चुनाव व आंदोलन से कोरोना की दूरी।
बचाव के लिए केवल जनता की मजबूरी।
विपक्षी आरोप के बीच उन्ही के राज्य में अधिक कोरोना संकट।
प्रयागराज। कोविड-19 इस दुनिया का एकमात्र ऐसा मायावी महासंकट आया है जोकि राजनीति व आंदोलन से परहेज रखते हुए केवल सामान्य जन समुदाय पर हावी हैं।
जानकारी के अनुसार उपरोक्त तथ्य आश्चर्यजनक परन्तु कड़वा सच है। विगत एक साल से विश्व को अपने आगोश में लेकर मानव समुदाय पर प्रलयंकारी आफत मचाने वाला यह कोरोनो जहां एक तरफ सरकार व प्रशासन के हाथ-पांव बांधकर चिकित्सा व किराना व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए बेहतर कमाई का शानदार अवसर बना वहीं बिहार, पश्चिम बंगाल सहित तमाम तमाम राज्यों में राजनीतिक भीड़ में जाने से डरता भी है परंतु सामान्य आम जनमानस को देखते ही दौड़ाता है तथा लगभग चार महीने से हजारों के भीड़ वाले किसान आंदोलन में भी जाने से यह कोरोना घबड़ाता है।
हालांकि एक और विचित्र सत्य यह है कि केंद्र की सत्तारूढ़ दल व उसके नेताओं पर कोरोना पर कोरोना फैलाने का आरोप व कोरोना का अस्तित्व नकारने वाले विपक्षी दलों को अपने सत्तासीन राज्यों महाराष्ट्र, केरल, राजस्थान व दिल्ली आदि राज्यों में कोरोना भयावह कोरोना का कहर जारी है।
बता दें कि विगत एक साल से दुनिया कोरोना की भयावह मार झेल रही है परंतु किसान आंदोलन व राजनीतिक भीड़ के आगे कोरोना नतमस्तक है लिहाजा इन आंदोलनों व राजनैतिक भीड़ में एक भी कोरोना से मौत सामने नही आई है।
उपरोक्त तथ्य सामने रखते हुए वरिष्ठ समाजसेवी आर के पाण्डेय एडवोकेट ने आम जनमानस को भ्रम से दूर रहकर जागरूक होते हुए स्वयं की सुरक्षा व कोरोना से बचाव हेतु दो गज दूरी मास्क जरुरी के नारे का अनुपालन करने तथा कोरोना से बचाव के उपाय अपनाकर स्वयं व स्वयं के परिवार की सुरक्षा के साथ कोरोना मुक्त विश्व हेतु अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देने की बात कही है।
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