने आस-पास कड़वाहट पैदा करती हैं।

20.जब तक भारत दुनियाके सामने खड़ा नहीं होता, कोई हमारी इज्जत नहीं करेगा।सम्मान सिर्फ ताकतसे  ही मिलती हैं।

21.इंतजार करने वालेको उतना ही मिलता हैं,जितना कोशिश करने वाले छोड़ देते हैं।

22.जीवन एक कठिन खेल हैं।आप एक व्यक्ति होने के अपने जन्मसिद्ध अधिकार को बनाये रखकर इसे जीत सकते हैं।

23.महान शिक्षक ज्ञान,जूनून और करुणासे निर्मित होते हैं।

24.यदि हम स्वतंत्र नहीं हैं,तो कोई हमारा आदर नहीं करेगा।

25.मेरे लिए,नकारात्मक अनुभव जैसी कोई चीज नहीं हैं।

26.राष्ट्र लोगों से मिलकर बनता है। और उनके प्रयास से, कोई राष्ट्र जो कुछ भी चाहता है उसे प्राप्त कर सकता हैं।

27.जिस दिन आपके सिग्नेचर ऑटोग्राफमें बदल जायें,उस दिन मान लीजिये-आप कामयाब हो गये।

28.छोटी उम्रमें हम अधिक आशावादी और कल्पनाशील होते है,हममें पूर्वाग्रह भी कम होता हैं।

29.निपुणता एक सतत प्रक्रिया है कोई दुर्घटना नहीं।

30.हम केवल तभी याद किये जायेंगे जब हम हमारी युवा पीढ़ीको एक समृद्ध और सुरक्षित भारत दें,जो आर्थिक समृद्धि और सभ्यता की विरासत का परिणाम होगा।

31.एक लोकतंत्रमें,देशकी समग्र समृद्धि,शांति और ख़ुशीके लिए हर एक नागरिककी कुशलता,वैयक्तिकता और ख़ुशी आवश्यक हैं।

32.विश्वमें सफलताके लिए क्रिएटिविटी सबसे ज़रूरी है, और प्राइमरी एजुकेशन वो समय है जब टीचर्स उस स्तर पर बच्चोंमें क्रिएटिविटी ला सकते हैं।

33.कृत्रिम सुखकी बजाए ठोस उपलब्धियोंके पीछे समर्पित रहिये।

34.अलग तरीके से सोचें, कुछ नया करने का प्रयत्न करें,अपना रास्ता खुद बनायें,असंभवको हासिल करें।

35.इग्नाइटेड माइंडस के खिलाफ कोई भी प्रतिबन्ध खड़ा नहीं हो सकता।

36.सफल होनेके लिए हमको एकाग्रचित होकर अपने लक्ष्य पर ध्यान लगाना होगा।

37.बारिशके दौरान सारे पक्षी आश्रयकी तलाश करते है,लेकिन बाज बादलोंके ऊपर उड़कर बादलोंको ही अवॉयड कर देते हैं।

38.असली शिक्षा एक इंसानकी गरिमा और उसके स्वाभिमानमें वृद्धि करती है।

39.आप अपना भविष्य नहीं बदल सकते,लेकिन अपनी आदतें बदल सकते हैं और निश्चित रूपसे आपकी आदतें आपका भविष्य बदल देंगी।

40.लीडर वह है,जिसमें एक विजन और पैशन है।  उसे किसी समस्यासे डरना नहीं चाहिए बल्कि,उसे पता होना चाहिए कि इसे हराना कैसे हैं।सबसे ज़रूरी,उसे ईमानदारी के साथ काम करना चाहिए।

41.जहाँ हृदयमें सच्चाई होती है वहां घरमें सामंजस्य होता है;जब घरमें सामंजस्य होता हैतब देशमें एक व्यवस्था होती है;जब देशमें व्यवस्था होती है,तब दुनियामें शांति होती हैं।

42.शिक्षाविदोंको छात्रोंके बीच जांचकी भावना, रचनात्मकता,उद्यमशीलता और नैतिक नेतृत्वकी क्षमता का निर्माण करना चाहिए और उनका रोल मॉडल बनना चाहिए।

43.चार बातोंका पालन करें–एक महान लक्ष्य निर्धारित करें,ज्ञान अर्जित करें,कड़ी मेहनत करें, और दृढ रहें–तो हमक्षकुछ भी हासिल कर सकते हैं।

44.हमने नाकामयाबीकी कड़वी गोली न चखी हो,इसका मतलब है कि हममें कायमाबीके लिए पर्याप्त महत्वाकांक्षा ही नहीं है।

45.भ्रष्टाचार कभी न ख़त्म होनेवाली लालचसे आती हैं।भ्रष्टाचार-मुक्त नैतिक समाजके लिए लड़ाई इस लालचके खिलाफ लड़नी होगी।

46.युवा पीढ़ी अलग सोचनेका साहस रखे,आविष्कार करने या नवोन्मेषी होनेका साहस रखें,अनदेखे रास्तों पर चलनेका साहस रखें,असंभवको खोजने और समस्याओं पर जीत हासिल करके सफल होनेका जज्बा रखें।

47.जब हम बाधाओंका सामना करते हैं,हम अपने साहस और फिरसे खड़े होनेकी ताकतके छिपे भण्डार को खोज पाते हैं, जिनका हमें पता नहीं होता कि वे हैं।जब हम असफल होते हैं,यह एहसास होता है कि संसाधन हमेशा हमारे पास थे।हमें केवल उन्हें खोजने और अपनी जीवनमें आगे बढ़ानेकी ज़रूरत होती है।

48.अगर हमें सफलताके रास्ते पर निराशा हाथ लगती है,इसका मतलब यह नहीं है कि हम कोशिश करना छोड़ दें,क्योंकि हर निराशा और असफलताके पीछे ही सफलता छिपी होती है।

49.आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत असफलता नामक बीमारीको मारनेके लिए सबसे बढ़िया दवाई है।

50.सीखनेसे रचनात्मकता आती है,रचनात्मकता हमें सोचनेकी ताकत देता है,सोचनेसे ज्ञान मिलता है,ज्ञान हमको महान बना देता है।

51.एक समझदार बुजुर्ग की मौत का मतलब होता है एक बहुत बड़ी लाइब्ररीका जलकर राख हो जाना।

पंकज कुमार श्रीवास्तव

वरिष्ठ पत्रकार

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