नई दिल्ली। पिछले दिनों हरियाणा में किये गये एक उत्खनन ने किये जा रहे कई दावों पर पूर्ण विराम लगा दिया, इस उत्खनन में इस बात के पुख्ता प्रमाण मिले हैं कि अफगानिस्तान से लेकर अडंमान तक के निवासियों को जीन एक ही है जो कि आर्यो का है इस बात से इस बात के भी प्रमाण पुख्ता हो रहे है कि आर्य ही भारत के मूल निवासी हैं।
भारत के राज्य हरियाणा के हिसार स्थित राखीगढी में किये गये उत्खनन कार्य में मिले एक महिला और पुरूष के कंकालों के डीएनए रिपोर्ट के अध्ययन ने इस बात को भी साबित कर दिया है कि भारत के मूल निवासी आर्य और द्रविण एक ही है। हडप्पा सभ्यता के बडे केन्द्रों में से एक राखीगढी में यह उत्खनन कार्य वर्ष 2015 से किया जा रहा है, उत्खनन कार्य में लगे पुणे के डेक्कन कालेज डीम्ड यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर प्रो0 बसंत शिंदे और जेनेटिक वैज्ञानिक डा0 नीरज राव द्वारा आयोजित पत्रकार वार्ता में शुक्रवार को उपरोक्त जानकारी दी गयी, बताते चलें कि प्रो0 शिंदे की यह रिपोर्ट विश्व की प्रतिष्ठित जर्नल ‘सेल’ में आनलाइन प्रकाशित हो चुकी है जिससे यह बात भी प्रमाणित हो जाती है कि इस रिपोर्ट को विश्व भर के वैज्ञानिकों ने प्रमाणित माना है।
पत्रकारवार्ता में ही प्रो0 शिंदे ने जानकारी दी कि राखीगढी में हडप्पा कालीन सभ्यता का उत्खनन काय वर्ष 2015 से चल रहा है इस दौरान पांच हजार वर्ष पूराने दो मानव कंकाल मिले जिनमें एक पुरूष और एक महिला का है इनके डीएनए जाचं के लिए जुटाये गये सैंपलों के अध्ययन से पता चला कि भारत के अंडमान से लेकर अफगानिस्तान तक का एक ही जीन है इसका मतलब यह हे ि कइस क्षेत्र के निवासियों के पूर्वज एक ही हें। इससे यह भी साबित होता है कि आर्यो के बारे में आने और उन्हें आक्रांता बताने की बात पूरी तरह गलत है वह यही के मूल निवासी थे।
श्री शिंदे ने यह भी बताया कि वे भारत सरकार से इस बात के लिए अनुरोध करेंगें कि इतिहास के पुस्तकों में इस तथ्य को शामिल किया जाये। आर्यो के बाहर से आने और नरसंहार किये जाने की बात को भी दरकिनार करते हए डा0 नीरज राय ने बताया कि अध्ययन में भारत में बडी तादाद में बाहर से लोगों के आने का भी प्रमाण नही मिलता है यदि आर्य बाहर से आते तो अपनी संस्कृति को स्थापित करने के लिए हमारी संस्कृति को नष्ट करने का प्रयास करते जबकि ऐसा कुछ भी अध्ययन में कही भी दिखाई नहीं दे रहा।