लखनऊ। भारत समृद्धि के तत्वावधान में आयोजित परिचर्चा में आज महान स्वतंत्रता सेनानी पंजाब केसरी लाला लाजपत राय को श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए।
इस अवसर पर लाला जी के महान प्रेरणदायी व्यक्तित्व के महत्वपूर्ण पहलुओं पर ऑल इण्डिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने अपने वक्तव्य में चर्चा की। उन्होंने कहा लाला जी का ध्येय वाक्य था – “अतीत को देखते रहना व्यर्थ है, जब तक उस अतीत पर गर्व करने योग्य भविष्य के निर्माण के लिए कार्य न किया जाए।”
उन्होंने कहा कि लाला जी का व्यक्तित्व एक बहुआयामी व्यक्तित्व था। वे महान स्वतंत्रता सेनानी तो थे ही। कांग्रेस की लाल बाल और पाल अर्थात लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक और बिपिन चंद्र पाल की गरम दल की विख्यात तीन महानुभावों में थे वे, जिन्होंने पहली बार पूर्ण स्वराज्य का नारा दिया था जो स्वतंत्रता आंदोलन का महामंत्र बन गया। मजदूर विरोधी साइमन कमीशन का विरोध करते हुए 30 अक्टूबर 1928 को लाहौर में ब्रिटिश पोलिस ने उन पर बर्बर लाठी चार्ज किया जिसकी प्राणघातक चोटों से 17 नवम्बर 1928 को उनका निधन हो गया। चन्द्र शेखर आजाद, भगत सिंह और सुखदेव ने उसी दिन प्रण लिया था कि लाला जी की मृत्यु का बदला लिया जाएगा और ठीक एक माह बाद ही 17 दिसम्बर 1928 को लाहौर पोलिस कोतवाली के सामने डिप्टी एस पी सांडर्स का काम तमाम कर लाला जी की मृत्यु का बदला ले लिया गया। इसके बाद स्वतंत्रता आंदोलन इतना तीव्र हो गया कि चाहे गरम दल हो या नरम दल सबका एक ही नारा था – पूर्ण स्वराज्य।
उन्होंने कहा कि लाला जी भारत में पहली ट्रेड यूनियन ऑल इण्डिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस( एटक ) के संस्थापक अध्यक्ष थे। लाला जी पंजाब नेशनल बैंक, लक्ष्मी बीमा कंपनी, डी ए वी स्कूल के भी संस्थापक थे। महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा स्थापित आर्य समाज का पंजाब में विस्तार करने में लाला जी का सबसे प्रमुख योगदान था। इस प्रकार लाला जी का व्यक्तित्व बहुआयामी था।
इस अवसर पर धीरज उपाध्याय, त्रिवेणी मिश्रा, रीना त्रिपाठी, डा एन एन सिंह, रेनू त्रिपाठी,श्याम जी मिश्र, अजित जी, राकेश शर्मा, ज्ञानू मिश्र ने अपने उद्गार व्यक्त किए।
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