अज़ब ग़ज़ब उत्तर प्रदेश गोंडा स्वास्थ्य

गैर प्रदेश से पैदल आ रहे मजदूर खोल रहे प्रशाशनिक दावों की पोल, जानकारी लेने से भी परहेज कर रही सी एम ओ

गोंडा ! जनपद मे लगातार बढ रहे मरीजों मे,संक्रमण फैलने के पीछे का राज आखिर क्या है ?आखिर जो भी लोग अभी तक संक्रमित निकल कर सामने आए हैं,वे कैसे संक्रमित हुए इन सब का पता लगाने के लिये जब ग्राउंड जीरो पर प्रयास किया गया तो कई चौका देने वाले तथ्य निकल कर सामने आए हैं,जिसमे प्रशाशनिक चूक के साथ ही भावनात्मक रूप से जुड़े हुए कई पहलू भी हैं,जो हैरान भी करते हैं और हमे सचेत हो जाने का संदेश भी दे रहे हैं।

जब से लॉक डाउन लगा है,लोग जहाँ के तहाँ फंसे हुए है,।ऐसे हालात मे जो लोग कुछ दिनो तक का राशन पानी का इंतजाम किये हुए थे वह अपनी अपनी जगह रुके रहे।लेकिन लॉक डाउन का बढ़ा हुआ समय लोगों के लिए परेशानी का करण बन गया।सम्पूर्ण भारत के अलग अलग शहरों मे जनपद के कई क्षेत्रों से लोग जाकर अपनी रोजी रोती का जुगाड़ वर्षों से करते चले आ रहे हैं।लेकिन जब उन्हे लगा की वह अब ज्यादा दिन तक मौजुद राशन पानी के सहारे नही रुक पाएँगे,तो उन्हे लगा की अब वापस अपने घर जाने मे ही भलाई है।इस लिये लोग लाख सख्ती के बाद भी अपनी हिम्मत के सहारे पैदल ही अपने अपने गंतव्य के लिये चल पड़े।ध्यान देने योग्य है की जितने भी लोग संक्रमित पाये गये हैं वे अपने घरो पर वापस पैदल चल कर ही पहुंचे हैं।प्रशाशन ऐसे लोगो पर ध्यान नही दे रहा है?प्रशाशन उन्ही व्यक्तियों पर विशेष निगरानी रख रहा जो अपने घरों पर बाहर से आकर रह रहे हैं,जिनके बारे मे ग्राम प्रधान व आशा बहू के द्वारा स्वास्थ विभाग को सुचित कर दिया जाता है।

प्रश्न यहीं से शुरु होता है,प्रशाशनिक व्यवस्था पर,कि जो भी लोग जनपद मे बाहर से आकर अपने अपने घरों तक पहुंच रहे हैं,उन्हे जनपद की सीमा से लेकर,गांव पहुंचने तक,कोई पूंछने वाला क्यूँ नही मिलता की वे कहां से आ रहे हैं,कहां जा रहे हैं।

अगर कोई पूँछ भी लेता है तो वे लोग बड़ी आसानी से यह कर निकल रहे हैं की उन्होने जहाँ से चले थे वहाँ अपनी जांच करायी है,वे लोग जांच की पर्ची भी दिखाते हैं।लेकिन सवाल यह है कि जहाँ से चले वहाँ की जांच रिपोर्ट है,जनपद का स्वास्थ विभाग आखिर उनकी जांच अपने यहां क्यूँ नही कर रहा?क्या उसकी यह प्राथमिक जिम्मेदारी नही की वह बाहर से आने वाले सभी व्यक्तियों की जांच स्वयं करे।उन्हे 14 दिनो के लिये एक जगह कवरेंटाईन करे?लेकिन ऐसा नही हो रहा है।

लोग बड़े आराम से संक्रमित क्षेत्रों के शहरों से पैदल चल कर अपने अपने घरो को पहुंच रहे है।उनके आने जाने के दौरान वे लोग न जाने कितने लोगो से रस्ते मे सामान खरीदते हैं,लोगो से मिलते हैं।बहुत से लोग उन पर मानवीय संवेदना के चलते दया दिखाते हुए उन्हे खाने पीने की वस्तुए भी देते है,जिसके कारण संक्रमण उन जनपदो मे भी फैल रहा है जहाँ के वे लोग रहने वाले भी नही होते।

ऐसे कई पैदल यात्री जनपद से गुजरते हुए बड़ी आसानी के साथ देखे जा सकते है,जो की गैर जनपदों के होते हुए भी स्थानीय लोगों के सम्पर्क मे आ रहे है।लोग उन्हे खाने पीने की वस्तुए देते देखे जा सकते हैं।

ऐसे ही कई पैदल यात्री गुरुवार के रोज मध्य प्रदेश से चलकर गोंडा होते हुए अपने जनपद बलरामपुर को जाते हुए दिखे,जिन्हे स्थानीय कोतवाली देहात पुलिस के द्वारा कहने पर रोका गया,जब उनसे बात की गयी तो उन्होने बताया की वे 8लोग है 7दिन पहले वह मध्य प्रदेश के सतना जिले से चल कर अपने घर वापस जा रहे हैं।रस्ते भर वह लोग अपने जांच की पर्ची दिखाते हुए एक जनपद से दूसरे जनपद को पार करते रहे,कही उन्हे आवश्यक वस्तुए ले जाने वाली गाड़ियों ने सहारा दिया कही पुलिस ने उनकी सहायता की तो कहीं स्थानीय लोग उनके मददगार बने।
इस तरह वह लोग 7दिनो मे गोंडा पहुंचे।

सुभागपुर बाजार मे पहुंचे जिला बलरामपुर के घन घटा गांव के 8 लोग,शदाब पुत्र रफीक,शरीफ पुत्र,जफर,हैदर,पुत्र हबीब,मैनुद्दिन पुत्र आशिक,मोनू,पुत्र,निजाम,अजीम,पुत्र गामा,सईद पुत्र रहीम,नन्कू पुत्र।मन्सुख थाना ललिया को कोतवाली एसआई घीसुराम,महिला का,शुषमा रावत,महिला,का,भुवनेश्वरी,का,योगेश कुमार ने जरुरी पुँछताछ के बाद, मदद करते हुए केलों का वितरण किया।

स्वास्थ विभाग के द्वारा बरती जा रही इस लापरवाही पर जब सीएमओ से बात करने का प्रयास 2 बार किया गया तो उनका सीयुजी नही उठा।विडम्बना है की इस आपातकाल मे कई दिन उनसे सम्पर्क किया गया लेकिन उनका फोन नही उठता।
ऐसे मे उनके विभाग के द्वारा कितनी सतर्कता बरती जा रही है,यह सुलभ ही पता चलता है।

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अशफ़ाक़ शाह

(संवाददाता)

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