उत्तर प्रदेश गोंडा शिक्षा

कोविड 19 को लेकर एक दिवसीय ई सेमिनार का आयोजन, प्रख्यात विद्वानों ने लिया भाग

गोंडा। आज श्री लाल बहादुर शास्त्री डिग्री कॉलेज के हिंदी विभाग द्वारा आयोजित “वर्तमान चुनौती कोविड-19 : समय, समाज और साहित्य” विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार संपन्न हुआ।

पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार यह राष्ट्रीय वेबिनार ठीक 11:00 बजे पूर्वाह्न डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय अयोध्या के कुलपति माननीय आचार्य मनोज दीक्षित के उद्घाटन से आरंभ हुआ। इस अवसर पर विचार प्रकट करते हुए प्रोफेसर मनोज दीक्षित ने कहा कि मौजूदा महामारी ने पूरी दुनिया को और उनकी तमाम व्यवस्थाओं को बदल कर रख दिया है। समाज के आचार-विचार, सामाजिक परंपराएं, मांगलिक कार्यक्रम, शिक्षण विधियां सब तेजी से परिवर्तित हो रही हैं और यह समय की आवश्यकता है।

प्रोफ़ेसर दीक्षित ने कहा कि यह राम की अवध भूमि समूचे विश्व को संयम, संकल्प, धैर्य, अनुशासन, मर्यादा और संघर्ष शक्ति की सीख दे सकती है, परंतु इसके लिए हमें सकारात्मक प्रतिमान गढ़ने होंगे।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रुप में बोलते हुए कुलपति मनोज दीक्षित ने कहा कि सूझबूझ, धीरज और कभी न हारने की अदम्य इच्छाशक्ति बड़े से बड़े संकट का दलन कर देती है।

चीन और ईरान में विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में कार्य कर चुके डेज्योर्ग अंतरराष्ट्रीय भाषा संस्थान, सूरत के अध्यक्ष प्रोफेसर गंगा प्रसाद शर्मा ने इस महामारी के दौर में श्रमिकों की समस्या को संवेदना के आधार पर प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि जिस तरह देशभर में लाखों की संख्या में मजदूर, श्रमिक सड़क मार्ग और रेल पथ से पैदल चल पड़े, रास्ते में हताहत हुए, भूख से विकल हुए ; इन तमाम पहलुओं को अपने व्याख्यान में समाहित किया।

लखनऊ विश्वविद्यालय के हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग के प्रोफेसर पवन अग्रवाल ने इस अवसर पर कहा कि कोरोना महामारी के विरुद्ध भारत पूरी दृढ़ता के साथ खड़ा है। हम भारतीय विशेष मिट्टी के बने हैं, पूरी दुनिया को यह दिखाने की जरूरत है कि जब आपदा आती है, संकट आता है, तो हम कितने संघर्षशील और अनुशासित नागरिक की तरह व्यवहार करते हैं। यही धीरज और अनुशासन हमें पूरी दुनिया से अलग करता है। 130 करोड़ की जनसंख्या का देश इस महामारी में जितने आत्मबल से संघर्ष कर रहा है, वह बेमिसाल है।

पाम्पेई कॉलेज, मंगलूरु, कर्नाटक के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. एस. ए. मंजूनाथ ने कोरोना की पृष्ठभूमि और उसके प्रभावों की सघन पड़ताल करते हुए कहा कि आशा, उत्साह, निर्भयता अत्यंत आवश्यक है, पर असावधान होना ठीक नहीं। उन्होंने यह भी कहा कि महात्मा सूरदास सहित भक्ति साहित्य में ऐसे कई सूत्र मौजूद हैं, जो कई भावी महामारियो का संकेत करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस मौके पर मानवीय संवेदना के आधार पर हमें लोगों की मदद करनी चाहिए।

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय लखनऊ के सहायक प्रोफेसर डॉ. बलजीत श्रीवास्तव ने साहित्य के कोण से इस महामारी को विश्लेषित किया। उन्होंने कहा कि यह प्रकृति का नियम है कि जब रात आती है तो वह जाती भी है और सबेरा होता है, आशा का सूरज निकलता है। यह महामारी भी समाप्त होगी और मानवता विजयी होगी। उन्होंने भारतवर्ष में महामारियों के अतीत का विवरण प्रस्तुत किया।

महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. वंदना सारस्वत ने अपने सारगर्भित वक्तव्य में जुड़े हुए सभी आमंत्रित अतिथियों-प्रतिभागियों- शोधार्थियों का स्वागत किया। इसके साथ ही उन्होंने मुख्य अतिथि मा. कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित तथा सभी आमंत्रित अतिथि वक्ताओं के प्रति धन्यवाद व्यक्त किया।

महाविद्यालय के मुख्य नियंता डॉ. जितेंद्र सिंह ने राष्ट्रीय वेबिनार के अंत में समस्त अतिथि वक्ताओं, प्राध्यापकों, शोधार्थियों और मुख्य अतिथि कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित जी के प्रति महाविद्यालय की ओर से धन्यवाद ज्ञापित किया

इस राष्ट्रीय ई – सेमिनार का विषय प्रवर्तन डॉ. शैलेंद्र नाथ मिश्र, अध्यक्ष, हिंदी विभाग, श्री लाल बहादुर शास्त्री डिग्री कॉलेज ने किया। उन्होंने राष्ट्रीय वेबिनार के विषय के सभी आयामों को सूत्रबद्ध रूप में प्रस्तुत किया।

इस राष्ट्रीय ई- सेमिनार का संयोजन आयोजन सचिव डॉ. जय शंकर तिवारी एसो. प्रोफेसर, हिंदी विभाग, श्री लाल बहादुर शास्त्री डिग्री कॉलेज के द्वारा किया गया।

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राजेंद्र सिंह

राजेंद्र सिंह (सम्पादक)

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