बस्ती (उत्तरप्रदेश)। जिले के प्रतिष्ठित स्कूल सरला इंटरनेशनल एकेडमी में बीते सप्ताहांत उत्तर प्रदेश मानवाधिकार आयोग एवम डॉ०राम मनोहर लोहिया राष्टीय विधि विश्विद्यालय लखनऊ के संयुक्त तत्वाधान में “डिजिटल मानवाधिकार : उत्तर प्रदेश राज्य में उभरते आयाम एवम चुनौतियां” विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
प्रोजेक्ट निदेशक व वक्ता डॉ० अमनदीप सिंह ने कहा कि डिजिटल मानवाधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और गोपनीयता से निकटता से जुड़े हुए हैं।
हमारे समाज का डिजिटल परिवर्तन निश्चित रूप से सभ्यता के सबसे तेज और सबसे गहन बदलावों में से एक है ।
कोविड-19 महामारी ने डिजिटल सेवाओं की क्षमता का खुलासा किया, जिस कारण दुनिया भर में डिजिटल मानवाधिकारों पर काफी चर्चा हो रही है। डिजिटल मानवाधिकार इंटरनेट युग के लिए मानवाधिकारों का विस्तार है।
भारत के प्रधानमंत्री ने देश मे 2015 में डिजिटल इंडिया प्रोग्राम की शुरूआत की। डिजिटल इंडिया प्रोग्राम की कामयाबी के लिए प्रत्येक व्यक्ति का डिजिटल साक्षर होना आवश्यक हैं।
प्रोजेक्ट निदेशक व वक्ता डॉ विकास भाटी ने कहा कि इंटरनेट का उपयोग प्रत्येक क्षेत्र में बढ़ रहा है । इंटरनेट मानवाधिकारों की प्राप्ति और आर्थिक विकास को गति देने के लिए एक अनिवार्य उपकरण बन गया है।
सामाजिक विकास संबंद्धता के लिए सभी को विधिक जानकारी का होना आवश्यक हैं। वर्तमान परिक्षेय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आज प्रत्येक क्षेत्र के अपनी क्षमता का प्रचार कर रहा है और मानव संसाधन का विकल्प बन रहा हैं।
आज के डिजिटल युग मे डिजिटल साक्षर होना आवश्यक हैं। भारत की राष्ट्रपति के अनुसार भारत एक ज्ञान अर्थव्यवस्था के रूप में तभी विकसित होगा जब प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से डिजिटल साक्षारता को बढ़ावा दिया जायेगा ।
कार्यक्रम के दौरान एक प्रश्नावली के माध्यम से छात्रों से डिजिटल मानवाधिकार के प्रति उनके नजरिये की जानकारी ली गयी। इस जानकारी को उ0प्र0 मानवाधिकार आयोग को प्रेषित किया जायेगा।
उक्त कार्यक्रम में श्रीमान रिचर्ड विलियम्स ( सी. ई. ओ. सरला ग्रुप ) एवं सारे शिक्षकगण उपस्थित रहे।
संगोष्ठी में मुख्य रूप से इस बात पर ज़ोर दिया गया कि अपने समग्र विकास के लिए हम सभी को डिजिटल क्रांति का हिस्सा बनना होगा। डिजिटल होकर ही हम प्रदेश द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ ले पाएंगे।
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