इंडियन रेडियोलॉजिकल एंड इमेजिंग एसोसिएशन- आईआरआईए के मेरठ चैप्टर की ओर से हुई सीएमई
तीर्थंकर महावीर मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर में रेडियोडाग्नोसिस विभाग के सीनियर प्रो. राजुल रस्तोगी ने कहा, यदि किसी महिला को कंसीव नहीं हो रहा है तो फॉलिक्यूलर मॉलिक्यूलर टेस्ट- एफएमटी कारगर सिद्ध हो सकता है। एफएमटी के जरिए यह पता किया जा सकता है कि महिला में ओवुलेशन के दौरान एक बार में कितने अंडे मैच्योर हो रहे हैं और उनकी ग्रोथ कैसी है। प्रो. रस्तोगी इंडियन रेडियोलॉजिकल एंड इमेजिंग एसोसिएशन- आईआरआईए के मेरठ चैप्टर की मेरठ में आयोजित सीएमई में बेटर अंडरस्टेंडिंग ऑफ एफएमटी पर बोल रहे थे। प्रो. राजुल बोले, एफएमटी में यह भी पता चलता है कि अंडकोश पूर्ण रुप से स्वस्थ हैं या नहीं। इस अवस्था में हार्माेन बहुत मायने रखते हैं। ब्लड सही मात्रा में अंडाणु तक जा रहा है कि नहीं? इस समय पर यदि कोई एआरटी के तहत इंजेक्शन देना है तो उसकी टाइमिंग क्या होनी चाहिए?
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के सीनियर रेडियोलॉजिस्ट प्रो. रस्तोगी बोले, सबसे फाइनल आउटकम यह होता है, यह पता चल जाता है कि गर्भधारण होगा या नहीं होगा। यह टेस्ट फीटल और आईवीएफ दोनों के लिए प्रयोग किया जा सकता है। इस टेस्ट में अल्ट्रासाउंड का प्रयोग किया जाता है। सीएमई में रेडियोलॉजिकल एंड इमेजिंग एसोसिएशन- आईआरआईए यूपी चैप्टर के सचिव डॉ. तनुज गर्ग की उल्लेखनीय मौजूदगी रही। अंत में सीएमई के सभी प्रतिभागियों को सर्टिफिकेट्स वितरित किए गए। सीएमई में टीएमयू रेडियोडाग्नोसिस के डॉ. अर्जित अग्रवाल ने हाउ डू आई डू फीटल के कार्डिक इवेल्यूएशन में बच्चे के हार्ट और उसकी बनावट के मूल्यांकन करने का प्रोटोकॉल बताया। इस अवसर पर प्रेसीडेंट डॉ. सतीश के अरोरा, सेक्रेटरी डॉ. शक्ति पंकज के संग-संग एम्स, दिल्ली की डॉ. स्मिता मनचंदा, मोदीनगर की डॉ. प्राची सिंघल, गाजियाबाद के डॉ. कृष्ण गोपाल आदि मौजूद रहे।