दृष्टिकोण राजनीति

भाजपा के 5 साल, जीत कम हार ज्यादा, चोर दरवाजे से हथियाई सत्ता

Written by Vaarta Desk

पिछले 5वर्षों से विधानसभा चुनावों में भाजपा लगातार हारती रही है….

उत्तरप्रदेशमेंमें विधानसभा चुनाव 2017 में हुए थे, तब से लेकर अबतक हुए तमाम विधानसभा चुनावों में भाजपा की लगातार करारी हार होती रही है। ऐसे विधानसभा चुनाव भी हुए जहां चोर दरवाजे से भाजपा ने सत्ता पर कब्जा कर लिया या सत्ता में हिस्सेदार बना ली है, लेकिन इस क्रम में उसकी राजनैतिक जमीन खिसकी है। भाजपा की सत्तालोलुपता के कारण उसके चाल, चरित्र और चेहरे से मुखौटा हट गया है।

2017 में हुए उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान मोदी अपने लोकप्रियता के शिखर पर थे। उन्होंने यह आकलन, विश्लेषण कर लिया था कि क्षेत्रीय क्षत्रप उनके लिए चुनौती पेश करने से रहे, चुनौती की एकमात्र आशंका कांग्रेस से थी, सो पहले ही दिन से कांग्रेस के नेता राहुल गांधी को पप्पू साबित करनेमें जुटे हुए हैं।

2017 में हुए सात विधानसभा चुनाव के दौरान मिली जीत विधानसभा चुनावों में मोदी और भाजपा की अंतिम बड़ी जीत है। उत्तरप्रदेश सहित तीन विधानसभा चुनावों में मोदी और भाजपा को स्पष्ट जीत मिली थी, एक राज्य पंजाब कांग्रेस को मिली थी। एक राज्य गुजरात में भाजपा हारते-हारते बची थी। गोवा और मणिपुर में भाजपा चोर दरवाजे से सत्ता पर काबिज हुई।
2018 में हुए 8 विधानसभा चुनावों में मोदी और भाजपा सिर्फ त्रिपुरा जैसे छोटे राज्य में जीत दर्जकर पाने में सफल हुई। नागालैंड, मिजोरम और मेघालय में राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए जरूर सत्तारूढ़ हुआ लेकिन विधानसभाओं में इन गठबंधन सरकारों का नेतृत्व क्षेत्रीय दलों के पास ही रहा।छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान, तेलांगना जैसे बड़े राज्यों में कहीं भी जनादेश भाजपा को नहीं मिला।लेकिन चोर दरवाजे से भाजपा ने मध्यप्रदेश की सत्ता हथिया ली। राजस्थान में उसने कोशिश कम नहीं की लेकिन अबतक सफल नहीं हो पाई है।

2019 में 9 विधानसभाओं के चुनाव हुए। इसमें सिर्फ अरूणाचल प्रदेश जैसे छोटे राज्य में भाजपा या मोदी जीत दर्ज कर पानेमें सफल हुए। सिक्किम में 32 सीट में से 12 सीट के लिए भाजपा ने उम्मीदवार खड़े किए, लेकिन एक भी सीट नहीं जीत पाई। स्पष्ट बहुमत सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा को मिला, जिसे भाजपा राजग का हिस्सा बताती है। यह अलग बात है कि केन्द्र सरकार में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। हरियाणा और कर्नाटक में जनादेश भाजपा को नहीं मिला, लेकिन चोर दरवाजे से भाजपा सत्ता हथियाने में सफल हुई। झारखंड, उड़ीसा, तेलंगाना, आन्ध्रप्रदेश, और महाराष्ट्र कहीं भी भाजपा और मोदीजीको जनादेश नहीं मिला।

2020में सिर्फ दो विधानसभाओं के चुनाव हुए-दिल्ली में भाजपा बुरी तरह पिटी और बिहार में सत्ता में हिस्सेदार होकर भी खुद ही नहीं मानती कि जनादेश उसके पक्षमें है।

2021 में 5 विधानसभाओंके चुनाव हो चुके हैं। असम और केन्द्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में भाजपा और मोदी को जनादेश मिला जरूर है, लेकिन भाजपा और मोदी की मजबूरी थी कि असम में हेमंत बिस्वा शर्मा को मुख्यमंत्री बनाना पड़ा, जो हाल- फिलहाल तक कांग्रेस में थे और कभी भी उनकी घर- वापसी हो सकती है। प.बंगाल, तमिलनाडु, केरल में भाजपा और मोदी की बड़ी हार के सामने असम और पुडुचेरी की जीत बहुत छोटी जीत है।

                    पंकज कुमार श्रीवास्तव                                          वरिष्ठ पत्रकार, रांची

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