प्राचीन भारतीय साहित्य में अथाह ज्ञानः प्रबंधन में भारतीय ज्ञान प्रणाली पर आईआईटी, बॉम्बे की ओर से बॉम्बे में आयोजित तीन दिनी नेशनल कांफ्रेंस में तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के आईकेएस सेंटर की कोर्डिनेटर डॉ. अलका अग्रवाल समेत 100 से अधिक विद्वानों ने प्रस्तुत किए शोध पत्र
ख़ास बातें
रामायण, महाभारत और कौटिल्य के अर्थशास्त्र में हैं प्रबंध कौशल और नेतृत्व की बारीकियों के गुण
नामचीन लेखक, प्रखर वक्ता, आईकेएस के अग्रदूत एवम् आईआईएम, बंगलूरू के प्रो. बी महादेवन की रही गरिमामयी मौजूदगी
नेशनल कांफ्रेंस में हवाई यूनिवर्सिटी होनोलुलु के प्रो. धर्मा भावुक की रही उल्लेखनीय उपस्थिति
विद्वानों ने मैनेजमेंट, इकोनॉमिक्स, रिसर्च आदि में अध्यात्म और भारतीय ज्ञान परंपरा के महत्व पर डाला विस्तृत प्रकाश
डॉ. अलका अग्रवाल ने की एक सत्र की अध्यक्षता भी, सभी अतिथियों को दिए गए स्मृति चिन्ह
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के सेंटर फॉर इंडियन नालेज सिस्टम-आईकेएस की समन्वयक डॉ. अलका अग्रवाल ने महाभारत में नेतृत्व के महत्व को बताते हुए कहा, कौरवों के पास बड़ी सेना थी, किन्तु कुशल नेतृत्व नहीं था, जबकि पांडवों के पास सेना कम थी, किन्तु कुशल नेतृत्व था। इसीलिए पांडव विजयी हुए। पांडव सेना की इस ऐतिहासिक विजयश्री के मूल में टीम भावना निहित है। यदि टीम के सदस्यों के उद्देश्य सामान नहीं हैं, तो लक्ष्य की प्राप्ति असंभव है। डॉ. अलका शैलेश जे. मेहता स्कूल ऑफ मैनेजमेंट, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे की ओर से प्रबंधन में भारतीय ज्ञान प्रणाली पर आयोजित तीन दिनी नेशनल कांफ्रेंस में वर्तमान परिप्रेक्ष्य के संदर्भ में प्राचीन भारतीय ग्रंथों में प्रबंधन व्यवस्था: विश्लेषणात्मक अध्ययन पर अपना शोध पत्र प्रस्तुत कर रही थीं। कॉन्फ्रेंस में नामचीन लेखक, प्रखर वक्ता, भारतीय ज्ञान परम्परा के अग्रदूत एवम् आईआईएम, बंगलूरू के प्रो. बी महादेवन की उल्लेखनीय मौजूदगी रही। नेशनल कांफ्रेंस में 100 से ज्यादा प्रतिभागियों ने अपना शोध पत्र प्रस्तुत किए। डॉ. अलका अग्रवाल ने एक सत्र की अध्यक्षता भी की। अंत में सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
टीएमयू आईकेएस की समन्वयक डॉ. अलका अग्रवाल बोलीं, रामायण, महाभारत और कौटिल्य के अर्थशास्त्र से प्रबंध कौशल और नेतृत्व की बारीकियों को सीख सकते हैं। भगवान श्रीराम में नेतृत्व के गुण पैदा करने का श्रेय उनके गुरु विश्वामित्र को जाता है। रामायण में जहां एक ओर राम के कुशल नेतृत्व से लंका पर विजय प्राप्त होती है, वहीं रावण का कुप्रबंधन उसकी हार का कारण बनता है। अर्थशास्त्र में लिखे नेतृत्व और प्रबंधन के ज्ञान साम, दाम, दंड और भेद को उन्होंने वर्तमान में चल रही व्यापारिक गतिविधियों के उदाहरणों जैसे- बिज़नेस एलाइनमेंट, मर्जर, एक्वीजीशन आदि के माध्यम से समझाया। कांफ्रेंस में हवाई यूनिवर्सिटी होनोलुलु के प्रो. धर्मा भावुक, आईआईटी जोधपुर के प्रो. जितेश मोहनोत, आईआईएम अहमदाबाद के प्रो. सतीश देवधर, आईआईटी बॉम्बे के प्रो. वरदराज बापट, आईआईटी बॉम्बे के प्रो. रोहन चिंचवाढकर, आईआईटी बॉम्बे के डायरेक्टर प्रो. शिरीष केदारे आदि ने प्रबंधन में आईकेएस के महत्व एवं आवश्यकता पर प्रकाश डाला। कीनोट एड्रेस आरबीआई के इंडिपेंडेंट डायरेक्टर एस. गुरुमूर्ति ने किया। इस नेशनल कांफ्रेंस एवम् कार्यशाला में प्रो. जुबिन मूला, प्रो. आलोक कुमार, प्रो. अजिंक्य नवारे, आईएमआर मुंबई के श्री एसपी जैन, आईआईएम इंदौर के प्रो. सिद्धार्थ रस्तोगी, आईआईटी इंदौर के प्रो. कीर्ति त्रिवेदी, आईआईएम इंदौर के प्रो. राहुल डे सरीखे विद्वानों ने मैनेजमेंट, इकोनॉमिक्स, रिसर्च आदि में अध्यात्म और भारतीय ज्ञान परंपरा के महत्व पर अपने विचार प्रस्तुत किए, जबकि एक्स धर्मा विकी टीम ने आईकेएस का अवलोकन और प्रबंधन सामाजिक विज्ञान के लिए प्रासंगिक स्रोत पर प्रकाश डाला।