तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी ने बतौर मेंटर यूपी, उत्तराखंड और दिल्ली के पांच मेंटी संस्थानों को नवाचार और उद्यमशीलता पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करने के लिए दिया दो दिनी प्रशिक्षण
ख़ास बातें
टीएमयू के वीसी बोले, कड़ी मेहनत का नहीं हैं कोई भी विकल्प
विशेषज्ञों- यासिर ज़ैदी, महेंद्र गुप्ता ने साझा किए अपने अनुभव
ऋषभ अरोड़ा और साजल अग्रवाल ने सुनाई सक्सेस स्टोरी
रजिस्ट्रार ने की मेंटी शिक्षण संस्थाओं की सफलता की कामना
प्रशिक्षण में आईआईसी की चेयरपर्सन की रही महत्वपूर्ण भूमिका
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के वीसी प्रो. वीके जैन ने नवाचार के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, उच्च शिक्षण संस्थानों को जॉब प्रोवाइडर बनना चाहिए, न कि सीकर। उन्होंने वर्तमान में ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण-केएसए के महत्व को गहनता से समझाया। प्रो. जैन ने मुंबई के तेरह वर्षीय उद्यमी तिलक मेहता का उदाहरण देते हुए कहा, सफलता के लिए सही दृष्टिकोण, ईमानदारी, अखंडता, और सच्चाई जरूरी है। कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं है। कुलपति ने मेंटी संस्थानों के प्रतिनिधियों के साथ विचार साझा करते हुए उन्हें अपने संस्थानों में नवाचार और उद्यमशीलता पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने इस प्रकार के पारिस्थितिकी तंत्र को स्थापित करने में आने वाली चुनौतियों का समाधान करने टिप्स भी दिए। प्रो. जैन तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद में शिक्षा मंत्रालय के नवाचर प्रकोष्ठ-एमआईसी की पहल पर टीएमयू आईआईसी की ओर से दो दिनी मेंटर मेंटी एक्सपोजर विजिट सह प्रशिक्षण कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। इससे पूर्व वीसी प्रो. वीके जैन ने बतौर मुख्य अतिथि, एसोसिएट डीन एकेडमिक्स प्रो. अमित कंसल, टीएमडीसीआरसी की प्रोफेसर एवम् टीएमयू के आईआईसी की संयोजिका डॉ. गीताांशु डावर, सहायक निदेशक एकेडमिक्स डॉ. नेहा आनंद, उप रजिस्ट्रार डॉ. वरुण कुमार सिंह, सहायक समन्वयक प्रदीप कुमार वर्मा आदि ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करके कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। इस प्रशिक्षण में डीन एकेडमिक्स एवम् टीएमयू के आईआईसी की अध्यक्षा प्रो. मंजुला जैन की महत्वपूर्ण भूमिका रही। टीएमयू के रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य शर्मा ने मेंटी संस्थानों को वैलिडेक्टरी समारोह में मेंटी संस्थानों की सफलता की कामना की। अंत में प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र और स्मृति चिह्न प्रदान किए गए।
इस योजना के तहत टीएमयू को 2.25 लाख रुपये आवंटित किए गए हैं ताकि पांच मेंटी संस्थानों- बनारसीदास चंडीवाला इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज-नई दिल्ली, श्री वरश्नेय कॉलेज-अलीगढ़, सूचना प्रबंधन और प्रौद्योगिकी संस्थान -अलीगढ़, पेट्रोलियम और ऊर्जा अध्ययन विश्वविद्यालय-देहरादून और नेताजी सुभाष चंद्र कॉलेज-लखनऊ को नवाचार और उद्यमशीलता पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करने में सहायता प्रदान की जा सके। आईआईसी की संयोजिका डॉ. डावर ने मेंटर-मेंटी कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी देते हुए कहा, नवाचार एक विचार को वास्तविकता में बदलने की कुंजी है। उल्लेखनीय है, टीएमयू को शिक्षा मंत्रालय के नवाचार प्रकोष्ठ की 2023-24 मेंटर-मेंटी योजना के तहत मेंटर विश्वविद्यालय के रूप में चयनित किया गया है, क्योंकि टीएमयू की आईआईसी रेटिंग तीन वर्षों से लगातार 3.5 से अधिक होने के फलस्वरुप शिक्षा मंत्रालय के इन्नोवेशन सेल ने यूनिवर्सिटी को मेंटर के रूप में चुना है। मेंटी संस्थानों के प्रतिनिधियों ने टीएमयू के प्री-इनक्यूबेशन और इनक्यूबेशन सुविधाओं का दौरा किया, ताकि उन्हें क्षमता निर्माण, संसाधन साझा करने, सहयोग और नेटवर्क निर्माण में सहायता मिल सके। आईपीआर, स्टार्टअप, नवाचार, उद्यमिता और प्री-इनक्यूबेशन के विशेषज्ञों- यासिर अब्बास ज़ैदी ने आईपीआर, महेंद्र कुमार गुप्ता ने इनक्यूबेशन और सफल स्टार्टअप संस्थापकों- ऋषभ अरोड़ा और साजल अग्रवाल ने अपने-अपने अनुभव साझा किए।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में डॉ. प्रदीप तांगडे, डॉ. अंकिता जैन, प्रो. प्रवीण जैन, प्रो. अनुराग वर्मा, प्रो. पीयूष मित्तल, डॉ. मुकेश सिंह शिकरवार, प्रो. मनु मिश्रा, रविन्द्र जैन, रामनिवास आदि भी मौजूद रहे। संचालन डॉ. नेहा आनंद ने किया। समारोह के बाद मेंटी संस्थानों के प्रतिनिधियों ने प्री-इनक्यूबेशन सुविधाओं को देखा और सीसीएसआईटी के निदेशक प्रो. आरके द्विवेदी से औपचारिक मुलाकात भी की।