उत्तर प्रदेश गोंडा स्वास्थ्य

बड़ी खबर: जिला अस्पताल का रक्तकोष हुआ खाली, 6 सौ के सापेक्ष मात्र 70 यूनिट रक्त बचा

रक्त दान ‘कम’- रक्त की मांग ‘ज्यादा ‘ होने से समस्या हुई विकराल

स्वैच्छिक ‘ रक्तदान’ से ही इस समस्या से निपटा जा सकता है

गोंडा। बाबू ईश्वर शरण जिला चिकित्सालय स्थित ब्लड बैंक में स्वैच्छिक रक्तदान की कमी के चलते भारी रक्त की कमी बनी हुई है। शुक्रवार के रोज रक्त कोष स्थित सूचना पटल पर अंकित रक्त की उपलब्धता मात्र 70यूनिट दर्ज था, जो कि अपनी 600 यूनिट क्षमता का मात्र 10% ही है।

रक्त की कमी से जूझ रहे जिला चिकित्सालय के रक्त कोष का यह हाल तब है जब कई स्वयं सेवा संस्थान के द्वारा अभी हाल ही में रक्तदान किया गया है।
1 जुलाई को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के कर्मचारियों के द्वारा 17 यूनिट, 5 जुलाई को भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड के द्वारा 17 यूनिट ,6 जुलाई को नेहरू युवा केंद्र के द्वारा 5 यूनिट, अमर उजाला फाउंडेशन केंदवारा 1 यूनिट, 29 जुलाई को सी एच सी कटरा बाजार में कटरा ब्लॉक प्रमुखंके द्वारा 5 यूनिट रक्त का रक्तदान किया गया।

 

फिर भी रक्त कोष में रक्त की कमी आखिर क्यों?
इस बात का जवाब देते हुए ब्लड बैंक इंचार्ज डॉक्टर चेतन पराशर ने बताते हुए कहा कि इसके कई कारण है। रक्त दान किए जाने की संख्या कम है ।वही रक्त की मांग अधिक होने की वजह से रक्त कोष में रक्त की कमी हो जाती है

अधिकतर स्वैच्छिक रक्तदान करने वाले सामाजिक संगठन रक्त दान करने के बाद मिलने वाले डोनर कार्ड को लेकर चले जाते है।आवश्यकता पड़ने पर वह अपने खास या सगे संबंधियों को कार्ड दे कर रक्त प्राप्त कर लेते है।

अस्पताल प्रशासन कैंसर, थैलीसीमिया,प्लास्टिक अनीमिया,गर्भवती महिलाओं,लावारिश जरूरत मंदो को निशुल्क रक्त उपलब्ध कराता है।

जिला अस्पताल सूत्रों की माने तो रक्त की कमी की परेशानी की एक वजह माननीयो के द्वारा अपने क्षेत्र विशेष के लोगों को रक्त दान किए बिना ही रक्त दिए जाने की सिफारिश भी है।

इन सभी कारणों के चलते रक्तदान होने के पश्चात भी रक्त कोष में रक्त की कमी लगातार बनी रहती है।

रक्तकोष में चल रहा रक्त संकट जन भागीदारी से दूर किया जा सकता है ऐसा कहना है इंचार्ज डॉक्टर चेतन पराशर का।

उन्होंने बताया की उनके द्वारा इस कार्य के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। अभी हाल ही में उनके द्वारा इस संबंध में मुख्य चिकित्साधिकारी डॉक्टर रश्मि को एक सुझाव पत्र दिया गया है।जिसमे उन्होंने सी एम ओ के से अनुरोध करते हुए लिखा है कि वह अपने स्तर से समस्त सामुदायिक स्वास्थ केंद्रों के अधीक्षक को निर्देश जारी करें कि माह में एक बार वह अपने स्तर से केंद्र पर रक्त दान कैंप का आयोजन करे ,इसके लिए क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों प्रधान,प्रमुख,विधायक, सांसद के सहयोग से जन भागीदारी सुनिश्चित कर लोगों को रक्तदान का महत्व व इसकी उपयोगिता के बारे में बात कर लोगों को स्वैच्छिक रक्तदान करने के लिए प्रेरित करें। यदि ऐसा हुआ तो निश्चित ही रक्त की कमी की किल्लत से जूझ रहे जिला चिकित्सालय के रक्त कोष को संजीवनी मिल जायेगी।

डॉक्टर चेतन पराशर ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि लोगों को यह बात अवश्य जान लेनी चाहिए कि रक्त की जरूरत पड़ने पर रक्तदान के द्वारा दिया गया रक्त ही काम आता है। रक्त किसी कारखाने या लेबोरेट्री में नही बनता इसका एक मात्र विकल्प स्वैच्छिक रक्तदान ही है।लोगों को यह भी समझना होगा कि रक्त की जरूरत कभी भी किसी परिवार को हो सकती है। सरकार ने इसके लिए रक्त कोष की स्थापना की है।

लेकिन जब रक्त कोष में रक्त आएगा ही नहीं तो क्या यह संभव है की लोगों को रक्त मिल सके?

इसलिए लोगों को चाहिए कि वे स्वेच्छा से जरूरत पड़ने पर खुद को रक्तदान के लिए तैयार रखें।18 वर्ष से लेकर 48 वर्ष तक का कोई भी स्वस्थ व्यक्ति जिसे कोई गंभीर बीमारी न हो रक्तदान कर सकता है।उन्होंने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों एवं माननीय सांसद,विधायकों से विशेष अपील करते हुए कहा कि वे लोग अगर चाहे तो एक अपार जन समूह को प्रेरित कर रक्तदान के लिए तैयार किया जा सकता है।

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अशफ़ाक़ शाह

(संवाददाता)

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