संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने बुधवार को पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कर दिया। यह प्रतिबंध चीन द्वारा अपनी आपत्ति वापस लेने के बाद लगाया गया है। माना जा रहा है चीन के रूख मे यह परिवर्तन भारतीय कूटनीति की बड़ी जीत है।
इससे पहले जब भी सुरक्षा परिषद में मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने को लेकर मांग उठी तो चीन ने अपना अड़ंगा लगाया। हर बार चीन ने तकनीकी खामी का हवाला देकर मसूद अजहर मामले में वीटो शक्ति का प्रयोग किया। उसका हर बार एक ही जवाब रहा कि हमें धैर्य से काम लेना चाहिए और कोई जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।
भारत ने सबसे पहले संयुक्त राष्ट्र में मसूद अजहर को प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव 26/11 को मुंबई में हुए आतंकवादी घटना के बाद किया था। लेकिन शुरू से ही चीन का रूख इस मामले में सख्त बना रहा। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वीटो पावर रखने वाले अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने भी जब मसूद अजहर पर प्रस्ताव दिया था तो चीन ने अपनी शक्ति का प्रयोग करते हुए इसपर भी वीटो लगा दिया था।
कैसे पलटा चीन
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चीन को छोड़ लगभग सभी देश भारत के पक्ष में थे। यहां तक की अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस तो मसूद के खिलाफ प्रस्ताव भी लेकर आए। रूस भी भारत के इस प्रस्ताव पर समर्थन में खड़ा था।
जब सुरक्षा परिषद के अस्थाई स्दस्यों में से भी ज्यादातर मसूद अजहर पर दिए गए प्रस्ताव के समर्थन में आ गए थे। तब चीन की वैश्विक स्तर पर निंदा होने लगी। अधिकतर देश यह कहने लगे कि वो पाकिस्तान में रहने वाले इस आतंकवादी का समर्थन कर रहा है।
जब सुरक्षा परिषद में मसूद अजहर को प्रतिबंधित करने के मामले में आम राय नहीं बना सकी तब फ्रांस ने इस मामले में अगुवाई करते हुए खुद ही मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कर दिया। इससे चीन और अलग-थलग पड़ गया।
फरवरी में हुए पुलवामा आतंकी हमले के बाद फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध कमेटी की मार्च में हुई बैठक में मसूद अजहर को प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव फिर से रखा। लेकिन चीन ने आखिरी समय पर एक बार फिर इसपर ‘तकनीकी रोक’ लगा दी। ये चौथी बार था जब चीन ने मसूद अजहर मामले में वीटो का प्रयोग किया था।
इसके कुछ ही दिनों के बाद चीन के विदेश मंत्री और भारत में उनके राजदूत इस मुद्दे का जल्द समाधान निकालने की बात करने लगे और डेढ़ महीने के अंदर ही चीन ने इस प्रस्ताव पर अपनी सहमति दे दी।
चीन का ये हृदय परिवर्तन कैसे हुआ?
चीन को सार्वजनिक रूप से अपनी बेइज्जती का डर सता रहा था। दसअसल उसके द्वारा मसूद अजहर मामले में बार-बार लगाई जा रही तकनीकी रोक से परेशान होकर अमेरिका ने पिछले महीने सुरक्षा परिषद में इस मुद्दे पर बहस करने का प्रस्ताव दिया था। अमेरिका ने कहा था कि ये बहस सुरक्षा परिषद के टेबल पर होनी चाहिए।
इससे चीन के उपर यह दबाव बनने लगा कि वह मसूद अजहर पर अपने रूख को सार्वजनिक रूप से स्पष्ट करे। अब तक प्रतिबंध समिति की बंद दरवाजों के पीछे होने वाली बैठकों में अपनी बात रखता था जिससे ये पता नहीं चल पाता था कि इस मामले में चीन दर असल क्या कहता था।
कुछ दिनों पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने झूठ फैलाना शुरू कर दिया कि मसूद अजहर बहुत बीमार हैं और जबतक उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिलता, तबतक उन्हें कोर्ट में घसीटा नहीं जाना चाहिए।
मसूद अजहर का क्या होगा
सुरक्षा परिषद की एक विशेष समिति आईएसआईएस, अल-कायदा और इससे संबंधित व्यक्तियों, समूहों, उपक्रमों और संस्थाओं पर सुरक्षा परिषद द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों की निगरानी करती है। अब यही समिति मसूद अजहर से जुड़े मामलों को भी देखेगी। मसूद पर मुख्यत तीन तरह के प्रतिबंध लगे हैं।
मसूद की संपत्ति जब्त
इस सूची में शामिल होते ही संयुक्त राष्ट्र के नियमों के अनुसार सभी देश बिना देरी किए मसूद अजहर की संपत्ति, समूह या संस्था का धन, वित्तीय संपत्ति और आर्थिक संसाधनों को जब्त कर चुके हैं। पाकिस्तान में वह किसी भी संपत्ति की खरीदफरोख्त नहीं कर सकता है।
यात्रा पर प्रतिबंध
सभी देश मसूद अजह के प्रतिबंधित सूची में शामिल होते ही उसके यात्रा पर प्रतिबंध लगा चुके हैं। वह अपने भी देश पाकिस्तान में स्वतंत्र रूप से नहीं घूम सकता। उसे विश्व का कोई भी देश वीजा नहीं देगा।
शस्त्र पर प्रतिबंध
संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंधित सूची में शामिल होते ही मसूद अजहर को किसी भी देश या संगठन द्वारा हथियारों का खरीद-फरोख्त, उसके पुर्जों, मैटेरियल, तकनीकी की जानकारी देने पर प्रतिबंध लग गया है। मसूद अब किसी भी देश का झंडा लगा वायुयान या जलपोत का उपयोग नहीं कर सकता है।
जिस कमेटी ने मसूद को किया बैन, जानिए उसमें कौन-कौन से देश शामिल हैं
इस कमेटी में सुरक्षा परिषद के 15 सदस्य शामिल हैं। जिसके अध्यक्ष इंडोनेशिया के डायन त्रियानसिहा जानी हैं। इस कमेटी के रूस और पेरू, दो उपाध्यक्ष भी हैं। इनका कार्यकाल 31 दिसंबर 2019 को खत्म हो रहा है। यह कमेटी आतंकवाद पर वार्षिक रिपोर्ट तैयार करती है। कमेटी को चलाने के लिए यूएन की अपनी गाइडलाइन भी है।
यह हैं सदस्य देश
इस परिषद में कुल 15 सदस्य देश शामिल हैं। जिसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 5 पूर्ण सदस्य यूएस, रूस, चीन, ब्रिटेन फ्रांस हैं। बाकी 2 साल के लिए 10 अस्थाई सदस्यों का भी चयन किया गया है जिनके नाम निम्न हैं- बेल्जियम, डोमेनिकन रिपब्लिक, इक्वेटोरियल गिनी, आइवरी कोस्ट, जर्मनी, इंडोनेशिया, कुवैत, पेरू, पोलैंड और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं।