दो साल की बच्ची के इर्दगिर्द घूमती फिल्म पीहू 16 नवंबर को रिलीज हुई। विनोद कापड़ी द्वारा निर्देशित इस फिल्म की कहानी काफी शानदार है और उससे भी लाजवाब है छोटी सी बच्ची की एक्टिंग। फिल्म पूरी तरह से इस छोटी सी बच्ची के इर्द गिर्द घूमती है और ये देखना दिलचस्प है कि फिल्म के निर्देशक इन सभी परिस्थितियों में दर्शकों को बांधे रख पाते हैं या नहीं। छोटी से बच्ची मायरा विश्कर्मा बेहतरीन है। उसकी मासूमियत फिल्म की जान है। सिर्फ डायरेक्टर ही नहीं बल्कि एक टाइम पर लगता है मानो खुद पिहू ही उस कैमरा को गाइड कर रही है उसे फॉलो करने के लिये।
बड़े से घर में अकेले बंद पीहू पहले तो खुद को फ्रिज में बंद कर लेती है, फिर बाद में कभी गीज़र तो कभी दूसरे इलेक्ट्रॉनिक आइटम ऑन कर देती है। पीहू अपने लिए खाना भी बनाने की कोशिश करती है, पहले माइक्रोवेव पर और फिर गैस बर्नर पर। गिरते पड़ते हुए पीहू बाल बाल बचती है जब उसकी गुड़िया उसके अपार्टमेंट की बिल्डिंग से नीचे गिर जाती है।
बिना किसी स्टार पॉवर या आइटम सांग के भी ये फ़िल्म आपका ध्यान बांधे रखेगी। पर ये सोचना किसी भी माता पिता को डरा देगा कि एक बच्ची घर में अकेली है जिसे कुछ भी हो सकता है। सच कहा जाये तो सिर्फ माता पिता ही नहीं ये परिस्थिति किसी को भी डरा सकती है। ये फिल्म पहले से कई फ़ेस्टीवल में दिखायी जा चुकी है जहां फिल्म को काफी सराहा गया है। विनोद और मायरा दोनो ही क़ाबिल-ए-तारीफ़ हैं, इस वन कैरेक्टर फिल्म के लिये। इस तरह की यादें नाम की फिल्म सुनील दत्त ने बहुत सालों पहले की थी।