उत्तर प्रदेश लाइफस्टाइल

शराब बिक्री के निर्णय पर पुनर्विचार करे सरकार, देखिये क्या कहते है समाजसेवी आलोक अग्रवाल

Written by Vaarta Desk

केंद्र सरकार द्वारा आज लिए गए निर्णय के अनुसार शराब की दुकानें सम्पूर्ण देश में खोल दी गई हैं, जबकि तमाम ऐसे व्यवसायों को सम्पूर्ण रूप से बन्द रखा गया है, जिनसे उन लोगों की रोज़ी रोटी चलती थी जो रोज़ कमाकर खाते थे, जैसे छोटे चाय के होटल, ढ़ाबे, ठेले पर खाने का व्यवसाय करने वाले, तमाम छोटे और मझोले व्यापारी इत्यादि।

सरकार के इस निर्णय से इतने दिनों से की जा रही सबकी मेहनत पर पानी फेर दिया गया। अब समय आ गया है कि हमें अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना पड़ेगा कि जिस सरकार को हम सबने इतने प्रचंड बहुमत से दो – दो बार जिताया, क्या उसे पुनः लाया जाए, क्योंकि यह सरकार कुछ अलग करने और तुष्टिकरण की ओछी राजनीति से खुद को अलग रखने के वादे के साथ आई थी।

सरकार ने अपने राजस्व की चिंता में इतने दिनों तक कोरोना वारियर्स की सारी मेहनत बेकार कर दी। आज सभी कोरोना वारियर्स और उनके परिवार के सदस्य खुद को ठगा हुआ जरूर महसूस कर रहे होंगे कि उन्होंने किसके लिए इतने दिनों से खुद को खतरे में रखकर लोगों को बचाने में अपना योगदान दिया। सरकार से ज्यादा परेशानी के हालात में व्यापारी वर्ग है, जिसके सभी खर्चे अनवरत चल रहे हैं, लेकिन बंदी के कारण आमदनी ज़ीरो हो चुकी है, उसपर सरकार ने भी किसी तरह का कोई रियायत या पैकेज नहीं दिया है, जिस तरह का समाज के विभिन्न वर्गों को दिया है। व्यापारी अभी भी लगातार सहयोग करते हुए सम्पूर्ण बंदी में योगदान देकर भी कोई शिकायत नहीं कर पा रहा है। तमाम व्यवसायी इस संकट के समय में आम जनमानस का विभिन्न तरीकों से सहयोग भी कर रहे हैं। इसलिए मैं सरकार के इस निर्णय का पुरजोर विरोध करता हूँ।

सरकार को अपने इस निर्णय को वापस लेना चाहिए। इस निर्णय से एक आशंका और बढ़ती है कि जब लॉक डाउन के दौरान इतने लोग संक्रमित हो रहे थे, तो अब तो और ज्यादा लोग संक्रमित होंगे, क्योंकि चाहकर भी इन दुकानों पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन सुनिश्चित करा पाना असंभव ही है। जो लोग राजस्व को लेकर सरकार की चिंताओं की बात कर रहे हैं, उनसे मैं पूछना चाहता हूँ कि उन राज्यों का कार्य कैसे चल रहा है जहाँ पूर्णरूप से शराब बंदी है। आखिरकार वह राज्य भी तो कार्य करते हुए इस समस्या का मुकाबला कर ही रहे हैं। दूसरी बात यह कि जिन लोगों को राशन फ्री में चाहिए उनके पास शराब खरीदने के लिए पैसे कहाँ से आ रहे हैं। जिनके पास खरीदने के पैसे नहीं होंगे तो क्या वो अपराध में लिप्त होकर पैसों का जुगाड़ नहीं करेंगे, इस बात की क्या गारंटी है।

इस महामारी के समय भी बहुत सारी स्वयंसेवी संस्थाओं, संगठनों और व्यग्तिगत स्तर से लोगों ने समाज के विभिन्न क्षेत्रों में अपना भरपूर सहयोग दिया है और लगातार दे भी रहे हैं। क्या यह निर्णय उन सबके साथ एक प्रकार से धोखा नहीं है। समाज और जनता ने प्रधान सेवक के एक आवाहन पर प्रत्येक वह कार्य दिल से किए जो करने का आग्रह किया गया। सभी ने अपने सामर्थ्य के अनुसार प्रधानमंत्री केयर्स फण्ड में धनराशि का सहयोग भी दिया, उसका उपयोग भी तो किया ही जा रहा है। फिर अचानक ऐसी क्या मजबूरी हुई कि इस प्रकार से शराब की दूकानों को खोलकर सभी को भयानक बीमारी से ग्रसित होने के लिए छोड़ दिया गया। कहीं ऐसा तो नहीं कि शराब सिंडिकेट भारी पड़ गया और सरकार को उसके दबाव में ऐसा खतरनाक निर्णय लेना मजबूरी हो गया। चाहे जो भी वजहें हों, लेकिन समाज के अधिकांश लोग इस निर्णय के विरोध में अपनी आवाज़ उठाने लगे हैं। सरकार को भी इस निर्णय पर पुनः एकबार संजीदगी के साथ इस पर विचार करना चाहिए।

आलोक अग्रवाल
बलरामपुर
परास्नातक (राजनीति शास्त्र)

प्रदेश अध्यक्ष-नेशनल ह्यूमन राइट्स कॉन्फिडरेशन ऑफ़ इंडिया
जिला सचिव-यूथ हॉस्टल्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया, जिला इकाई – बलरामपुर
नेशनल काउंसिल मेंबर, यूथ हॉस्टल्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया, नई दिल्ली
सहसचिव-अग्रवाल सभा, बलरामपुर
सदस्य-लायंस क्लब, बलरामपुर
स्वैक्षिक रक्तदानी (14 बार)
संरक्षक- CTCS परिवार, लखनऊ
संरक्षक-आशा वेलफेयर फाउंडेशन, लखनऊ
संरक्षक-अंजली फ़िल्म प्रोडक्शन, लखनऊ
संरक्षक- रिदम डांस फैक्ट्री, लखनऊ
एडमिन/संस्थापक- लखनऊ की शान – हेल्प ग्रुप, लखनऊ
एडमिन/संस्थापक – बलरामपुर के रक्तदानी ग्रुप

About the author

Vaarta Desk

aplikasitogel.xyz hasiltogel.xyz paitogel.xyz
%d bloggers like this: