उत्तर प्रदेश गोंडा लाइफस्टाइल स्वास्थ्य

जांच के नाम पर हैरान परेशान है मरीज और परिजन, अधिकारी कर रहे टालमटोल

गोंडा। कहने को तो बाबू ईश्वर शरण जिला चिकित्सालय को स्वशाशित राज्य चिकित्सा महाविद्यालय से संबद्ध कर दिया गया है लेकिन यहां मिलने वाली प्रदेश स्तरीय सुविधाएं तो दूर की बात है। अब तो यहां जिला चिकित्सालय स्तर पर पूर्व में मिल रही सुविधाएं भी मयस्सर नहीं रह गई है। विडंबना तो यह है कि अब इसकी जिम्मेदारी लेने के लिए कोई अधिकारी भी सामने आने को तैयार नहीं?

संबद्ध चिकित्सालय में इस समय संक्रामक बीमारियों के चलते मरीजों की भरमार है। रोजाना मारपीट दुर्घटना में घायल होकर आने वाले मरीजों की जी भीड़ है वह अलग से है। चिकित्सक इलाज से पहले जांच के लिए लिखते है बस यही से शुरू हो जाती है मरीजों, परिजनों की परेशानी। जैसे ही मरीज, खून पेशाब, सीबीसी, एलएफटी,थायराइड,एएफपी,डेंगू, एक्सरे,अल्ट्रा साउंड के लिए क्षेत्रीय निदान केंद्र 26 नंबर, वा नई बिल्डिंग कोविड हॉस्पिटल में पहुंचता है उसकी समस्याएं शुरू हो जाती है। ब्लड सैंपल एकत्रित करने के लिए मरीजों तीमारदारों को पहले रजिस्ट्रेशन कराना होता है। रजिस्ट्रेशन के पश्चात उन्हें बारकोड दिया जाता है तब कही उनका सैंपल लिया जाता है। लेकिन बारकोड एलॉट कराने में मरीजों तीमारदारों के छक्के छूट जाते है। संकरी गली में बने इस इकलौते रजिस्ट्रेशन काउंटर पर सैकड़ों की भीड़ उनका स्वागत करती है जहां अपनी बारी आना उन्हे किसी जंग जीतने से कम नहीं लगता।

वहीं यदि आपको इमरजेंसी पड़ जाए तो आप कुछ नही कर सकते। सैकड़ों की खड़ी भीड़ मजबूरी बताने पर मारपीट गाली गलौज तक करने पर उतारू हो जाती है। संबद्ध चिकित्सालय में अल्ट्रासाउंड हो रहा है लेकिन फिल्म नही है।चिकित्सक लिखित रिपोर्ट पर आंख मूंद कर काम चला रहे है। यह समस्या पिछले दो माह से बनी हुई है। सीटी स्कैन सेवा विगत 9 माह से पूर्ण रूप से बंद है। क्षेत्रीय निदान केंद्र स्थित 500 मिनी एम्पियर एक्सरे मशीन तो काम कर रही है लेकिन उसका प्रिंटर ध्वस्त है। एक्सरे टेक्नीशियन के अनुशार प्रिंटर का इनलेट ड्रम,आउटलेट ड्रम,प्रोसेसिंग यूनिट,प्रोसेसिंग बेल्ट,कूलिंग बेल्ट,कूलिंग यूनिट,फ्रंट डोर,लेफ्ट पैनल, बुरी तरह खराब हो चुका है।इससे मरीजों को फिल्म नही मिल पा रही है और पुलिस मेडिको लीगल का कार्य भी प्रभावित हो रहा है। मरीज इसके लिए एक जगह से दूसरे जगह नई बिल्डिंग का चक्कर काट रहे हैं।
लोगों को आशा थी कि मेडिकल कालेज हो जाने से लोगों को समस्त चिकित्सीय सुविधाएं आसानी से मिलने लगेगी, लेकिन संबद्ध चिकित्सालय लोगो को निराश कर रहा है। लोग मजबूर होकर निजी नर्सिंग होम एवम चिकित्सालयों में इलाज कराने को विवश है।
घोषित संबद्ध चिकित्सालय के बदहाल स्थिति को लेकर जब प्रमुख अधीक्षक डॉक्टर वी के गुप्ता से बात की गई तो उन्होंने बताया की इस विषय पर मेडिकल कालेज नोडल डॉक्टर कुलदीप पांडे अपना वक्तव्य स्पष्ट करेंगे जब उनसे बात की गई तो उन्होंने बताया कि वह एक आवश्यक कार्य से बाहर हैं वापस आने पर ही इस विषय में बातचीत संभव है।

 

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अशफ़ाक़ शाह

(संवाददाता)

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