गोण्डा/लखनऊ । प्रदेश के जनपद गोण्डा सहित 10 जिलों में आवारा पशुओं की गम्भीर समस्या को देखते हुए सरकार ने एक बडा निर्णय लेते हुए इसकी जिम्मेदारी जिलां पंचायत को सौंप दी है। अब इन जनपदों की जिला पंचायतें अभियान चलाकर किसानों को आवारा प्शुओ से आने वाली समस्या से किसानो को निजात दिलायेगी। जानकारी के अनुसार यह प्रयोग यदि सफल रहा तो इसे पूरे प्रदेश मे ंलागू किया जा सकता है।
ज्ञात हो कि प्रदेश की येागी सरकार ने छुटटा जानवरो की परेशानी को देखते हुए और गौसरंक्षण के दृष्टिकोण से प्रत्येक जनपद मे कई गौ आश्रय स्थलो का निर्माण किया था लेकिन प्रशानिक लापरवाही या फिर कहें व्यस्थागत कमी के चलते यह प्रयोग धरातल पर उतरता नही दिखाई दे रहा है जिसके चलते जहां किसानों की फसलो को नुकसान उठाना पड रहा है वही दुर्घटनाओ का होना भी पूर्ववत बना हुआ है। गौ आश्रय स्थलों का अपने कार्ययोजना मे सफल न होने का एक बडा कारण यह भी है कि ग्राम पंचायतों मे पशुओ को पकडने के लिए कोई व्यवस्था ही नही बनायी गयी है।
मिल रही जानकारी के अनुसार कृषि उत्पादन आयुक्त आलोक सिंन्हा की अध्यक्ष्ता मे हुयी बैठक मे छुटटा जानवरों की समस्या के साथ ही अन्य कई समस्याओ ंपर चचार्च की गयी जिसमें निर्णय लेत हुए कहा गया कि गोण्डा, श्रावस्ती, महोबा, चित्रकूट, ललितपुर, झासी, बांदा, बस्ती गाजीपुर तथा उन्नाव मे छुटटा जानवरों को पकडने की जिम्मेदारी अब वहां की जिला पंचायतों को दी जाये। ये पंचायतें कैटल कैचर को प्रयोग कर प्शुओ ंको पकडेंगी। इतना ही नही जिला पंचायतें गौवशो को पकडने के लिए सेवा प्रदाता संस्थाओ ंकी सहायता भी ले सकती है।
इस व्यवस्था का बडा प्रभाव ये पडेगा कि अब कम समय मे अधिक से अधिक जानवरो को पकड कर उन्हे आश्रय दिया जा सकेगा इसके साथ ही गौ आश्रय केन्द्रो में चैकीदार या केयरटेकर की व्यवस्था पंचायती राज विभाग करेगा। बताया जा रहा है इस व्यवस्था के लिए जल्द ही शासनादेश भी जारी कर दिया जायेगा।
इस व्यवस्था के अन्र्तगत ग्राम प्रचायत स्तर पर प्शुओं को चिन्हीकरण किया जायेगा जिसमें पशुओं की आयू, उनका लिंग, प्शु के स्वामी का नाम पता तथा दूरभाष नम्बर भी दर्ज किया जायेगा। पशुओं को समय से चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हो इसके लिए बीमारियो के सामान्य लक्षणो के साथ ही सम्बध्ंिात पशु चिकित्साधिकारियो का नम्बर भी वाल पेटिंग के माध्यम से उपलब्ध कराया जायेगा। गौ आश्रय स्थलो से वैल्यू ऐडेड प्रोडेक्ट भी तैयार कराये जायेगें। प्रत्येक पन्द्रह दिन पर निराश्रित गोैवशों के भरण पोषण व सरक्षण से सम्बधित समीक्षा की जिम्मेदारी बीडीओ को सौपी जायेगी। गौ आश्रय स्थलों मे आश्रित प्शुओ के चारे, दाने, झूल, अलाव, कुत्तो से सुरक्षा, पीने के पानी की व्यस्था ग्राम्य विकास, पंचायती राज विभाग तथा नगर विकास विभाग मिलकर करेंगें।