अज़ब ग़ज़ब अपराध उत्तर प्रदेश गोंडा

गोण्डा से लखनऊ, लखनऊ से गोण्डा, फिर भी नहीं आया होश। नगर कोतवाली पुलिस फिर भी नहीं मान रही जानलेवा हमला

गोण्डा। गत आठ जून को दबंगों के हमले से घायल अनूप तिवारी को तत्काल गोण्डा से लखनऊ रेफर किया गया वहां से सिर का आपरेशन करके 18 दिन भर्ती रखने के बाद बेहोशी हालत में ही डिस्चार्ज करके गोण्डा जिला अस्पताल में भर्ती करने की सलाह देते हुए जबरदस्ती ये कहकर गोण्डा भेज दिया कि इनकी स्थिति नाजुक हैं और इन्हें होश आने में कई महीने भी लग सकता है। इसलिए हम इन्हें इतने दिनों तक नहीं रख सकते हैं।

चोट के बीस दिन बीतने पर भी खबर लिखे जाने तक घायल अनूप तिवारी को होश नहीं आया है। जबकि दबंग खुलेआम घूमते हुए घायल के परिवार को आते जाते हंसी ठिठोली लेकर चिढ़ा रहे हैं। बावजूद इसके नगर कोतवाली पुलिस का कहना है कि गिरफ्तारी वाली धारा नहीं लगी है। इसलिए आरोपियों को गिरफतार नहीं किया जा सकता है। जबकि लखनऊ से लेकर गोण्डा जिला अस्पताल के सभी डाक्टर स्थिति नाजुक बता रहे हैं।

घटना के अनुसार गत आठ जून को रास्ते के विवाद में ग्राम जैजैराम पुरवा में दबंगों ने अनूप तिवारी और उनके परिवार पर जानलेवा हमला किया। हमले में जहां अनूप तिवारी मौके पर ही बेहोश हो गये वहीं परिवार के सदस्यों को भी चोटें आई। अनूप तिवारी को तत्काल लखनऊ मेडिकल कॉलेज के ट्रामा सेंटर रेफर कर दिया गया। जहां पर डाक्टरों ने उन्हें 18 दिन भर्ती रखकर इलाज किया। इस दौरान इनके सिर की हड्डी का आपरेशन भी हुआ परन्तु होश में नहीं ला सके और अंत में थक-हार कर बेहोशी अवस्था में ही जिला अस्पताल में भर्ती करने की सलाह देकर इस दबाव के साथ डिस्चार्ज कर दिया कि इन्हें होश आने में कई महीने लग सकते हैं और इतने दिनों तक हम इन्हें यहां नहीं रख सकते हैं। 26 जून की रात जिला अस्पताल गोण्डा में भर्ती कराया। जहां डाक्टरों ने अनूप के पुत्र से यह लिखवा लिया कि वह अपनी जिम्मेदारी पर अस्पताल में भर्ती कराए हैं। अस्पताल की कोई जिम्मेदारी नहीं है।

पूरे मामले में पुलिस की भूमिका शुरू से ही संदिग्ध रही है। सर्व प्रथम तो दरोगा राजेन्द्र कनौजिया ने पीड़ित की तहरीर बदलवा दिया और फिर हल्की धारा 323 504 506 में मुकदमा दर्ज कर लिया। ऐसा तब है जबकि दरोगा राजेन्द्र कनौजिया के सामने ही बेहोशी अवस्था में लखनऊ के लिए 108 एम्बुलेंस में लादा गया था। दरोगा राजेन्द्र कनौजिया और नगर कोतवाल राकेश कुमार सिंह शुरू से ही इस मामले में कन्फ्यूज नजर आए। धाराएं बढ़ाने के नाम पर लगातार मेडिकल कॉलेज ट्रामा सेन्टर की रिपोर्ट का इन्तजार करने की बात करते रहे। जबकि गोण्डा जिला अस्पताल में हुई डाक्टरी में हेड इन्जरी और सिर में 5 सेमी से अधिक घाव प्रदर्शित हो रहा था। इस प्रकार 18 दिन तक लखनऊ से रिपोर्ट आने की बात कह कर टालते रहे और घायल के लड़कों द्वारा दिखाई जाने वाली लखनऊ की रिपोर्ट जिसमें सिर की हड्डी टूटी हुई और हेड इन्जरी प्रदर्शित हो रही है । जिसे देखकर भी यह कहकर टालते रहे कि हम मेडिकल कॉलेज की मोहर लगी रिपोर्ट ही मानेंगे और वह रिपोर्ट डिस्चार्ज के बाद ही मिलेगी। जबकि विधि विशेषज्ञों का कहना है कि सिर में 5 सेमी घाव होने पर तुरंत धारा 308 लग जानीं चाहिए। अंत तक दरोगा का कन्फ्यूजन बरकरार रहा और 18-19 दिन बाद 26 या 27 जून को उन्होंने घायल के लड़के के ही रिपोर्ट पर धारा 325 और 308 बढ़ा दिया। जिसकी सूचना घायल के परिजनों को 28 जून को दी गई।

अब गिरफ्तारी के सवाल पर पुलिस का कहना है कि धारा 308 में गिरफ्तारी नहीं हो सकती है। अब सवाल यह उठता है कि ऐसी स्थिति में धारा 307 जान से मारने का प्रयास क्यों नहीं लगाईं गई।इस पर नगर कोतवाल राकेश कुमार सिंह का कहना है कि डाकटरी में धारा 307 नहीं बन रही है। जबकि डा वी के गुप्ता वरिष्ठ सर्जन ने बताया कि स्थिति नाजुक हैं कुछ कहा नहीं जा सकता है। लखनऊ से लेकर गोण्डा तक के डाक्टर जहां स्थित बेहद नाज़ुक बता रहे हैं। जबकि पुलिस को ये जानलेवा हमला नजर ही नहीं आ रहा है। मंगलवार को नगर कोतवाल वकील पर हमला करने वाले साजन से मिलने जिला अस्पताल गए भी थे परन्तु बगल में ही जिन्दगी मौत से लड रहे अनूप तिवारी के परिवार से झूठा भी हाल नहीं पूछा। बताया जाता है कि घायल अनूप तिवारी का दाहिना अंग बिल्कुल काम नहीं कर रहा है। ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि यदि अनूप तिवारी को कुछ हो जाता है तो भी पुलिस आरोपियों को गिरफतार करेगी या नहीं यह प्रश्न अनुत्तरित है।

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राजेंद्र सिंह

राजेंद्र सिंह (सम्पादक)

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