धर्म

जानिये भगवान गणेश को क्यों प्रिय है दूर्वा, बता रहे ज्योतिषाचार्य अतुल शास्त्री

Written by Vaarta Desk
प्रत्येक भक्त चाहता है कि वह श्री गणेश जी को प्रसन्न करे और उनका कृपापात्र बनें. सच पूछिए तो हमारी और आपकी भी यही इच्छा है. यही वजह है कि उनकी प्रत्येक पूजा में हम उनकी पसंदीदा पूजन सामग्रियों से उनका पूजन करते हैं. गणपति जी  को अर्पित की जाने वाली सभी पूजन सामग्रियों में दूर्वा का अत्यंत विशिष्ट स्थान है। ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री गणेश जी की षडोपचार एवं पंचोपचार पूजन दूर्वा के बिना अधूरी है. यूँ तो दूर्वा  का उपयोग अनेक पूजा कार्यों में किया जाता रहा है,
लेकिन गणेश जी को यह अत्यंत क्यों प्रिय है क्या आप जानते हैं ? यदि नहीं तो आइए ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री जी से जानते हैं इसकी विस्तृत जानकारी. ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री जी कहते हैं, ”दूर्वा जिसे दूब, घास, कुशा, अमृता, शतपर्वा, अनंता, औषधि इत्यादि नामों से जाना जाता है, श्री गणेश जी को अत्यंत प्रिय है। दूर्वा की उत्पति की कथा समुद्र मंथन से जुड़ी हुई है, जिसके अनुसार जब समुद्र मंथन से अमृत की प्राप्ति हुई तो अमृत को लेकर देवों और दैत्यों में जो उत्पात मचा उसके कारण अमृत कलश में से अमृत की कुछ बूंदें पृथ्वी पर भी गिर गईं. यही बूंदे दूर्वा की उत्पत्ति का कारण बनी. अत: दुर्वा को सिर्फ गणेश पूजन में ही नहीं अपितु सभी पूजा में बहुत ही शुभ माना जाता है। इसके अलावा गणेश पूजन में दूर्वा का विशेष महत्व क्यों है इससे जुड़ी हमारे पुराणों में एक कथा भी मिलती है, जो इस प्रकार है:
अनलासुर नामक दैत्य ने जब तीनों लोकों पर अपना अधिपत्य स्थापित करना चाहा तो उसके अत्याचारों से देवता भी त्रस्त होने लगे और पृथ्वी पर मौजूद सभी लोगों पर उस दैत्य का कोप बढ़ गया. उसके कारण चारों तरफ मची अफरातफरी को शांत करने हेतु सभी देवता एवं ऋषि मुनि भगवान श्री गणेश की शरण में गए. भक्तों की इस करुण व्यथा को दूर करने हेतु गणेश जी ने अनलासुर के साथ युद्ध किया और उसे निगल लिया. अनलासुर को निगल जाने पर गणेश जी का शरीर अग्नि के समान तपने लगा और उनके पेट में बहुत जलन होने लगी. इस जलन को शांत करने के कई उपाय किए गए किंतु किसी से लाभ नहीं पहुंचा, तब महर्षि कश्यप जी ने गणेश जी को दूर्वा खाने को दिया. दूर्वा में 21 गांठ लगाकर गणेश जी ने दूर्वा का सेवन जैसे ही किया, उसके खाने भर से उनके पेट की जलन शांत हो गई. गणपति जी इससे बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने दूर्वा को अपने लिए एक महत्वपूर्ण वस्तु के रुप में स्वीकार कर लिया.”

 

About the author

Vaarta Desk

aplikasitogel.xyz hasiltogel.xyz paitogel.xyz
%d bloggers like this: