कुम्भकर्णी नींद से जागे कर्मठ और जुझारू दावेदार
गोण्डा। निकाय चुनावों की घोषणा होते ही पार्टियों के अधिकृत प्रत्याशी के साथ तमाम निर्दल प्रत्याशी भी मैदान में विचरते दिखाई देने लगे हैं, हैरानी तो इस बात की है इनमे ऐसे भी तमाम प्रत्याशी हैं जिन्हे ये तक नहीं पता की उनका वार्ड कहाँ से आरम्भ होता है और कहां समाप्त। पूरे पांच वर्ष जनता से कटकर अपनी ही दुनिया में खोये रहने वाले और चुनाव आते ही द्वारे द्वारे नगरी नगरी चौखट बजाने वाले दावेदारों की तो संख्या ही अनगिनत हैं।
पिछले दिनों आयोग द्वारा निकाय चुनाव की उद्घोषणा के साथ ही पार्टी कार्यालयों और वरिष्ठ नेताओं के घर प्रत्याशियों की भीड़ जुटने लगी, टिकट की आस में मिसफिट पाए गए प्रत्याशियों में से कई ने विरोध का झंडा उठाते हुए अपनी भी दावेदारी ठोक दी।
जनता के बीच रहने, उनके सुख दुख में भागीदारी करने वाले प्रत्याशियों तक तो ठीक है लेकिन इनमे से कुछ या कहे अधिकांश प्रत्याशी ऐसे भी दिखाई दे रहे हैं जिन्हे अपने निर्वाचन क्षेत्र की जानकारी तक नहीं हैं। मंगलवार की सुबह एक ऐसे ही सभासद प्रत्याशी अपने बुजुर्ग पिता के साथ क्षेत्र में टहलते दिखाई दिए जिनके बुजुर्ग पिता उन्हें बता रहे थे यहाँ से तुम्हारा क्षेत्र शुरू होता हैं और वहां समाप्त होता हैं। अब इस बात से ये आसानी से समझा जा सकता हैं की ये किस तरह के प्रत्याशी होंगे।
यही नहीं ऐसे भी प्रत्याशियों की संख्या बहुत अधिक हैं जिन्होंने पूरे पांच वर्ष अपने क्षेत्रवासियों से पर्याप्त दूरी बनाते हुए अपने उल्टे सीधे धंधे में ही लिप्त रहना उचित समझा उन्होने भी मैदान में उतरकर अपनी ताल ठोक दी हैं। इनमे से बहुत से प्रत्याशी ऐसे भी हैं जिन्हे ये पता हैं की वे कभी भी जीत नहीं सकते लेकिन टिकट न मिलने की खुन्नस और अधिकृत प्रत्याशी को हानि पहुंचाने की मंशा उनसे ये परिश्रम करवा रही हैं।