मुख्यमंत्री ने भारत सरकार के 2070 के लक्ष्य से पहले कार्बन न्यूट्रल का लक्ष्य हासिल करने की घोषणा की
तमिलनाडु। जलवायु अनुकूलन संबंधी कई अग्रणी पहल करने के लिए जाने जाना वाला तमिलनाडु भारत का ऐसा पहला राज्य बन गया है, जिसने देश को जी20 की अध्यक्षता मिलने के तुरंत बाद तमिलनाडु जलवायु परिवर्तन मिशन शुरू किया.
इसके साथ तमिलनाडु भारतीय राज्यों में जलवायु परिवर्तन मिशन शुरू करने वाला पहला राज्य बनने के लिए भी तैयार है. इस मिशन के साथ-साथ राज्य ने इस साल सितंबर में ग्रीन तमिलनाडु मिशन और अगस्त में तमिलनाडु वेटलैंड्स मिशन भी प्रारंभ किया है. इस नवीनतम जलवायु परिवर्तन मिशन के तहत, समर्पित रूप से कार्य करने वाली एक विशेष प्रयोजन कंपनी – तमिलनाडु ग्रीन क्लाइमेट कंपनी (टीएनजीसीसी) राज्य जलवायु कार्य योजना का प्रभावी कार्यान्वयन करेगी.
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने कहा, “जलवायु परिवर्तन आज मानवता के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है. एक तटीय राज्य होने के कारण, जलवायु परिवर्तन के संभावित दुष्प्रभावों का सामना करने के लिए तमिलनाडु क्लाइमेट चेंज मूवमेंट का योगदान महत्वपूर्ण होगा. मुझे यकीन है कि यह पहल हमारे पर्यावरण और हमारी आने वाली पीढ़ियों के जीवन की रक्षा के लिए समर्पित होकर कार्य करेगा.”
मुख्यमंत्री ने आगे कहा, “हमारी सरकार जलवायु परिवर्तन को एक प्रमुख मानवीय संकट के रूप में देखती है. सत्ता में आने के बाद से हमने पर्यावरण संरक्षण के लिए कई उपाय किए हैं. उच्च कार्बन उत्सर्जन के कारण ग्लोबल वार्मिंग की समस्या पैदा हुई है. कई वैज्ञानिकों ने कहा है कि दुनिया को 2050 तक कार्बन न्यूट्रल का लक्ष्य हासिल कर लेना चाहिए. पिछले साल कॉप-26 में भारत सरकार ने घोषणा की थी कि वह 2070 तक कार्बन न्यूट्रल का लक्ष्य हासिल कर लेगी. मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि तमिलनाडु उससे पहले यह लक्ष्य हासिल कर लेगा.”
स्टालिन ने कहा, “यह सिर्फ तमिलनाडु या भारत के लिए ही नहीं, बल्कि दुनिया के लिए एक पहल है. जलवायु परिवर्तन हम सभी के लिए चिंता का विषय है और तमिलनाडु सरकार इस मुद्दे को बहुत गंभीरता से लेती है. मैं आगे बढ़कर नेतृत्व करने में गौरवान्वित महसूस करता हूँ और इस मिशन को मैं अपने जीवन के मिशन के रूप में देखता हूं.”
एम के स्टालिन ने हाल ही में जी20 तैयारी बैठक में भाग लेते हुए भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया था. पिछले महीने बाली में जी20 सम्मेलन में वैश्विक नेताओं ने भू-मंडलीय तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सिमित रखने की कोशिशों को आगे बढ़ाने का फैसला किया और जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रयासों को तेज करने की आवश्यकता को भी स्वीकार किया.
इस जलवायु परिवर्तन मिशन के प्रमुख लक्ष्यों में शामिल हैं: तमिलनाडु में ग्रीनहाउस गैस का समग्र उत्सर्जन कम करना, सार्वजनिक परिवहन उपयोग में वृद्धि, हरित ऊर्जा और नवीकरणीय ऊर्जा के माध्यम से उत्सर्जन कम करने की कार्यनीति तैयार करना, तमिलनाडु में वन आच्छादन बढ़ाना, कचरे का प्रभावी ढंग से निपटारा करना, जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कम करने के तरीकों का विकास, अनुकूलन के लिए वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराना, शैक्षिक संस्थानों में जलवायु शिक्षा की शुरुआत, जलवायु कार्ययोजना में महिलाओं और बच्चों पर प्राथमिक रूप से ध्यान केंद्रित करना और जलवायु परिवर्तन के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को समझने के लिए स्वास्थ्य संबंधी एक समग्र दृष्टिकोण, जिसमें मानव, पशु और पारिस्थितिक स्वास्थ्य शामिल है, अपनाना.
तमिलनाडु सरकार ने जलवायु परिवर्तन पर तमिलनाडु गवर्निंग काउंसिल की भी स्थापना की है. भारत में यह पहली बार है कि जलवायु परिषद की अध्यक्षता मुख्यमंत्री करेंगे. परिषद तमिलनाडु जलवायु परिवर्तन मिशन के लिए नीतिगत मार्गदर्शन प्रदान करेगी, जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव कम करने संबंधी सलाह देगी, तमिलनाडु राज्य जलवायु परिवर्तन कार्य योजना तैयार करेगी और इसके कार्यान्वयन के लिए उचित दिशानिर्देश प्रदान करेगी.
डॉ. सुप्रिया साहू (आईएएस – अपर मुख्य सचिव, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और वन विभाग, तमिलनाडु) ने कहा, “एक तटीय राज्य होने से तमिलनाडु लगातार सख्त मौसम की घटनाओं के कारण जलवायु परिवर्तन के प्रकोप का सामना कर रहा है. मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के नेतृत्व में राज्य ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के तीन पहलुओं – न्यूनीकरण, अनुकूलन और इसका सामना करने में सक्षम बनने संबंधी कई अभिनव और अनूठे कार्यक्रम और अभियान शुरू किए हैं.
उन्होंने आगे कहा, “इसके अलावा, हमारा प्रयास सभी हितधारकों और आम जनता को जलवायु परिवर्तन के बारे में जागरूक करना है. इस संबंध में व्यापक जलवायु साक्षरता कार्यक्रम शुरू करने की योजना पर काम चल रहा है जो आने वाले वर्षों में राज्य को जलवायु परिवर्तन के बारे में जानकार और जागरूक बना देगा.”
विभिन्न प्रमुख सरकारी विभागों के अनुभवी वरिष्ठ सचिवों के अलावा, जलवायु परिवर्तन से संबंधित विभिन्न विषयों के विशेषज्ञ पैनल में शामिल हैं. अर्थशास्त्री मोंटेक सिंह अहलूवालिया, इंफोसिस के संस्थापक और अध्यक्ष नंदन एम. नीलकेनी, संयुक्त राष्ट्र के पूर्व अवर महासचिव और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के छठे कार्यकारी निदेशक एरिक. एस. सोलहेम, नेशनल सेंटर फॉर सस्टेनेबल कोस्टल मैनेजमेंट के संस्थापक और निदेशक रमेश रामचंद्रन, पूवुलागिन नानबर्गल के समन्वयक जी. सुंदरराजन, रामको सोशल सर्विसेज के प्रमुख निर्मला राजा इस कार्यकारी परिषद के विशिष्ट सदस्य हैं.