गोंडा। मौसम के बदलने से जिले में जहां एक तरफ बड़े लोगो मे सर्दी खांसी जुकाम बुखार की शिकायते देखने को मिल रहा वही छोटे बच्चों में ब्रोंकाइटिस, निमोनिया, सेप्सिस जैसी बीमारियां अपने पैर पसार रही है। जिला अस्पताल में इस समय इन बीमारियों की चपेट में आए दर्जनों बच्चे गंभीर रूप से बीमार अवस्था में भर्ती है। जिनका इलाज अस्पताल के चिल्ड्रेन वार्ड, पीकू वार्ड में चल रहा है।
इनमे से कई बच्चे ऐसे भी हैं जो बेहद नाजुक हालत में है। पीकू वार्ड में भर्ती बच्चों में महिमा 02 माह पुत्री सतीश कुमार चौबेपुर कोतवाली देहात, छोटू 02 माह पुत्र दिवाकर मिश्र चांदपुर तरबगंज, स्वाती 02 माह पुत्री शिवकुमार धुसवा मनिकापुर, अविनाश सिंह 01 वर्ष पुत्र मनोज सिंह छावनी सरकार कोतवाली नगर, कायनात 01 वर्ष 08 माह पुत्री नूर अली इमाम बाड़ा कोतवाली नगर को निमोनिया,सांस लेने में तकलीफ पसली का चलना की शिकायत के चलते बेहद नाजुक स्थिति में भर्ती कराया गया है।
वही चिल्ड्रन वार्ड में छोटू तिवारी 06 माह पुत्र संजय कुमार पंडित परसिया धानेपुर, अभय शुक्ला 07 माह पुत्र दिनेश कुमार शुक्ल बरुआ चक मोतीगंज, सत्यम 05 माह पुत्र मनोज कोडरी बरौली उमरी बेगम गंज, देव 03 माह पुत्र नन्हू पेरी पोखर नगर कोतवाली, अनम 10 माह पुत्री तस्लीम बड़का बस्तर कर्नल गंज को निमोनिया सांस में तकलीफ के चलते जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया है।
ठंडक के बढ़ते ही बच्चों में इस प्रकार की बीमारियों के बढ़ने को लेकर जिला चिकित्सालय के बाल रोग विशेषज्ञ चिकित्सक डॉक्टर आफताब आलम से इसके क्या कारण है को लेकर जब बात की गई तो उन्होंने कई ऐसे कारण बताए जो बेहद चौकाने वाले है।
उन्होंने बताया कि ठंडक में अक्सर मां बाप बच्चों के साथ लापरवाही कर जाते है। मौसम के बदलने पर छोटे बच्चों विशेषतः 01, से 09 माह तक के बच्चों के कपड़े मौसम के अनुकूल पहनाने चाहिए,लेकिन अक्सर इसमें लापरवाही होती है। इसके कारण पांजर चलना, जिसे पसली चलना कहते है अकड़न तेज बुखार बच्चो में हो जाता है। 01, से 09 माह तक के बच्चों को बोतल से दूध पिलाने वाली माताओं को सावधान हो जाना चाहिए क्योंकि बोतल के दूध के कारण बच्चो में सेप्सिस रोग ठंडक में बड़ी तेजी से फैलता है इसके कारण सांस लेने में कठिनाई,बार बार दस्त उल्टी बुखार बच्चो में हो जाता है। इसी कारण बच्चों को निमोनिया की भी शिकायत हो जाती है।
अक्सर मां बाप बच्चों को समय से सम्पूर्ण टीकाकरण नही करा पाते इस कारण भी बच्चो की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर हो जाने के कारण बच्चे बीमार हो जाते है,और पसली का धंसना, सांस लेने में कठिनाई, निमोनिया के शिकार बन जाते है। इसकी एक बड़ी वजह गंदगी भी है जो बच्चे गंदे माहौल में रहते है वह भी सेप्सिस डायरिया के शिकार हो जाते हैं।निमोनिया की बीमारी के लिए जिम्मेदार है रेस्पिरेटरी सिंटीशनल वायरस जिसे R S V कहते है।और यह इसी के कारण होता है।
यदि बच्चो में सांस की लेने में कठिनाई, पसली का चलना, बार बार दस्त आना, बुखार आना, उल्टी की शिकायत के लक्षण दिखे उन्हे फौरन ही नजदीक के अस्पताल ले जाए या जिला अस्पताल लाऐं,बाल रोग विशेषज्ञ को दिखाएं । लापरवाही न करें लापरवाही आपके नन्हे बच्चे की जान के लिए घातक हो सकता है।
छोटे बच्चों को प्रॉपर टीकाकरण कराए, साफ सुथरे गर्म कपड़े पहनाए, बोतल से दूध बिलकुल न पिलाए, छ: माह तक मां का दूध अवश्य पिलाए। इन सब सावधानियों को अपना कर आप अपने बच्चे को इस ठंडक में बीमारियों से बचा सकते है।
You must be logged in to post a comment.