उत्तर प्रदेश शिक्षा

“एजुकेशन आफ्टर पेंडेमिक” तालीमी बेदारी का सेमिनार, मंत्री दानिश रहे मुख्य अतिथि

लखनऊ। शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था तालीमी बेदारी के तत्वाधान में “एजुकेशन आफ्टर पेंडेमिक “विषयक सेमिनार का आयोजन शनिवार को अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान, गोमती नगर में किया गया। जिसके मुख्य अतिथि दानिश आज़ाद अंसारी ,अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री, उत्तर प्रदेश और अध्यक्षता देश के जाने माने विधि विशेषज्ञ प्रो फैजान मुस्तफ़ा ने किया। सेमिनार में देश प्रदेश के सामाजिक कार्यकर्ताओं, शिक्षाविदों और बुद्धजीवियों आदि ने हिस्सा लिया। सेमिनार में शिक्षा एवं समाजसेवा के क्षेत्र में काम करने वाले देश के दर्जनों विभूतियों को व प्रतिभावान छात्र छात्राओं को सम्मानित भी किया गया।

 

देश के पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न डाॅ॰ ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम की जयंती पर आयोजित सेमिनार का उद्घाटन मुख्य अतिथि दानिश आज़ाद अंसारी गेस्ट ऑफ ऑनर डॉ कौसर उस्मान, प्रो राज कुमार, प्रो मधुरीमा लाल, नेपाल मुस्लिम आयोग के सदस्य मिर्ज़ा अरशद बेग, डॉ सबा युनुस, डॉ सबीहा खान, डॉ जावेद मलिक, डॉ अमीक जमई आदि ने दीप प्रज्वलन कर किया।

अध्यक्ष डाॅ॰ वसीम अख्तर, निहाल अहमद, मारूफ हुसैन, रिजवान अंसारी, शारिब खान, नौशाद सिद्दीकी, अंसार अहमद खान, हिसामुद्दीन अंसारी, शोएब अख्तर आदि ने मुख्यातिथि और विशिष्ट अतिथियों का बुके और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। मुख्य अतिथि श्री अंसारी ने कहा कि शिक्षा के महत्व को आत्मसात करके कलाम साहब ने देश को मजबूत बनाया। उनका जीवन देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए अनुकरणीय हैं। उन्होंने शिक्षा के महत्व को न सिर्फ खुद समझा बल्कि उसे जन-जन तक पहुंचाने के लिए जीवन भर संघर्ष करते रहे। उन्होंने भारत को एक विकसित और शक्तिशाली देश बनाने का सपना देखा था। शिक्षा को सबके लिए सुलभ बनाकर ही देश को मजबूत बनाया जा सकता है। यही कलाम साहब को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने मदरसों के हो रहे सर्वे पर कहा कि सरकार किसी भी गैर मान्यता प्राप्त मदरसों पर कोई कार्यवाही नही करेगी उन्हें मान्यता का अवसर दिया जाएगा।सरकार सभी वर्गों के विकास के लिए तत्पर है। तालीमी बेदारी के इस आयोजन के लिए मैं पूरी टीम को मुबारक बाद देता हूँ।

गेस्ट ऑफ ऑनर केजीएमयू के प्रोफेसर डॉ कौसर उस्मान ने कहा कि शिक्षा से सामाजिक-आर्थिक विकास संभव है। तालीमी बेदारी का काम काबिले तारीफ है। उन्होंने कहा कि शिक्षा से ही देश आगे बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि यह समय ज्ञान और तकनीक का है। जिस देश के पास जितना ज्ञान होगा वह देश उतना ही तरक्की करेगा।

प्रोफेसर मधुरिमा लाल ने अपने संबोधन में कहा कि शिक्षा मनुष्य के सर्वांगीण विकास के लिए अति आवश्यक है। कलाम साहब शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, आधुनिक शिक्षा पर बल देते थे। वो सीखने पर जोर देते थे उनका मानना था कि इंसान के सीखने की कोई उम्र नहीं होती।

दक्षिण एशिया के जाने माने न्यूरो सर्जन व पीजीआई के प्रोफेसर राजकुमार ने तालीमी बेदारी की पूरी टीम को मुबारकबाद देते हुए कहा कि तालीमी बेदारी का यह कारवां शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी क्रांति लाएगा। कलाम साहब ने जो सपना देखा था उसे तालीमी बेदारी साकार करने में कामयाब हो ईश्वर से प्रार्थना है।

अपने अध्यक्षीय संबोधन नालसार हैदराबाद पूर्व वाईस चांसलर ने कहा कि कलाम साहब ने विकसित भारत का सपना देखा था। उस विकसित भारत के सपने को पूरा करने के लिए समाज के शिक्षित, जागरूक और सक्षम लोगों को आगे आना होगा।

प्रो फैजान ने कहा कि अल्पसंख्यको को एडेड शिक्षण संस्थानों की आवश्यकता है, स्कूल कालेज तो बहुत खुले लेकिन वो गरीबो की पहुंच से बहुत दूर है।अल्पसंख्यक शिक्षा में पिछड़े क्यों है इस पर आत्मोलोकन करने की ज़रूरत है। प्रो फैजान मुस्तफ़ा ने कहा कि हमारे मदारिस पहले यूनिवर्सिटी थे ।मदरसों का आज़ादी में अहम रोल था ।आज भो कर्नाटक में महमूद गवा का विदर्भ में मदरसा है ,जो दीनी व दुनियावी तालीम का मरकज़ है ,आज भो उस मदरसे में फिजिक्स, केमेस्ट्री आदि अलग अलग विभाग हैं ।जो बड़े फ़की थे वो बड़े साइंटिस्ट भी थे ।

सेमिनार में बालिका शिक्षा पर परिचर्चा का भी सेशन रखा गया। इस परिचर्चा में जानी मानी समाजशास्त्री डॉ सबा यूनुस, डॉ शाहीन खान ने हिस्सा लिया। एजुकेशन आफ्टर पेनडेमिक “ पर अमीक जामई, जावेद मलिक, डॉ इम्तियाज़ सर्जन, मिर्ज़ा अरशद बेग सदस्य मुस्लिम आयोग नेपाल ने अपने विचार रखे।

शिक्षा व समाज सेवा के क्षेत्र के में उल्लेखनीय योगदान के लिए दर्जनों अन्य विभूतियों को भी सम्मानित किया गया। सेमिनार में मेधावी छात्र-छात्राओें को भी सम्मानित किया गया। सेमिनार का संचालन प्रदेश अध्यक्ष सगीर ए खाकसार ने किया।

सेमिनार में डॉ ज़ियाउल अबरार,सयैद रिज़वान अली, डॉ असगर अली, ऐजाज़ मलिक, कमरुल चौधरी, लकी खान, सयैद असगर जमील, मुतस्तन सेरुल्लाह खान, इरशाद अहमद खान, प्रो शादाब रज़ा, जीएच कादिर, वसीम खान, सयैद असगर जमील, अहमद सुहेल, हमीदुल्लाह सिद्दीकी, ओबैद नासिर,डॉ सौदुल हुसैन की भी भागीदारी रही।

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राजेंद्र सिंह

राजेंद्र सिंह (सम्पादक)

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